गणेश चतुर्थी, का समय भगवान श्री गणेश के जन्म का समय माना जाता है. यह हर माह में मनाई जाती है लेकिन जब मलमास आता है तो यह चतुर्थी पूजन बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है. इस दिन पर व्रत उपवास एवं अन्य प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों को किया जाता है. श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है. गणेश चतुर्थी का समय पंचांग अनुसार चतुर्थी तिथि के दिन पर किया जाता है. चतुर्थी थिति प्रत्येक माह में दो बार आती है. एक बार यह तिथि कृष्ण पक्ष में आती है तो दूसरी शुक्ल पक्ष के दौरान आती है. इन दोनों तिथियों के अनुसार विनायक और संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.
शुक्ल पक्ष के समय आने वाली चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी पर्व को मनाते हैं और कृष्ण पक्ष में आने वाली तिथि पर संकष्टी गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. गणेश जी को हाथी के सिर वाले भगवान के रूप में भी पूजा जाता है. कुछ भी नया शुरू करने से पहले, लोग हमेशा सबसे पहले उनकी पूजा करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह ज्ञान, स्थिरता और समृद्धि के देवता हैं. और विग्नों को दूर कर देने वाले हैं गणों के नायक हैं तथा सिद्धियों को प्रदान करने वाले देव हैं.
गणेश चतुर्थी कथा एवं मान्यता
भगवान गणेश के जन्मोत्सव को ‘गणेश चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है. भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रमुख देवताओं में से एक हैं और भारत में लगभग हर हिंदू परिवार और दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले हिंदुओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है. भगवान गणेश ऐसे देवता हैं जो ज्ञान प्रदान करते हैं, बुराइयों से बचाते हैं, अपने भक्तों के जीवन को सकारात्मकता और खुशियों से भर देते हैं और अपने भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं. भगवान गणेश ऐसे भगवान हैं जो किसी भी अन्य भगवान से प्रथम पूजनीय हैं. इसी संदर्भ में जीवन में कोई नया उद्यम या एक नई यात्रा शुरू करने से पहले, भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस प्रकार भगवान गणेश का जन्म सभी हिंदुओं द्वारा अत्यधिक उत्साह, खुशी और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी कथा एवं शास्त्र उल्लेख
गणेश चतुर्थी को विनायक एवं संकष्टी चतुर्थी नाम से भी जाना जाता है, सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो प्रिय भगवान, भगवान गणेश के सम्मान में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के संदर्भ में अनेक किंवदंतियाँ लोकप्रिय रही हैं जो गणेश चतुर्थी उत्सव के महत्व एवं इस दिन को मनाने के विषय में महत्वपूर्ण बातें बताती है. धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश के जन्म और उनकी दिव्यता की कहानी बहुत विशेष है. शास्त्रों के अनुसार एक बार ऐसा हुआ कि माता पार्वती स्नान करने में व्यस्त थीं और वह नहीं चाहती थीं कि उन्हें कोई परेशान करे, इसलिए उन्होंने अपने शरीर पर लगाए गए हल्दी के लेप से मानव रूप में एक बालक को निर्मित किया और उस देह में जान डाल दी और उसे घर के द्वार की रक्षा करने के लिए कहा.
देवी ने निर्देश दिया कि वह किसी को भी दरवाजे से गुजरने न दे. कुछ देर में भगवान शिव निवास पर आते हैं और देखा कि एक अज्ञात बालक द्वार पर इधर-उधर चक्कर लगा रहा है. जैसे ही भगवान शिव ने प्रवेश करने का प्रयास किया, बालक ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया. शिव ने बालक को सूचित किया कि वह स्थान उनका है, लेकिन बालक अपनी जिद पर अड़ा रहा. उसने भगवान शिव का मार्ग अवरुद्ध कर दिया और भगवान को द्वार से गुजरने नहीं दिया. बालक के दंभ और जिद को देखते हुए क्रोधित होकर, भगवान ने उसका सिर काट दिया, यह जानने के बाद माता पार्वती क्रोधित हो गईं, उनका क्रोध, दुख और भावनाएं उमड़ पड़ीं, वह इतनी क्रोधित थीं कि हर रचना को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ने लगीं. यह देखने पर, भगवान ने उनका क्रोध शांत करने का उपाय पूछा जिस पर पार्वती ने उत्तर दिया कि इस ब्रह्मांड में पूरी सृष्टि को उनके क्रोध से तभी बचाया जा सकता है, जब बालक को पुन: जीवित किया जाए.
भगवान शिव ने अपने गणों को छोटे बालक के सिर की तलाश में जाने का आदेश दिया और जो प्रथम वस्तु उन्हें दिखाई दे उसी का सिर वह लेकर आएं. गण सिर खोजने में चल पड़े उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए गण एक विशाल हाथी का सिर लेकर लौट आये. भगवान ब्रह्मा ने बच्चे के शरीर पर इस विशाल गजानन के चेहरे को जोड़ दिया और इस प्रकार भगवान गणेश अस्तित्व में आए.इस तरह भगवान के जन्मोत्सव से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई जिसे गणेश चतुर्थी के रुप में मनाया जाता है.
मलमास में गणेश चतुर्थी पूजा महत्व
मलमास का समय एक विशेष समय होता है यह काल गणना के क्रम पर असर डालता है. इस समय पर किया जाने वाला पूजन इसी कारण बहुत विशिष्ट होता है. इस समय किया जाने वाला पूजन व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जाओं से भर देने वाला होता है. इस समय पर गणेश पूजन के साथ श्री हरि का पूजन करना उत्तम माना गया है. गणेश चतुर्थी पूजा घर को सात्विक ऊर्जा से भर देने वाला समय होता है. सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर देने वाला समय होता है. इस समय पूरा वातावरण दिव्य ऊर्जाओं से भर जाता है. गणेश मंत्रों का जाप, गणेश आरती द्वारा इस पर्व को मनाया जाता है.