लोहडी पर्व: संस्कृति और उल्लास का पर्व, 13 जनवरी, 2024 (Lohri : The Festival of Culture and Jubilation, 13th January, 2024)
पंजाब में जीवन को एक नये अंदाज में जिया जाता है. मौज-मस्ती और जिन्दगी के हर पल को जी भर के जीने की परम्परा यहां देखी जा सकती है. कुछ इसी प्रकार के जीवन की झलक हमें लोहडी पर्व में दिखाई देती है. लोहडी पर्व मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या में भारत के उतरी राज्यों जिसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और अन्य आस-पास के राज्यों में मनाया जाता है. इसी दिन यहां की संस्कृ्ति अपने एक अलग रुप में होती है.
लोहडी में पंजाब से परिचय (The Culture of Punjab and Lohri)
लोहडी केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं है. पर वहां इस त्यौहार की बात ही कुछ और है. इस दिन यहां रंग और खुशी अपने शबाब पर होती है. पंजाब का नाम आयें, और सरसों का साग, मक्के की रोटी, मिट्टी की खूशबू, घडे के पानी की सौन्धी महक की बात न हों, ऎसा कैसे हो सकता है. लोहडी त्यौहार ही है, प्रकृ्ति को धन्यवाद कहने का, फिर उसे पंजाबी अंदाज देना हो, तो कुछ अलग जोश तो होगा है. लोहडी को मकर संक्रान्ति के आगमन की दस्तक भी कहा जाता है.
लोहडी संगीत संध्या (Music and Festivities on the Eve of Lohri)
लोहडी की संध्या में लोकगीतों का खूबसुरत शंमा आलम बांध देता है. मन को मोह लेने वाले गीतों कुछ इस प्रकार के होते है. कि एक बार को जाता हुआ बैरागी भी अपनी राह भूल जायें. और सबसे अहम भंगडा और सोनी कुडियों के गिद्धे भला उन्हें कोई भूल सकता है. हिन्दु धर्म में यह मान्यता है कि आग में जो भी समर्पित किया जाता है वह सीधे हमारे देवों-पितरों को जाता है. लोहडी के दिन खेतों में झूमती फसलों को घर ला, अग्नि देव प्रजव्व्लित कर उसके चारों ओर नाच- गाकर शुक्रिया अदा किया जाता है. यह भी देवों की पूजा करने का एक अलग तरीका है.
लोहडी के दिन में भंगडे की गूंज और शाम होते ही लकडियां की आग और आग में डाले जाने वाले खाद्यान्नों की महक एक गांव को दूसरे गांव व एक घर को दूसरे घर से बांधे रखती है. यह सिलसिला देर रात तक यूं ही चलता रहता है. बडे-बडे ढोलों की थाप, जिसमें बजाने वाले थक जायें, पर पैरों की थिरकन में कमी न हों, रेवडी , मूंगफली का स्वाद सब एक साथ रात भर चलता रहता है. भौर की पहली किरण के बाद ही लोहडी के रंग में कमी होती है.
लोहडी का एक विशेष वर्ग (Lohri, the Festival of Youth)
यूं तो लोहडी उतरी भारत में प्रत्येक वर्ग, हर आयु के जन के लिये खुशियां लेकर आती है. परन्तु युवक-युवतियों और नवविवाहित दम्पतियों के लिये यह दिन विशेष होता है. युवक -युवतियां सज-धज, सुन्दर वस्त्रों में एक-दूसरे से गीत-संगीत की प्रतियोगिताएं रखते है. लोहडी की संध्या में जलती लकडियों के सामने नवविवाहित जोडे अपनी वैवाहिक जीवन को सुखमय व शान्ति पूर्ण बनाये रखने की कामना करते है. सांस्कृ्तिक स्थलों में लोहडी त्यौहार की तैयारियां समय से कुछ दिन पूर्व ही आरम्भ हो जाती है.
मकर-सक्रान्ति की दस्तक (The advent of Makar Sankranti on Lohri)
लोहडी पर्व क्योकि मकर-संक्रान्ति से ठिक पहले कि संध्या में मनाया जाता है तथा इस त्यौहार का सीधा संबन्ध सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से होता है. सूर्य स्वयं आग्नि व शक्ति के कारक है. इसलिये इनके त्यौहार पर आग्नि की पूजा तो होनी ही है. किसान इसे रबी की फसल आने पर अपने देवों को प्रसन्न करते हुए लोहडी त्यौहार मनाया जाता है. इस खुशी के मौके पर आप सभी को लोहडी पर्व की लख-लख बधाईयां.