भगवान वराह भगवान विष्णु के अवतार हैं और इस शुभ दिन पर उनके भक्तों द्वारा उनकी पूजा की जाती है. यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है विशेष रुप से दक्षिण भारत में इस पर्व का महत्व काफी खास माना गया है. इस्थ शुभ दिन पर भक्त भगवान विष्णु से आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र स्नान करते हैं दान कार्यों को करते हैं तथा धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.
वराह जयंती का समय बेहद शुभ एवं पवित्र समय होता है. इस दिन सभी भक्त भगवान की पूजा में अपना संपुर्ण दिवस व्यतीत करते हैं. भक्त जल्दी उठते हैं और पवित्र स्नान करते हैं. इस समय के दोरान श्री विष्णु के वराह स्वरुप का पूजन करने का विधान होता है अत: विष्णु जी की वराह मूर्ति एवं चित्र को स्थापित किया जाता है और पूजन कार्य संपन्न होते हैं. वराह जयंती के दिन श्री वाराह को एक धातु के बर्तन जो कलश के समान होता है उसमें स्थापित करते हैं तथा फिर पूजा की जाती है.
भगवान वराह ने समुद्र में जाकर पृथ्वी को पुन: स्थापित किया था अत: इस पूजन में इस कलश को ही उस समुद्र एवं अवतरण की क्रिया के स्वरुप देखा जाता है. भगवान को कलश में रख कर इसे जल से भर दिया जाता है. इस दिन किए जाने वाले इस धार्मिक कार्य को बेहद आवश्यक एवं पवित्र अनुष्ठान के रुप में देखा जाता है. कलश में आम के पत्तों और नारियल को रखा जाता है और इसे फिर ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है. इस पूजा कार्य के द्वारा व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
भगवान विष्णु के भक्तों के बीच वराह जयंती का बहुत महत्व है. वराह भगवान विष्णु का दूसरा रूप है. वराह का अर्थ है सूअर और भगवान विष्णु सत युग के दौरान इस रूप में प्रकट हुए थे. वह सृष्टि बचाने के लिए इस रूप में पृथ्वी पर आए और पृथ्वी को अपने दांतों से पकड़ लिया. भक्त भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं. जो व्यक्ति इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. सभी भगवान विष्णु भक्त इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं और मंदिरों में जाकर और भगवान को भोग प्रसाद चढ़ाकर इसे मनाते हैं. यह दिन मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है.
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए वराह जयंती के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा हेतु कुछ विशेष चीजों को शामिल करना चाहिए. भगवान को लाल या पीले रंगों का शृंगार इस समय पर करने से मंगल ग्रह की शुभता प्राप्त होती है. इसी के साथ अगर कुंडली में मंगल ग्रह की शुभता पाना चाहते हैं तो इस समय पर भगवान को मूंगा रत्न अर्पित करना चाहिए तथा इस रत्न को बाद में किसी ब्राह्मण को देना चाहिए.
वृष राशि
वृष राशि के लिए भगवान वराह का पूजन अधिक विशेष माना गया है. इस दिन पर श्वेत वस्त्रों पर चंदन से श्री का निर्माण करते हुए अर्पित करना चाहिए. इस दिन पर भगवान का पूजन करने से शुक्र ग्रह को बल प्राप्त होता है. यदि कुंडली में शुक्र प्रभावित होता है तो ऎसे में इस उपाय द्वारा शीघ्र लाभ मिलता है. जीवन में सुख समृद्धि का प्रभाव सदैव बना रहता है.
मिथुन राशि
मिथुन राशि भगवान विष्णु की प्रिय राशि है इनके स्वामी बुध भगवान के परम भक्तों की श्रेणी में स्थान पाते हैं. ऎसे में यह शुभ अवसर भगवान की कृपा एवं जीवन में आने व्यवधानों से मुक्ति के लिए खास होता है. बुध की शुभता एवं पूजा के लाभ के लिए हरे रंग के वस्त्र अवश्य अर्पित करें. भगवान को पन्ना अर्पित करने से बौद्धिकता की शुभता प्राप्त होती है.
