चैत्र संक्रांति 2025 | Chaitra Sankranti 2025 Celebrations
चैत्र संक्रांति में सूर्य, 14 मार्च 2025 , के दिन, मीन राशि में प्रवेश करेंगे. चैत्र संक्रांति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल सांय काल बाद से आरंभ हो जाएगा.
इस पुण्य काल में दान- स्नान आदि कार्य करने अति शुभ माने जाते हैं. तीर्थ या धार्मिक स्थलों में स्नान करने के लिये पुण्य काल को लिया जा सकता है. सूर्य संक्रांति का पर्व सूर्य की आराधना-उपासना का पावन पर्व होता है, जो तन-मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है. भारत में संक्रांति का यह पावन पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है.
चैत्र संक्रांति उपासना पर्व | Chaitra Sankranti Fast Festival
संक्रांति वक्त ईष्ट या भगवान की पूजा, ध्यान और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है. इस समय ज्ञान, शांति, निरोग और सुंदर शरीर प्राप्त होता है. भगवान का स्मरण इस काल में बहुत पुण्य देता है. इस समय वातावरण और वायु भी स्वच्छ होती है. ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं. हिन्दू माह चैत्र संक्रांति का दिन धार्मिक और लोक मान्यताओं में बहुत ही शुभ माना जाता है. जिसका कारण धर्मग्रंथों और मान्यताओं से जुड़े तथ्य और शुभ अवसरों का संयोग है, इनका संबंध अलग-अलग युग-काल से रहा है.
इस दिन को धार्मिक दृष्टि से ही पवित्र एवं शुभ नहीं माना जाता बल्कि व्यावहारिक रूप से भी उत्तम माना गया है. इस दिन हम मन, विचार और कर्म में सृजन का भाव रखें और विनाशक प्रवृत्तियों को छोड़े. जीवन में सत्य को उतारें एवं सात्विक जीवन व्यतीत करें. जीवन धर्म यानी मन, वचन और कर्म में सत्य और पवित्र भावों का समायोजन करके कोई भी व्यक्ति सुख, पद और प्रतिष्ठा से वंचित नहीं रहता.
चैत्र संक्रांति महत्व | Significance of Chaitra Sankranti
पर्वो को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इन पर्वो में कई प्रकार की शास्त्रोक्त विधि संबंधी प्रार्थनाएं सम्मिलित हैं. इसी में चैत्र संक्रांति एक बहुत ही मंगलकारी पर्व है और यह लगभग देश के सभी प्रांतों में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. यह सांस्कृतिक पर्व बहुत ही उत्साह, धर्म निष्ठा और आनंद के साथ मनाया जाता है.
इस माह में सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ रही होती है. उत्तरायण काल में सूर्य उत्तर की ओर उदय होता दिखता है और उसमें दिन का समय बढ़ता जाता है. इस शुभ दिन का आरंभ प्राय: स्नान और सूर्य उपासना से आरंभ होता है. ऐसी धारणा है कि ऐसा करने से स्वयं की तो शुद्धि होती ही है, साथ ही पुण्य का लाभ भी मिलता है.
इस दिन गायत्री महामंत्र का श्रद्धा से उच्चारण किया जाना चाहिए क्योंकि गायत्री मंत्र सूर्य को समर्पित है, जिससे बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुसार इस दिन दान- पुण्य आदि करते हैं. घर परिवार के बड़े बुजुर्ग सदस्य इस दिन अन्न, वस्त्र और धन आदि का दान करते हैं. घरों में ख़ास व्यजंन एवं मिष्ठान आदि बनाए जाते हैं.