दर्श ज्येष्ठ अमावस्या : जानें दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पूजा, महत्व और प्रभाव
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या को बहुत ही विशेष तिथि के रुप में पूजा जाता है. इस तिथि को "दर्श ज्येष्ठ अमावस्या" कहा जाता है. इस अमावस्या तिथि पर पूजा-पाठ और स्नान के लिए विशेष पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है. इस समय पर पितरों का पूजन किया जाता है. हिंदू पंचांग में अमावस्या तिथि को लेकर कई मत हैं. कुछ लोग इस दिन को कुछ खास कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण मानते हैं. श्राद्ध तर्पण से जुड़े काम इस अमावस्या के दिन विशेष होते हैं। शनि देव का पूजन शिव गोरी पूजन श्री हरि पूजन इस दिन विशेष माना गया है\
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पूजा अनुष्ठान
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर चंद्रमा की शक्ति कमजोर हो जाती है. अमावस्या की रात अंधेरी होती है क्योंकि चांदनी नहीं होती. इस वातावरण में नकारात्मकता का प्रभाव भी अधिक होता है. इसलिए इस समय तंत्र से जुड़े काम किए जाते हैं. कहा जाता है कि यह रात तांत्रिकों के लिए खास होती है क्योंकि इस अमावस्या पर वे अपनी सिद्धियों से अलग-अलग शक्तियों को जागृत करते हैं.
अमावस्या पर पवित्र जल में स्नान का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है. अमावस्या पर स्नान का महत्व पूर्णिमा के स्नान जितना ही है. इस दिन स्नान करने से भक्त के अंदर मौजूद सभी नकारात्मक तत्व दूर हो जाते हैं. मानसिक शक्ति प्राप्त होती है और विचारों में शुद्धता आती है. शरीर स्वस्थ होता है और बुरी शक्तियां भी दूर रहती हैं. स्नान से कुछ ग्रह नक्षत्रों से सकारात्मकता भी मिलती है.
भक्त. इस दिन, आपको सुबह उठकर अपने इष्ट देव का स्मरण करते हुए ध्यान करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पीपल का पेड़ लगाने और उसकी पूजा करने का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि जिनके संतान नहीं होती उन्हें चमत्कारी परिणामों के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. ब्रह्मा, विष्णु और शिव यानी त्रिदेव पीपल के पेड़ में निवास करते हैं. पुराणों के अनुसार पीपल का पेड़ लगाने से सैकड़ों यज्ञों के बराबर फल मिलता है और व्यक्ति के जीवन के सकारात्मक कर्मों में वृद्धि होती है. पीपल के पेड़ की पूजा करने से पापों का नाश होता है, धन-धान्य की प्राप्ति होती है. जब कोई पीपल के पेड़ की प्रदक्षिणा करता है, तो उसकी आयु में वृद्धि होती है.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या प्रभाव
निर्णय सिंधु जैसे शास्त्रों में दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर दान के महत्व के बारे में बताया गया है. इस दिन दिव्यांगों और गरीबों को दान अवश्य करना चाहिए. ब्राह्मणों को भोजन कराने से सहस्त्र गोदान के बराबर फल मिलता है. अमावस्या के दिन दूध या किसी अन्य सफेद वस्तु का दान करने से चंद्रमा से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं.
अमावस्या के दिन सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने पितरों के निमित्त दान करना है. व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर पितरों के निमित्त सभी कार्य करने चाहिए. इस दिन दान करने से सभी नौ ग्रह प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन से समस्याएं दूर होती हैं.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर किन कार्यों को नहीं करना चाहिए
मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. पैसे उधार नहीं लेने चाहिए.कोई नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए. दर्श ज्येष्ठ अमावस्या का प्रभाव महीने के अनुसार और ग्रह नक्षत्रों के माध्यम से अलग-अलग राशि के लोगों पर पड़ता है. इसलिए इस दिन गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए, व्रत रखना चाहिए और भगवान की पूजा करनी चाहिए.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या करना चाहिए
दर्श अमावस्या के दिन गाय, कुत्ते और कौओं को भोजन कराएं. पीपल और बड़ के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. पीपल के पेड़ पर सूत बांधना चाहिए और कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए. पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. काले तिल का दान करें. दीपक भी जलाना चाहिए. दर्श ज्येष्ठ अमावस्या शुभ लाभ इस दिन पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं. संतान प्राप्ति और संतान प्राप्ति से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं. अपमान और बुरी नजर से दूर रहता है. इस दिन सभी तरह के कार्यों को पूरा करने में मदद मिलती है.कर्ज से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही एक और महत्वपूर्ण त्योहार "वट सावित्र" भी मनाया जाता है. वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं. इस दिन पूजा करने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन सत्यवान और सावित्री की कथा सुनी जाती है और पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या शिव गौरी पूजा
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा शुभदायक होती है. इस दिन का पूजन से भक्तों को हमेशा सौभाग्य की प्राप्ति होती है. दर्श ज्येष्ठ अमावस्या पर शाम के समय किसी पवित्र नदी के तट पर या किसी मंदिर में दीप दान करने की भी सदियों पुरानी परंपरा है. पीपल के पेड़ की पूजा करना, उसके सामने दीपक जलाना और उसकी परिक्रमा करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे जीवन में बहुत शुभता आती है.
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या शनि जन्मोत्सव
दर्श ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था. इसलिए शनि जयंती के कारण इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है. इस दिन शनिदेव से जुड़े मंत्रों और स्तोत्रों का जाप किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को नौ महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को मनुष्य के सभी अच्छे-बुरे कर्मों का न्यायकर्ता माना गया है. इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. इससे शनिदेव से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं.
शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस अमावस्या के अवसर पर शनिदेव से संबंधित अनुष्ठान करने, व्रत रखने और दान करने से शनि से संबंधित सभी कष्ट दूर होते हैं और अच्छे कर्मों की प्राप्ति होती है. शनि पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पीपल के पेड़ के सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. शनि मंत्र "ॐ शनैश्चराय नमः" का जाप करना चाहिए. इस दिन शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे तिल, उड़द, काला कंबल, लोहा, वस्त्र, तेल आदि का दान करना चाहिए.