कर्क राशि
कर्क राशि के लिए श्री विष्णु कृपा पाना सहज होता है जल तत्व युक्त इस राशि और चंद स्वामित्व के कारण कर्क वालों के लिए भगवान वराह का पूजन मानसिक बल प्रदान करने वाला होता है. भगवान ने जिस प्रकार जल को संतुलन दिया पृथ्वी को जल से ऊपर लाकर स्थापित किया उसी प्रकार कर्क राशि वालों को इस दिन दूध और जल के मिश्रण से भरा कलश पूजा स्थान में रखने के पश्चात किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए. ऎसा करने से व्यक्ति को जीवन में प्रेम एवं सुख भविष्य की प्राप्ति होती है.
सिंह राशि
सिंह राशि के साथ श्री विष्णु का विशेष संबंध रहा है. सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और ऎसे में सूर्य की शुभता के लिए वराह पूजन के दिन पीतल का दान बेहद अच्छा माना गया है. प्रात:काल पीपतल से बने कलश में चावल और भगवान वराह की प्रतिमा का दान करना शुभ होता है. इसके अलावा इस दिन पर भगवान को लाल पुष्प एवं जल से स्नान कराना चाहिए.
कन्या राशि
कन्या राशि के लिए भगवान वराह के पूजन में घी से निर्मित पंचमुखी दिपक अवश्य प्रज्जवलित करना चाहिए. इस दिन पर पंच चीजों से निर्मित पंचामृत द्वारा श्री विष्णु का अभिषेक भी करना चाहिए. इन शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति को अपने भाग्य में प्रगति की प्राप्ति होती है.
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए भगवान वराह के पूजन सफेद सूत से निर्मित जनेऊ अर्पित करना चाहिए. शुक्र इस राशि के स्वामी हैं ऎसे में तुला राशि वालों भगवान वराह के सफेद चंदन लगाना चाहिए ऎसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आपके भीतर अधिक तेजी से प्रवाहित होती है.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लिए भगवान वराह की पूजा में तुलसी और कच्ची भूमि की मिट्टी को स्थान देना चाहिए. मंगल को भूमि का कारक माना गया है और भगवान वराह ने अपने इस अवतार द्वारा पृथ्वी को कष्टों से मुक्ति प्रदान की अत: ऎसे में इन दो वस्तुओं को पूजा स्थान में रखने से शुभ फलों की प्राप्त होती है.
धनु राशि
धनु राशि के लिए वराह भगवान के पूजन में अष्टगंध का उपयोग करना शुभ माना गया है. अष्ट प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति इस दिन पर होती है. वराह देव को पीले पुष्पों की माला अर्पित करनी चाहिए. इस दिन वराह स्त्रोत का पाठ 11 बार करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है.
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए भगवान वराह का पूजन करना ग्रह शांति के साथ सुखों को प्रदान करता है. भगवान वराह के पूजन में नीले रंगों के पुष्पों का उपयोग करना शुभ होता है. इस दिन इलायची ओर लौंग को भगवान के भोग में अवश्य शामिल करना चाहिए.
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के वराह भगवान का पूजन लाल चंदन की माला से करना चाहिए. भगवान वराह के मंत्र “ऊँ नमो: भगवते वराहरूपाय भुभुर्वः स्वः स्यात्पते भूपतित्वं देह्येतद्दपय स्वाहा” का जाप करना चाहिए इन मंत्रों को 1100 मंत्रों के साथ संपूर्ण करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
मीन राशि
मीन राशि वालों को वराह की पूजा में शंख और कमल का उपयोग अवश्य करना चाहिए. माना जाता है कि भगवान वराह की इस विधि से पूजा करने से साधक को भूमि, भवन आदि का सुख प्राप्त होता है.इस दिन श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करने से भी अनंत पुण्य फल मिलता है.