आषाढ मास के पर्व: आषाढ संक्रान्ति 2023, 15 जून (Festivals in the Month of Ashada : Ashada Sankranti 2023, 15th June)

sankranti 15 june 2023 आषाढ़ संक्रांति में सूर्य मिथुन राशि में प्रेवश करेंगे. आषाढ़ संक्रान्ति 15 जून 2023, को बृहस्पतिवार के दिन 18:16 पर आरंभ होगी. 30 मुहूर्त्ति इस संक्रांति का स्नान दान का पुण्य काल प्रात: 11:52 के बाद आरंभ होगा.


आषाढ मास विशेष (Significance of the Month of Ashada)

आषाढ संक्रान्ति, के दिन तीर्थस्नान, जप-पाठ, दान आदि का विशेष महत्व रहेगा. संक्रान्ति, पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण तीनों ही समय में यथा शक्ति दान कार्य करने चाहिए. जो जन तीर्थ स्थलों में न जा पायें, उन्हें अपने घर में ही स्नान, दान कार्य कर लेने चाहिए. आषाढ मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिये ब्रह्मचारी रहते हुए नित्यप्रति भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा अर्जना करना पुन्य फल देता है.


इसके अतिरिक्त इस मास में विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ भी करना चाहीए. तथा एकादशी तिथि, अमावस्या तिथि और पूर्णिमा के दिन ब्राह्माणों को भोजन तथा छाता, खडाऊँ, आँवले, आम, खरबूजे आदि फल, वस्त्र, मिष्ठानादि का दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर, एक समय भोजन करना चाहिए. इस प्रकार नियम पूर्वक यह धर्म कार्य करने से विशेष पुन्य फलों की प्राप्ति होती है.


श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2023, 7/21 जून (Fast of Sri Ganesha Chaturthi 2023, 7th/21 June)

श्री गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. आषाढ मास में 7/21 जून, 2023 के दिन रहेगी. सायंकाल में गणेश चतुर्थी व्रत का समापन चन्द्र दर्शन करने के पश्चात किया जाता है. चन्द्र उदय समय प्रदेश के अनुसार रहता है . गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र को अर्ध्य देते समय नजरों को नीचा रखा जाता है. जहां तक हो सके इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से बचना चाहिए.


श्री गणेश चतुर्थी के व्रत में श्री गणेश का पूजन किया जाता है. श्री गणेश पूजन करने में दुर्वा का विशेष रुप से प्रयोग किया जाता है. देव गणपति को जब दुर्वा अर्पित कि जाती है, तो श्री गणेश शीघ्र प्रसन्न होते है. श्री गणेश को दुर्वा अर्पित करने के पीछे यह कथा प्रचलित है कि एक बार श्री गणेश को अप्सराएं विवाह के लिये मना रही थी, परन्तु जब श्री गणेश विवाह के लिये नहीं माने तो अप्सराओं ने उन्हें सर ताप का श्राप दिया, इस श्राप से मुक्त होने के लिये भगवान श्री गणेश ने माथे पर दुर्वा को धारण किया. उस समय से श्री गणेश को दुर्वा अर्पण करने की प्रथा प्रारम्भ हुई.


आषाढ मास पंचक समय (Time of Panchak in Ashada Month)

09 जून, 2023 के दिन पंचक प्रारम्भ व 09 जून 2023 को पंचक समाप्त होंगे. इसके मध्य अवधि में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए. पंचकों में नया व्यापार शुरु नहीं करना चाहिए. इसके अतिरिक इस समय में पांच कार्य करने मना होते है. पंचकों के विषय में यह मान्यता है कि इस समय में जो भी कार्य किया जाता है. वह कार्य पांच बार करना पड सकता है. इसलिये पांच पुनावर्तियों से बचने के लिये पंचक समय में कार्य प्रारम्भ करने से बचना चाहिए.


योगिनी एकादशी व्रत 2023, 14 जून (Fast of Yogini Ekadashi 2023, 14th June)

योगिनी एकादशी व्रत 14 जून, 2023 के दिन शुभ रहेगी. एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना करके उपवास रखा जाता है. रात्रि भर जागरण करते हुए श्री विष्णु व शिव स्तोत्र का पाठ किया जाता है. यह माना जाता है कि यह उपवास और पाठ करने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिलती है.


प्रदोष व्रत 2023, 01/15 जून (Pradosh fast 2023, 01/15th June)

त्रयोदशी तिथि में पडने वाला व्रत प्रदोष व्रत कहलाता है. यह माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान श्री भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में 'नृत्य' करते है. भगवान भोलेनाथ का यह नृत्य सूर्यास्त से लेकर रात्रि प्रारम्भ होने तक रहता है. शिव के इस नृत्य के मध्य की अवधि को प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है.


आषाढी अमावस्या 2023, 18 जून (Ashadhi Amavasya 2023, 18th June)

18 जून को आषाढ मास की अमावस्या रहेंगी. अमावस्या के दिन तीर्थ स्थानों में दान -स्नान करने की विशेष महिमा रहेगी. अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा कि शान्ति के कार्य किये जाते है. इस दिन दान, दक्षिणा, तप और जप करना कल्याणकारी कहा गया है.


रथ- यात्रा 2023, 20 जून (Rath - Yatra 2023, 20th June)

आषाढ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुष्य नक्षत्र में भगवान श्री जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस रथयात्रा को पूरी की रथ यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. यह यात्रा उडिसा राज्य में निकाली जाती है. यह रथ यात्रा पूरे नौ दिन की होती है. रथ यात्रा के जुलूस में भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्तियों रखी जाती है. यह रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुणडिपा मंदिर तक नौ दिनों के लिये रहती है.


हरिशयनी एकादशी व्रत 2023, 29 जून (Fast of Harishayani Ekadashi 2023, 29th June)

'हरिशयनी " एकादशी को "देवशयनी" के नाम से भी जाना जाता है. एक मान्यता के अनुसार इस दिन से देव विष्णु चार मास के लिये पाताल लोक में निवास करते है. तथा कार्तिक मास में देवउठानी एकादशी के दिन शयन से जागते है. इस एकादशी से लेकर कार्तिक मास की एकादशी के मध्य के चार मास की अवधि के समय में विवाह आदि नहीं किये जाते है.


यह माना जाता है कि हरिशयन के चार मास के समय में विवाह कार्य करने पर, देव विष्णु जी का आशिर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है. हरिशयनी एकादशी का व्रत उपवास शुभ पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी के व्रत, भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिये किये जाते है. विष्णु जी के भक्तो को हरिशयनी एकादशी के व्रत को अवश्य करना चाहिए.