कनिष्ठिका अंगुली के पोरों का अध्ययन | Analysis of Phalanges in Little Finger
हर अंगुली का अपना अलग महत्व माना गया है. प्रत्येक अंगुली जीवन के किसी ना किसी एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है. आज हम कनिष्ठिका अंगुली के पोरो का अध्ययन करेगें. कनिष्ठिका को सबसे छोटी अंगुली कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे लिटल फिंगर के नाम से जाना जाता है. अन्य सभी अंगुलियों से इसका अत्यधिक महत्व माना गया है. यह अंगुली व्यक्ति के बौद्धिक विकास की क्षमता बताती है. आइए इसके पोरों की विशेषताओं के बारे में जाने.
कनिष्ठिका अंगुली का पहला पोर | First Phalange in Little Finger
आइए सबसे पहले कनिष्ठिका अंगुली के प्रथम पर्व के बारे में जानने का प्रयास करें. इस अंगुली का पहला पोर लंबा होने से व्यक्ति किसी भी कला के माध्यम से अपने मन के भाव प्रकट करता है. लेकिन यदि पहला पोर लंबा हो और यह अंगुली उच्च स्थिति में नहीं हो तब व्यक्ति वाकपटु नहीं होता है.
वाकपटुता के लिए इस अंगुली को हथेली में उच्च स्थिति में होना चाहिए. यह अंगुली निम्न स्थिति में है तो ऎसा व्यक्ति लेखो के माध्यम से अपनी बात कहता है.
कनिष्ठिका अंगुली का दूसरा पोर | Second Phalange in Little Finger
कनिष्ठिका अंगुली के दूसरे पर्व की बात करते हैं. इस अंगुली का दूसरा पोर बड़ा होने पर व्यक्ति चिकित्सा जगत में निपुण होता है. चिकित्सा शास्त्र के क्षेत्र में व्यक्ति की योग्यता उभर कर आती है और वह अपनी पहचान बनाता है.
इसके अतिरिक्त व्यक्ति ऎसी विद्याओं में कुशल होता है जो जीवन में व्यवहारिक रुप में काम आती हैं. जिनसे अन्य व्यक्ति लाभान्वित होते हैं.
कनिष्ठिका अंगुली का तीसरा पर्व | Third Phalange in Little Finger
इस अंगुली के तीसरे पर्व की ओर बढ़ते हैं. इस अंगुली का तीसरा पोर लंबा होने पर व्यक्ति की बुद्धि व्यवसायिक होती है और व्यक्ति हर बात में बहुत ही व्यवहारिक होता है. व्यक्ति हर बात को नफे नुकसान के रुप में तौलकर देखता है और तब आगे बढ़ता है. व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि का होता है तथा हर बात में निपुण व कुशल होता है.व्यक्ति अपनी बुद्धि चातुर्य के बल पर जीवन के सभी सुख प्राप्त करता है.
कनिष्ठिका का सिरा | Top End of Little Finger
कनिष्ठिका अंगुली के सिरे की बात करते हैं क्योकि इस अंगुली का पहला सिरा भी बहुत महत्व रखता है. कनिष्ठिका पहला सिरा गोल होने पर व्यक्ति हाजिरजवाब होता है. पहला सिरा नुकीला होने पर व्यक्ति में चतुरता के साथ उसके कार्यों में कलात्मकता का भी भाव होता है.
पहला सिरा चौकोर होने पर व्यक्ति की बुद्धि में व्यवहारिकता बढ़ जाती है. हर काम को व्यवहारिकता की कसौटी पर परखते हुए करता है. यह सिरा मूसलाकार होने से व्यक्ति सिविल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र में कुशल होता है.
कनिष्ठिका के संबंध में अन्य उपयोगी बातें | Other Important Information about Little Finger
अंत में इस अंगुली के बारे में कुछ अन्य बातें जानने का प्रयास करते हैं. अधिकतर सभी हाथों में सामान्य कनिष्ठिका अंगुली अन्य अंगुलियों की तुलना में पतली होती है.यदि यह अंगुली अन्य अंगुलियों की तुलना में मोटी होती है तब व्यक्ति में काम भाव अधिक मात्रा में होता है.
इस अंगुली के मोटा होने के साथ यदि शुक्र पर्वत व आक्रामक मंगल भी बली है तब व्यक्ति अपनी काम पूर्ति के लिए सामाजिक नियमों की परवाह भी नहीं करता है. इस अंगुली के मुड़ा-तुड़ा होने पर व्यक्ति अपने कार्यों की सिद्धि के लिए छल तथा प्रपंच करने वाला होता है. कनिष्ठिका अंगुली हथेली में सामान्यत: निम्न स्थिति में होती है.
यदि यह निम्न स्थिति में है तब ऎसा व्यक्ति दूसरों की बातों में जल्दी आता है.निम्न स्थिति वाला व्यक्ति अपनी बात मनवाने की कला ही नहीं जानता है कि कैसे अपनी बात को मनवाया जाता है. यदि कनिष्ठिका हथेली में उच्च स्थिति में हो तब व्यक्ति में अकड़ बहुत होती है.