संक्रान्ति पर्व 2024, सूर्य उतरायण में (Sankranthi festival in Surya Uttarayan)

sankranti_1 संक्रान्ति पर्व के दिन से शुभ कार्यो का मुहूर्त समय शुरु होता है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर उतरायण में प्रवेश करते है. विवाह, ग्रह प्रवेश के लिये मुहूर्त समय कि प्रतिक्षा कर रहे लोगों का इन्तजार समाप्त होता है. इस दिन को देवता छ: माह की निद्रा से जागते है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना, एक नये जीवन की शुरुआत का दिन होता है. प्राचीन काल से ही इस दिन को शुभ माना जाता रहा है. हमारे ऋषियों और मुनियो के अनुसार इस दिन कार्यो को प्रारम्भ करना विशेष शुभ होता है. शास्त्रों में इस दिन को देवदान पर्व भी कहा गया है.


मकर संक्रान्ति संतान प्राप्ति व्रत दिवस (Makar Sankranthi Fast for Child)

एक किवदंती के अनुसार इस दिन माता यशोदा ने कृ्ष्ण के जन्म के लिये व्रत किया था. तभी से इस दिन संतान प्राप्ति के लिये व्रत करने का विधि-विधान शुरु हुआ. मकर संक्रान्ति के दिन किये जाने वाले व्रत की विधि अन्य दिनों में किये जाने व्रत के समान ही सरल है. इस दिन व्रत कर सुर्य उपासना की जाती है. और व्रत के बाद दान में तिल कि वस्तुओं का दान किया जाता है. व्रत में भी तिल कि खिंचडी भोग के रुप में प्रयोग की जाती है. पूरे भारत वर्श में यह पर्व अलग- अलग तरह से मनाया जाता है. महाराष्ट में इस पर्व पर विवाहित स्त्रियां, संतान वाली महिलाओं को कपास, तेल और नमक का दान देती है.


बंगाल में भी इस दिन स्नान कर तिल आदि दान दिया जाता है. इसके अतिरिक्त इस पूरे माह में घी और कम्बल का दान देने का विशेष महत्व है.


सूर्य उपासना पर्व, 2024 (Surya Upasana / Sun Worshipping Festival, 2024)

शास्त्रों में सूर्य को राज, सम्मान और पिता का कारक कहा गया है. और सूर्य पुत्र शनि देव को न्याय और प्रजा का प्रतीक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य-शनि की युति हो, या सूर्य -शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो पा रहे हों, उन व्यक्तियों को मकर संक्रान्ति का व्रत कर, सूर्य-शनि के दान करने चाहिए. ऎसा करने से दोनों ग्रहों कि शुभता प्राप्त होती है. इसके अलावा जिस व्यक्ति के संबन्ध अपने पिता या पुत्र से मधुर न चल रहे हों, उनके लिये भी इस दिन दान-व्रत करना विशेष शुभ रहता है.


सूर्य के बिना इस जगत में जीवन कि कल्पना भी नहीं की जा सकती है. प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने और सूर्य को जल देने से पिता का सुख और भाग्य में वृ्द्धि होती है. 14 जनवरी, 2024 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे है. इस दिन को सूर्य उपासना का दिन ही कहा जाता है.


सूर्य के प्रवेश करने के बाद, अगले दो महीनो के लिए शनि की मकर और कुंभ राशियों में सूर्य के रहने से और पिता-पुत्र में बैर भाव स्थिति से पृथ्वीवासीयों पर किसी प्रकार का कुप्रभाव न पङे, इसलिए हमारे ॠषि-मुनियों ने तीर्थ स्नान, दान और धार्मिक कर्मकांड के उपाय सुझाए है.


मकर संक्रांति पर तिल और गुङ से बने लडुओं का उपयोग करने और उसके दान के पीछे भी यही मंशा है. ज्योतिष शास्त्र अनुसार तेल शनि का और गुङ सूर्य का खाद्य पदार्थ है. तिल तेल की जननी है, यही कारण है कि शनि और सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग तिल-गुङ के व्यंजनों का सेवन करते है.


तीर्थों पर स्नान और दान-पुण्य की व्यवस्था भी इसी उदेश्य से रखी गई है कि पिता-पुत्र के बैर भाव से इस जगत के निवासियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पङे. ज्योतिष शास्त्र मे मलमास के दौरान शुभ कार्य अनिष्ट कारक माने जाते है. मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते है.


माघ मास में सूर्य जब मकर राशि में होता है तब इसका लाभ प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओं आदि पृथ्वी पर आ जाते है. अतः माघ मास एवं मकरगत सूर्य जाने पर यह दिन दान- पुण्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन व्रत रखकर, तिल, कंबल, सर्दियों के वस्त्र, आंवला आदि दान करने का विधि-विधान है.