Articles in Category Hindu Gods

एकादशी जन्म कथा : क्यों और कब हुआ एकादशी का जन्म और कैसे बनी मोक्ष देने वाली

एकादशी तिथि को उन विशेष तिथियों में स्थान प्राप्त है जिनके द्वारा व्यक्ति मोक्ष की गति को पाने में भी सक्षम होता है. एक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी दोनों का ही विशेष

सुब्रहमन्य षष्ठी : सुब्रहमन्य षष्ठी कथा और पूजा महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सुब्रहमन्य षष्ठी के नाम से मनाया जाता है. सुब्रहमन्य भगवान का पूजन इस दिन भक्ति भाव के साथ किया जाता है. शिव के दूसरे पुत्र को

अगहन एकादशी : मार्गशीर्ष माह की विशेष एकादशी

अगहन माह एकादशी अगहन माह में आने वाली एकादशी तिथि को बहुत ही शुभ और खास माना गया है. चतुर्मास में हर प्रबोधनी के पश्चात आने वाली ये एकादशी श्री हरि पूजन और एकादशी के जन्म को दर्शाती है. अगहन माह में

अगहन अमावस्या : साल की सबसे खास अमावस्या

अगहन मास भक्ति और समर्पण से भरा होता है. ऎसे में इस माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से जाना जाता है. साल भर में आने वाली सभी अमावस्या में से विशेष यह अगहन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रुप में पूजा जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजन विधि विधान के साथ करते हैं. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और

त्रिपुरारी पूर्णिमा : जानें त्रिपुरारी पूर्णिमा कथा और महत्व

त्रिपुरारी पूर्णिमा एक ऐसा त्यौहार है जो हिंदुओं, सिखों और जैनियों द्वारा की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. यह उत्सव मनाने वालों के लिए साल का सबसे पवित्र महीना है. त्रिपुरी पूर्णिमा को बहुत से नामों के

जगद्धात्री पूजा कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है

जगद्धात्री पूजा: देवी दुर्गा का स्वरुप कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में देवी दुर्गा के एक स्वरुप का पूजन जगद्धात्री पूजा के नाम से किया जाता है. जगद्धात्री पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को

कंद षष्ठी - छह दिवसीय उत्सव

कंद षष्ठी - छह दिवसीय उत्सव कंद षष्ठी भारत के दक्षिण भाग में धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है जो भगवान मुरुगन को समर्पित है. कंद षष्ठी को स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. कंद षष्ठी, जिसे कंदा

यम द्वितीया : यमराज पूजन से दूर होता है अकाल मृत्य का भय

हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीया का त्यौहार मनाया जाता है. भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज का त्योहार हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. यम द्वितीया का त्योहार

शारदा पूजा : दीपावली पर होता है देवी शारदा का विशेष पूजन

शारदा पूजा दिवालि के दिन की जाने वाली विशेष पूजा है जो देश भर में भक्ति भाव के साथ की जाती है. विशेष रुप से गुजरात में शारदा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है जिसे चोपड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है.

केदार गौरी व्रत और पूजा विधि

केदार गौरी व्रत को दीपावली के दिन किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार यह व्रत देवी पार्वती ने रखा था. देवी ने जब भगवान का आधा शरीर पाया तब भगवान अर्धनारीश्वर कहलाए. कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती

देव उठनी एकादशी : श्री हरि सहित देवताओं के जागने का समय

देव उठनी एकादशी : श्री हरि सहित देवताओं के जागने का समय देव उठनी एकादशी, कार्तिक माह में आने वाली एकादशी है जो साल भर आने वाले सभी एकादशियों में कुछ विशेष स्थान रखती है. मान्यताओं के अनुसार देव उठनी

करक चतुर्थी कथा और महत्व

करक चतुर्थी का उत्सव कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में मनाया जाता है. करक चतुर्थी की रस्में क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हों, लेकिन सार एक ही है जो भक्ति, आस्था और विश्वास को दर्शाने वाला समय

पद्मनाभ द्वादशी : जानें पद्मनाभ द्वादशी कथा और महत्व

द्वादशी का व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को रखा जाता है. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पद्मनाभ द्वादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार ये व्रत 14 अक्टूबर

दुर्गा विसर्जन : दुर्गा पूजा से लेकर विदाई तक का समय

दुर्गा विसर्जन नवरात्रि के अंतिम दिन का प्रतीक है जिसे भक्त उत्साह के साथ मनाते हैं. देश भर के अलग अलग हिस्सों में इसे मनाते हुए देख अजा सकता है. अलग अलग स्थानों में अलग अलग रंग रुप लिए ये दिन विशेष

दर्श अमावस्या क्यों मनाई जाती है?

हर माह आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक माह आने वाले कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस अमावस्या पर पितरों का

क्यों की जाती है संधि पूजा ? जानें संधि पूजा महत्व

संधि पूजा देवी दुर्गा के निमित्त किया जाने वाला विशेष अनुष्ठान होता है. इसे विशेष रुप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम जी द्वारा किया गया था संधि पूजन. संधि पूजा

शिव वास और इसके नियम

शिव वास अपने नाम के अनुरुप भगवान शिव के निवास स्थान की स्थिति को बताता है. शिव वास की स्थिति को जानकर भगवान शिव के रुद्राभिषेक को करना शुभफल देने वाला होता है. शिव वास के नियमों के द्वारा जान सकते

अमावस्या योग ज्योतिष के नजरिये से शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष अनुसार किसी भी राशि में सूर्य और चंद्रमा की युति का अंशात्मक रुप से करीब होना अमावस्या तिथि और अमावस्या योग कहा जाता है. धर्म शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र अनुसार अमावस्या का महत्व बहुत ही

पितृ आरती और पितर चालिसा : पितर देवों की आरती से प्रसन्न होंगे समस्त पितृ

पितरों का पूजन वंश को समृद्धि और वंश वृद्धि देने वाला मार्ग होता है. पितरों का पूजन अमावस्या तिथि एवं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के दोरान श्राद्ध पक्ष में किया जाता है. पितरों को मनाने के लिए कई तरह के