गया । Gaya | Religious Places in Bihar | Gaya India

फल्गु नदी के तट पर बसा बिहार का प्रमुख शहर गया एक तीर्थ स्थल है. गया तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख स्थान है. श्राध  के महीने में बिहार के प्रमुख तीर्थस्थल गया में लगने वाले पितृ-पक्ष मेले में दूर-दूर से लोग यहां पितरों का श्राध करने आते हैं.मान्यता अनुसार यहां श्राध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गया के विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे विष्णुपद मंदिर, राम शिला, अक्षयवट, ब्रह्मयोनि पर्वत तथा फाल्गु नदी के तट पर व शहर के अन्य प्रमुख स्थान मौजुद हैं जो इस स्थल की गरिमा को बढाते हैं.

गया का सूर्य मंदिर | Sun temple of Gaya

औरंगाबाद जिले में स्थित है भगवान सूर्य का यह मंदिर सोन नदी के किनारे स्थित है. किंवदंतियां है कि सूर्य मंदिर के पत्थरों में विजय चिन्ह अंकित हैं जो यह दर्शाता है कि शिल्प के कलाकार विश्वकर्मा ने सूर्य मंदिर का निर्माण कर के ही शिल्प कला पर विजय प्राप्त की थी. सूर्य मंदिर देवार्क माना जाता है जो श्रद्धालुओं के लिए सबसे ज्यादा फलदायी एवं मनोकामना पूर्ण करने वाला है. छठ के पावन पर्व के अवसर पर यहां भारी तादात में देश-भर से लोग आते हैं इस अवसर पर यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है.

यह मंदिर अपनी उत्कृष्ठ शिल्प कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है. पत्थरों को तराश कर बनाए गया यह मंदिर पूर्वाभिमुख ना होकर पश्चिमाभिमुख है. मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा द्वारा किया गया है. मंदिर के बाहर संस्कृत में लिखे श्लोक अनुसार राजा इलापुत्र पुरूरवा ऐल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था और इतिहासकार इस मंदिर का निर्माण काल आठवीं-नौवीं सदी के मध्य को मानते हैं.

गया का विष्णुपद मंदिर | Vishnupad temple of Gaya

विष्णुपद मंदिर हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल है.पितृपक्ष के समय यहां पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के पदचिन्हों के निशान पर ही इस मंदिर का निर्माण हुआ है. यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से पितरों को बैकुंठ की प्राप्ति होती है. मंदिर में भगवान विष्णु के पांव के निशान देखे जा सकते हैं हिन्दू लोग इस मंदिर को अहम स्थान देते हैं.

बानाबर पहाड |Banaabar Mountain

गया से कुछ दूर उत्तर बेलागंज के पूरब मे स्थित है यह पर्वत  श्रृंखला भारत के अमूल्य पौराणिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों मे से एक है.बराबर पर्वत श्रृंखला प्रकृति के नैसर्गिंक सौंदर्य को अपने मे समेटे हुए प्रतीत होती है. इसका अपना पौराणिक इतिहास है महाभारत में बराबर पर्वत को गोरथगिरी के नाम से दर्शाया गया है.

इसमें लोमश ऋषिगुफा, कर्ण चौपार, सुदामा गुफा, विश्व झोपड़ी, गोपी गुफा व वेदांतिका गुफा प्रमुख हैं. इस पर्वत की सबसे ऊंची पहाड़ी पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है जो गुप्तकाल के समय का माना जाता है. सावन के महीने व अनंत चर्तुदशी के दिन यहां हजारों श्रद्धालु पुजा-अर्चना करने एवं जल चढ़ाने आते हैं. तथा बाबा सिद्धेश्वर नाथ पर जलाभिषेक करते हैं इस पर्वत के नीचे एक मीठे पानी का झरना भी है जिसे लोग पतालगंगा कहते हैं. इस पवित्र झरने में स्नान करने का बहुत महत्व है लोग यहां के जल से ही शिवलिंग का अभिषेक भी करते हैं.

इस पर्वत श्रृंखला पर मौर्य कालीन गुफाएं एवं शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं. बड़े-बड़े पहाडों को तराशकर बनायी गयी ये गुफाएं प्राचीन भारतीय वास्तुकला के अदभुत रूप हैं. बनाबर की सात गुफाओं को सतघरवा के नाम से भी जाना जाता है जिनमे से चार गुफाएं बराबर पहाड़ी पर स्थित हैं और अन्य तीन गुफाएं नागार्जुन पर्वत पर हैं.

प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेसांग ने भी अपनी भारत यात्रा के वृतांत में बराबर का उल्लेख किया है.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बराबर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. प्रसिद्ध ब्रिटिश उपान्यासकार ई एम फोस्टर ने यहां के बारे में विस्तृत रुप से वर्णन किया है व उन्होंने बनाबर पर्वत को किमाराबार नाम भी दिया.

ब्रह्मयोनि पहाड़ी | Brahmaoni Mountain

इस ब्रह्मïयोनि पर्वत पर गौतम ने आदित्य पर्याय सूत्र का उपदेश दिया था. गया पटना मार्ग पर लगभग विठो शरीफ, सूफी संत स्थल है तथा गया का महाबोधि मंदिर भी यह विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल माना जाता है यहीं गौतम बुद्ध  को ज्ञान प्राप्त हुआ था इसके साथ ही राजगिरी, नालंदा, वैशाली, पाटलीपुत्र प्राचीन समय मे शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे.

इस पहाड़ी की चोटी पर विशाल बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव का मंदिर है. इस स्थान का वर्णन रामायण में किया गया है किंवदंति है कि प्राचीन समय मे फल्गु नदी इसी पहाड़ी के ऊपर से बहती थी. परंतु माता सीता के श्राप से अब यह नदी पहाड़ी के नीचे से बहती है. यह पहाड़ी हिन्दुओं के लिए काफी पवित्र तीर्थस्थानों में से एक है यहां पर पिंडदान का विशेष महत्व होता है.

कोटेस्वरनाथ | Koteswarnatha

कोटेस्वरनाथ शिव मन्दिर मोरहर नदी के किनारे मेन गाँव में स्थित है. यहाँ हर वर्ष शिवरात्रि में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें काफी संख्या में भक्त लोग यहां पहुँचते हैं.

इसके अलावा गया का महाबोधि मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल माना जाता है यहीं गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था इसके साथ ही राजगिरी, नालंदा, वैशाली, पाटलीपुत्र प्राचीन समय मे शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे. गया हिंदू एवं बौद्ध दोनों धर्मों का श्रद्धा केंद्र है. फल्गू नदी के  किनारे बसा यह एक रमणीक स्थल है पर्वत-शृंखलाओं एवं पवित्र फल्गू नदी की लहरें इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढाती है.