सूर्य भगवान आदि देव हैं अत: इन्हें आदित्य कहते हैं, इसके अलावा अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेने के कारण भी इन्हें इस नाम से जाना जाता है. सूर्य के कई नाम हैं जिनमें मार्तण्ड भी एक है जिनकी पूजा पौष मास में शुक्ल सप्तमी को होती है. 17 जनवरी 2024 को मार्तण्ड सप्तमी मनाई जाएगी. सूर्य देव का यह रूप बहुत ही तेजस्वी है यह अशुभता और पाप का नाश कर उत्तम फल प्रदान करने वाला है. इस दिन सूर्य की पूजा करने से सुख सभाग्य एवं स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
मार्तण्ड सप्तमी कथा | Martand Saptami Katha
दक्ष प्रजापति की पुत्री अदिति का विवाह महर्षि कश्यप से हुआ. अदिति ने कई पुत्रों को जन्म दिया. अदिति के पुत्र देव कहलाए और अदिति की बहन दिति के भी कई पुत्र हुए जो असुर कहलाए. परंतु असुर देवताओं के प्रति वैर भाव रखते थे. वह देवताओं को समाप्त करके स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त करना चाहते थे. असुरों ने अपनी ताकत से देवों को पराजित कर दिया और स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया.
अपने पुत्रों को संकट में देखकर देवी अदिति बहुत ही दु:खी थी. उस समय उन्होंने सर्वशक्तिमान सूर्य देव की उपासना का प्रण किया और कठोर तपस्या में लीन हो गयी. देव माता अदिति की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें दर्शन दिया और वरदान मांगने के लिए कहा. सूर्य देव के ऐसा कहने पर देव माता ने कहा कि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे पुत्रों की रक्षा हेतु आप मेरे पुत्र के रूप में जन्म लेकर अपने भाईयों के प्राणों की रक्षा करें.
सूर्य के वरदान के फलस्वरूप भगवान सूर्य का अंश अदिति के गर्भ में पलने लगा. सूर्य जब गर्भ में थे उस समय देवी अदिति सदा तप और व्रत में लगी रहती थी. तप और व्रत से देवी का शरीर कमज़ोर होता जा रहा था. महर्षि कश्यप के काफी समझाने पर भी देवी ने तप व्रत जारी रखा तो क्रोध वश महर्षि ने कह दिया कि तुम इस गर्भ को मार डालोगी क्या? महर्षि के ऐसे अपवाक्य को सुनकर अदिति को बहुत दुख होता है परंतु वह उन्हें समझाते हुए कहती हैं कि यह सामान्य गर्भ नहीं है अपितु प्रभु का अंश है अत: आप चिंता न करें.
ऋषि को यह जानकर उन्होंनें सूर्य देव की वंदना की. वंदना से प्रसन्न होकर सूर्य ने महर्षि को क्षमा दान दिया और तत्काल उस अण्ड से अत्यंत तेजस्वी पुरूष का जन्म हुआ जो मार्तण्ड कहलाया. सूर्य के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है मार्तण्ड सप्तमी तिथि को. सूर्य अदिति के गर्भ से जन्म लिये थे अत: इन्हें आदित्य भी कहा जाता है.
मार्तण्ड सप्तमी पूजा व्रत विधि | Martand Saptami Worship
मार्तण्ड सप्तमी का व्रत रखते हुए व्यक्ति को सात्विक स्वरुप को अपनाना चाहिए. नित्य क्रिया से निवृत होकर सूर्योदय के समय स्नान करें. स्नान के पश्चात संकल्प करके अदिति पुत्र सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए. इस समय सूर्य भगवान को ओम श्री सूर्याय नम:, ओम दिवाकराय नम:, ओम प्रभाकराय नम: नाम से आर्घ्य देना चाहिए तथा साथ ही साथ परिवार के स्वास्थ्य व कल्याण हेतु उनसे प्रार्थना करनी चाहिए. पूजा पश्चात सप्तमी कथा का पठन करना चाहिए. सूर्य के इस रूप की पूजा से रोग का शमन होता है और व्यक्ति स्वस्थ एवं कांतिमय हो जाता है. शास्त्रों में इस व्रत को आरोग्य दायक कहा गया है.