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सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना ''संक्रांति '' कहलाता है और सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने को मीन संक्रांति कहते हैं. पंचांग के अनुसार सूर्यदेव 14 मार्च को कुंभ राशि की यात्रा समाप्त करके मीन राशि में
सौर पंचांग का आरंभ मेष संक्रांति से होता है. सूर्य जब मीन राशि से निकल कर मेष राशि में प्रवेश करता है, तो मेष संक्रांति होती है. जिस तरह से मीन राशि में सूर्य का होना सौर कैलेंडर का आखिरी महीना होता है उसी तरह से मेष
कार्तिक संक्रान्ति हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों मे से एक है. सूर्य जब तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो कार्तिक संक्रांति पर्व को मनाया जाता है. यह पर्व अक्टूबर माह के मध्य के समय पर आता है. कार्तिक संक्रान्ति का पर्व
भाद्रपद माह में सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश करना भाद्रपद संक्रान्ति कहलाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की संक्रान्ति के समय भगवान सूर्य का पूजन और भगवान श्री कृष्ण का पूजन विशेष रुप से होता है. संक्रान्ति
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है. 14/15जनवरी 2024 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है. इस पर्व को दक्षिण भारत में तमिल वर्ष की शुरूआत इसी दिन से होती है. वहाँ यह पर्व 'थई पोंगल' के
पौष संक्रांति पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे. पौष संक्रांति पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे. पौष संक्रांति का आरंभ 16 दिसंबर 2024, को होगी. हिन्दुओं के पवित्र पौष माह में आने वाली संक्रांति के दिन गंगा-यमुना
श्रावण संक्रांति में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. श्रावण संक्रान्ति का समय 16 जुलाई 2024 को आरंभ होगा. संक्रांति के पुण्य काल समय दान, जप, पूजा पाठ इत्यादि का विशेष महत्व होता है इस समय पर किए गए दान पुण्य का कई
चैत्र संक्रांति में सूर्य, 14 मार्च 2024 , के दिन, मीन राशि में प्रवेश करेंगे. चैत्र संक्रांति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल सांय काल बाद से आरंभ हो जाएगा. इस पुण्य काल में दान- स्नान आदि कार्य करने अति
ज्येष्ठ संक्रांति में सूर्य वृष राशि में प्रवेश करेंगे यह संक्रांति 15 मई, 2024 को आरंभ होगी. इस पुण्य काल के समय दान, स्नान एवं जप करने से अमोघ फलों की प्राप्ति होती है. इस मास में संक्रान्ति, गंगा दशहरा व निर्जला
आषाढ़ संक्रांति में सूर्य मिथुन राशि में प्रेवश करेंगे. आषाढ़ संक्रान्ति 15 जून 2024 को मनाई जाएगी. संक्रांति पुण्य काल समय में दान-धर्म,कर्म के कार्य किये जाते हैं. जिनसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आषाढ संक्रांति के