बैसाखी 2025 । Baisakhi Festival 2025

वैशाख माह में आने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है बैसाखी. इस वर्ष यह त्यौहार 14 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा. बैसाखी का आगमन प्रकृत्ति के परिवर्तन को दर्शाता है. सूर्य का मेष राशि में प्रवेश बैसाखी का आगमन है. बैसाखी पर्व विशेष रुप से किसानो का पर्व है. भारत के उत्तरी प्रदेशो विशेष कर पंजाब में इस दिन किसानो की गेहूँ की फसल पक कर तैयार हो जाती है. अपने खेतों में गेहूँ की भरी बालियां देख कर किसान फूले नही समाते. इस दिन किसान नाच गाकर भगवान को अपना धन्यवाद प्रकट करते है.

बैसाखी पर्व क्यों मनाया जाता है | Why is Baisakhi Celebrated?

बैसाखी पर्व एक लोक परंपरागत त्यौहार है. किसान खरीफ की फसल के पकने पर अपनी खुशी के इजहार के रुप मे बैसाखी पर्व मनाते है. खेतो में गेहूँ के अलावा और भी फसलें उगाई जाती हैं जैसे दाले, तिल और गन्ना यह सभी फसलें गेहूँ के साथ ही तैयार हो जाती है.

पंजाब में इस समय खेतों में हर तरफ गेहूँ की बाकी हवा के साथ लहराती हुई मन को मोह लेती है. अपने भरे हुये खेतों को देख कर तथा अपनी मेहनत के इस रूप को देख किसान फूले नही समाते. इस दिन किसान गेहूँ  की कुछ बालियां अग्नि देव के समक्ष अर्पण करते हैं तथा कुछ भाग प्रसाद के रुप सभी लोगों को दिया जाता है. इस पर्व पर पंजाब के लोग अपने रीति रिवाज  के अनुसार भांगडा तथा गिद्धा करते हैं. गेहूँ के बीजा रोपण के दिन से किसान उसके तैयार होने के लिये जी तोड मेहनत करते हैं. इस दिन अपनी तैयार फसल को काटकर किसान खुशी के रुप में बैसाखीपर्व मनाते हैं.

बैसाखी पर्व पंजाब की लोक संस्कृति को दर्शाता है | Baisakhi Celebration in Punjab

बैसाखी पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और इसके आस पास के प्रदेशों में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है. यह पर्व यहां कुछ मुख्य बातों से जुड़ कर और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि एक तो यह खरीफ की फसल के पकने की खूशी लाता है और दूसरी ओर इसी दिन सिखों के दसवें गुरू गोविंदसिंह जी ने इस दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी. इस के अतिरिक्त इस समय सर्दियों की समाप्ति और गर्मीयों का आरंभ भी होता है अत: इसी के आधार स्वरुप लोक परंपरा धर्म और प्रकृति के परिवर्तन से जुडा़ यह समय बैसाखी पर्व की महत्ता को दर्शता है.

बैसाखी का त्यौहार पर्व नये संवत की शुरुआत का दिन होता है | Beginning of New Year on Vaisakhi

अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब वह समय हिदुओं के नव वर्ष का दिन होता है. इस दिन से नये संवत की शुरुआत होती है. इस दिन को संपूर्ण भारत में पर्व के रुप में मनाया जाता है. इस दिन लोग सुगंधित पकवान बनाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं.

इस दिन दुर्गा माता जी तथा शंकर भगवान की पूजा होती है. कई जगह व्यापारी लोग आज के दिन नये वस्त्र धारण करके अपने बहीखातों का आरम्भ करते हैं. यह पर्व सभी शिक्षा संस्थानों में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विद्यार्थीयों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है और प्रतिभावान विद्यार्थीयों को पुरस्कार बांटे जाते हैं.