अनामिका अंगुली के पोरों का अध्ययन | Analysis of Phalanges in Ring Finger
सामुद्रिक शास्त्र में बहुत सी विद्याएँ आती है जिनमें हस्त रेखा विज्ञान का अपना ही महत्वपूर्ण स्थान है. जिन व्यक्तियों को अपनी जन्म कुंडली नही पता है उनके लिए यह विद्या अत्यंत लाभकारी है. हस्तरेखा शास्त्र में हर बात का महत्व है इसलिए आज हम अनामिका अंगुली के पोरों का अध्ययन करेंगे. अनामिका अंगुली हाथ की तीसरी अंगुली होती है और अंग्रेजी में इसे रिंग फिंगर कहते हैं.
अनामिका उंगली की लम्बाई जातक के व्यक्तित्व पर अपना विशेष प्रभाव छोड़ती है. इस उंगली का तर्जनी उंगली से लम्बा होना जातक में प्रेम का भाव बढ़ाने वाला होता है. वह दया की भावना रखता है. व्यक्ति भावुक भी होता है. कई बार भावनात्मक रुप से कमजोर हो कर दूसरों के प्रभाव में भी जल्द ही आ जाते हैं. पर अगर ये कुछ ज्यादा लम्बी हो तब इस स्थिति में जातक स्वार्थी भी हो सकता है. जातक अधिक खर्चीला भी हो सकता है.
अनामिका का पहला पोर | First Phalange in Ring Finger
यदि व्यक्ति की अंगुली का पहला पर्व बड़ा है तब ऎसा व्यक्ति सुंदर वस्तुओं का दीवाना होता है. हर सुंदर वस्तु व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है. यदि पहला पोर गोलाकार भी हो तब व्यक्ति कला का भी पुजारी होता है, कला के प्रति उसका प्रेम रहता है. व्यक्ति को ऎसे बिजनेस भी फायदा देते हैं जो फैशन इंडस्ट्री से जुड़े होते हैं. इसके साथ ही कला के क्षेत्र में भी व्यक्ति अपना काम शुरु कर सकता है.
यह पर्व बड़ा होने के साथ यदि मूसलाकार भी है तब व्यक्ति सुंदरता का लाभ उठाता है. ऎसा व्यक्ति सुंदर चीजों की पहचान से ही अपना जीविकोपार्जन करता है. अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने में भी वो बहुत अच्छी से निपुण होता है. यदि पहला पोर छोटा व चौकोर है तब ऎसा व्यक्ति आदर्शवादी होता है. व्यक्ति के सिद्धांत होते हैं और उन पर चलने की उसकी कोशिश भी होती है.
अनामिका अंगुली के दूसरे पर्व का अध्ययन | Second Phalange in Ring Finger
अनामिका के दूसरे पर्व की चर्चा करते हैं. यदि अनामिका अंगुली का दूसरा पर्व लंबा है तब व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में योग्यता प्राप्त करता है. दूसरा पर्व लंबा होने पर व्यक्ति ललित कलाओं से संबंधित व्यापार करता है और इन कलाओं से व्यक्ति को लाभ भी मिलता है. व्यक्ति ऎसी ललित कलाओं का व्यापार करता है जो प्रदर्शनी के साथ व्यक्ति को मानसिक सुकून व शांति भी प्रदान करती हो.
इस पोर के बड़ा होने पर जातक स्वयं के भीतर छुपी हुई प्रतिभा को सभी के सामने लेकर आने की पूरी कोशिश करता है. व्यक्ति प्रयास करने से पिछे नहीं हटता है. परिश्रम करता है और स्वयं को सबसे अलग दर्शाने की कोशिश करता है.
अनामिका का तीसरा पोर | Third Phalange in Ring Finger
आइए अब तीसरे पर्व की बात करते हैं. इस अंगुली का तीसरा पोर बड़ा होने पर व्यक्ति आडंबर करने वाला होता है. ऎसे व्यक्ति की साजो - सज्जा में अधिक रुचि होती है. यदि यह पर्व मोटा है तब व्यक्ति सजावट की में फूहड़पन अधिक झलकता है. इस पोर के कमरनुमा पतला होने पर सजावट में कलात्मकता की झलक नजर आती है.
व्यक्ति के भीतर ऎसे गुण होंगे जिसमें वह दिखावे की प्रवृत्ति को लेकर अधिक चलता है. कुछ मामलों में अलग-थलग सा भी पड़ जाता है. व्यक्ति कई बार नशे इत्यादि की लत के प्रति भी बहुत जल्द ही पड़ जाता है. कई बार दिखावे के चक्कर में अपने लिए ही नुकसान की स्थिति को उठाता है. लोगों के मध्य उपहास का पात्र भी बन बैठता है.
अनामिका की अन्य विशेषताएँ | Other Characteristics of Ring Finger
अंत में हम अनामिका अंगुली की कुछ अन्य विशेषताओं को जानने का प्रयास करते हैं. इस अंगुली का उदगम स्थल अन्य अंगुलियों से नीचे होने पर यह निम्न स्थिति में मानी जाती है. हाथ में अनामिका की निम्न स्थिति होने पर व्यक्ति में सहानुभूति की कमी पाई जाती है. यदि यह अंगुली हाथ में उच्च स्थिति में है तब अनुकूल मानी जाती है.
अनामिक उंगली के नीचे स्थान पर सूर्य पर्वत का स्थान होता है.ऎसे में यह व्यक्ति के मान सम्मान की स्थिति को बहुत ही अच्छे से समझाने वाली भी बनती है. यह व्यक्ति के स्वाभिमान को दर्शाती है. इस उंगलीमें मौजूद यदि किसी प्रकार की धब्बा या निशान काले रंग का हो तो ये स्थिति व्यक्ति को दब्बू बना सकती है.
अपने भाई बंधुओं के प्रति व्यक्ति लगाव बहुत रखता है. वह अपने साथ-साथ दूसरे अपने प्रिय जनों के प्रति निष्ठा भाव को भी दिखाता है. जीवनसाथी के प्रति निष्ठा भाव होता है. उंगली के पर्व में मौजूद चक्र व्यक्ति को प्रभावशाली बनाता है लेकिन जीवन में कई चीजों के कारण उतार-चढा़व भी बने रहते हैं.
व्यक्ति में स्वतंत्र रुप से जीवन जीने की इच्छा भी होती होती है. व्यक्ति चाहता है की उसे जीवन जीने की पूर्ण आजादी मिले, अपने जीवन को सुख सुविधाओं से जी सके. अनामिका उंगली छोटी होने पर जातक चालबाजियां अधिक करता है. इस उंगली का प्रत्येक पोर जब एक सामान रुप का होता है तो ऎसे में व्यक्ति संतुलित रहता है. समझदारी के साथ आगे बढ़ता है.