एकादशी के व्रत को व्रतों में श्र्ष्ठ माना गया है. एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. इसी श्रेणी में रमा एकादशी व्रत भी आता है. यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है. वर्ष 2024 में 28 नवंबर के दिन रमा एकादशी व्रत किया जायेगा. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन एवं भागवत गीता का पाठ इत्यादि कार्य उत्तम होते हैं.
रमा एकादशी पौराणिक महत्व | Mythological Significance of Rama Ekadashi
रमा एकादशी का पौराणिक महत्व रहा है पुराणों के अनुसार मुचुकुन्द नाम का राजा था वह दयालु व श्री विष्णु का परम भक्त था. इन्द्र, वरूण, कुबेर और विभीषण आदि उसके मित्र थे. उसके राज्य में सभी प्रसन्न व सुख पूर्वक रहते थे. एक समय राजा के घर में एक कन्या ने जन्म लिया. कन्या का नाम चन्द्रभागा रखा गया. पुत्री के युवा होने पर राजा ने उसका विवाह राजा चन्द्रसेन के पुत्र साभन के साथ कर दिया.
जब चन्द्रभागा अपने ससुराल में थी, तो एक एकादशी पडी तो वह भी एकादशी का व्रत करने की कामना करती है. परंतु उसका पति शोभन इस व्रत को करने में शारीरिक रुप से अक्षम था वह अत्यन्त कमजोर था इस कारण वह अपनी पत्नी को व्रत न कर सकने के बारे में कहता है व्रत न करने की बात जब चन्द्रभागा को पता चली तो वह बहुत परेशान होती है. वह अपने पति को उस दिन के लिए किसी अन्य स्थान पर चले जाने को कहती है क्योंकि यदि वह घर पर रहेगा तो उसे व्रत अवश्य ही करना पडेगा. पत्नी की यह बात सुनकर शोभन कहता है कि तब तो मैं यही रहूंगा और व्रत अवश्य ही करूंगा. इस प्रकार दोनो पति पत्नी एकादशी का व्रत करते हैं. व्रत में वह भूख प्यास से पीडित होने लगा और उसकी मृत्यु हो गई.
रमा एकादशी के प्रभाव से सोभन को एक उतम नगर प्राप्त हुआ, परन्तु यह राज्य अदृश्य था. एक बार उसकी पत्नी के राज्य का एक ब्राह्माण भ्रमण के लिए निकला, उसने मार्ग में सोभन का नगर देखा और सोभन ने उसे बताया कि उसे रमा एकादशी के प्रभाव से यह नगर प्राप्त हुआ है. सोभन ने ब्राह्माण से कहा की मेरी पत्नी चन्द्र भागा से इस नगर के बारे में और मेरे बारे में कहना. वह सब ठिक कर देगी. ब्राह्माण ने वहां आकर चन्द्रभागा को सारा वृ्तान्त सुनाया. चन्द्रभागा बचपन से ही एकादशी व्रत करती चली आ रही थी. उसने अपनी सभी एकादशियों के प्रभाव से अपने पति और उसके राज्य को यथार्थ का कर दिया. और अन्त में अपने पति के साथ दिव्यरुप धारण करके तथा दिव्य वस्त्र अंलकारों से युक्त होकर आनन्द पूर्वक अपने पति के साथ रहने लगी.
रमा एकादशी व्रत फल | Rama Ekadashi Fast Benefits
कार्तिक मास के कृ्ष्णपक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है. इस एकादशी को रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसका व्रत करने से समस्त पाप नष्ट होते है. एकादशी के सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, दान करने से वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है.
संसाररूपी भंवर में फंसे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है. स्वयं भगवान ने यही कहा है कि रमा व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता. एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करने से इस संसार के समस्त पापों से निजात मिलती है. विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से प्रसन्न होते हैं. रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्माहत्या आदि के पाप नष्ट होते हैं.