तर्जनी व मध्यमा अंगुलियों का अध्ययन | Analysis of Index and Middle Finger
हस्त रेखाओं का अपना स्वतंत्र महत्व माना गया है. हस्तरेखा शास्त्र में रेखाओं के साथ अंगुलियों का भी बहुत महत्व होता है. हाथ का आकार व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोध कराने में एक अहम भूमिका निभाते हैं, जिसमें अंगुलियों से व्यक्ति के स्वभाव व व्यवहार का विश्लेषण किया जाता है. आज हम अंगुलियों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेगें.
पहली अंगुली तर्जनी का विश्लेषण | Analysis of Index Finger
अंगुलियो के अध्ययन का आरंभ हम पहली अंगुली से करते हैं. इस अंगुली को तर्जनी अंगुली भी कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे “इन्डेक्स फिंगर” भी कहते हैं. यह अंगुली “मैं” के बारे में बताती है. मैं अर्थात अहं के बारे में बताती है कि व्यक्ति में अहं की भावना कितनी है? इसी अंगुली से व्यक्ति में छिपे नेतृत्व के गुणों का पता चलता है.
तर्जनी अंगुली की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये अंगुली एकदम सीधी खड़ी होती है. आप बाकी अंगुलियों को मोड़कर अगर इसे सीधा खड़ा करते हैं तब यह हो जाती है. आप जब किसी की ओर इशारा करते हैं तब इसी अंगुली को सीधा खड़ा कर के करते हैं.
इस अंगुली के मूल में गुरु पर्वत होने से यह गुरु पर्वत का प्रतिनिधित्व भी करती है. मध्यमा अंगुली से थोड़ा छोटी लेकिन अनामिका अंगुली के लगभग समान रहने वाली तर्जनी को सामान्य माना गया है लेकिन सामान्य से लंबी होने पर व्यक्ति मान सम्मान पाने की चाह मन में रखता है.
सामान्य से लंबी होने पर व्यक्ति सम्मान के साथ सत्ता पाने की इच्छा भी मन में रखता है. यदि तर्जनी अंगुली सामान्य से छोटी है तब व्यक्ति उत्तरदायित्वों से बचता है और जीवन में किसी प्रकार की कोई महत्वाकांक्षा नहीं होती है. व्यक्ति अपने मन से नहीं चलता है, वह दूसरों का अनुकरण करता है अर्थात अनुगामी होता है.
यदि तर्जनी अंगुली अनामिका के बराबर है तब व्यक्ति जीवन में सम्मानित व यशस्वी होता है और यदि यह अंगुली अनामिका से लंबी है तब व्यक्ति अधिनायक (डिक्टेटर) बनने की चाहत अपने मन में पाल कर रखता है.
तर्जनी अंगुली के अनामिका से छोटी होने पर व्यक्ति जिम्मेदारियों से भागने वाला होता है. ऎसा व्यक्ति सदा ही हीन भावना से ग्रस्त रहता है. अगर यह अंगुली किसी व्यक्ति के हाथ में टेढ़ी-मेढ़ी है तब ऎसा व्यक्ति खुशामद पसंद करने वाला होता है. अगर टेढ़ी होने के साथ छोटी भी है तब ऎसा व्यक्ति का स्वभाव गिरा हुआ हो सकता है. नीयत भी अच्छी नहीं होती है.
मध्यमा अंगुली की विशेषताएँ | Characteristics of Middle Finger
इस स्लाईड में हम मध्यमा अंगुली का विश्लेषण विस्तार से करेगें. मध्यमा अंगुली को समन्वय(coordination) अथवा सामंजस्य की अंगुली भी कहा गया है. इस अंगुली के एक ओर अहं भाव लिए तर्जनी अंगुली है और दूसरी ओर प्रदर्शन की अंगुली अनामिका है. इन दोनो के मध्य में यह मध्यमा अंगुली रहती है.
तर्जनी व अनामिका की बढ़ी हुई इच्छाओं को यह अंगुली नियंत्रित करती है. यह अंगुली अपने दोनो ओर की अंगुलियों की इच्छाओं को संयत करने का प्रयास करती है.इस अंगुली के मूल में शनि पर्वत स्थित होता है इसलिए इसे शनिे अंगुली भी कहा जाता है. यह शनि पर्वत का प्रतिनिधित्व भी करती है. सामान्य मध्यमा अंगुली तर्जनी व अनामिका से लंबी होती है. सामान्य होने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है.
मध्यमा यदि सामान्य है तब व्यक्ति में सौम्यता व स्थिरता के गुण मौजूद होते है. यदि मध्यमा सामान्य से लंबी है तब व्यक्ति किसी से मेलजोल नही बढ़ाता है. वह अपने संबंधियों से भी भागता है. ऎसा व्यक्ति एकांतप्रिय होता है और भीड़भाड़ से दूर रहता है.
सामान्य से छोटी मध्यमा होने पर व्यक्ति में गंभीरता नहीं होती है. ऎसा व्यक्ति कंजूस प्रवृति का होता है और उसमें छिछोरापन भी बहुत देखा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति की मध्यमा अंगुली टेढ़ी-मेढ़ी है तब यह दुर्भाग्य की सूचक मानी जाती है. ऎसे व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.