गुरु पर्वत के सामान्य लक्षण | General Characteristics of Guru Parvat (Mount of Jupiter)
हथेली पर गुरु का प्रभाव जातक को एक अच्छा बोलने वाला है. व्यक्ति दूसरों को लेकर बहुत समझाने वाला होता है. बृहस्पति की हथेली पर शुभ स्थिति उसे लोगों के मध्य प्रसिद्धि देने वाली होती है. व्यक्ति मुखिया बन सकता है. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी उन्नती करता है. गुरु पर्वत का उन्नत होना व्यक्ति में अहम को बढ़ाने वाला होता है. व्यक्ति के शरीर में चर्बी की अधिकता हो सकती है और मधुमेह जैसे रोग दे सकते हैं.
हथेली पर गुरु पर्वत में स्थिति रेखाएं और अलग तरह के चिन्ह का होना भिन्न भिन्न फलों को दर्शाता है.
तर्जनी के आधार पर स्थित पर्वत गुरु के पर्वत के रूप में जाना जाता है। यह व्यक्ति मे नेतृत्व, वर्चस्व, अधिकार, गर्व, आत्म-प्रशंसा और सम्मान की हद तक का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को शासन का नेतृत्व करने वाला तथा संगठित करने एवं असामान्य विचार पर काम करने की इच्छा को दर्शाता है लेकिन, यह अच्छे गुण केवल तभी कार्यान्वित हो सकते हैं यदि मस्तिष्क रेखा लंबी और स्पष्ट हो।
गुरु पर्वत की ऊंचाई | Elevation of the Guru Parvat
विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे मे रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नही होती है।
गुरु पर्वत से संबंधित उंगलियां | Finger Related to Guru Parvat
गुरु की उंगली तर्जनी उंगली होती है। यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति मे ये विशेषताएँ लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।
गुरु पर्वत का शीर्ष | Apex of Guru Parvat
गुरु पर्वत के बिंदु पर जब चारों ओर से रेखाएं जुड़ती हैं तो उसे शिखर रुप मे जाना जाता है। यदि यह शिखर गुरु पर्वत के केंद्र मे हो तो व्यक्ति गुरु संबंधित गुणों को बनाए रखता है। यदि यह शिखर शनि पर्वत की ओर झुका हो तो व्यक्ति अनुशासित, गंभीर, उदास और उपेक्षित होगा। जब यह शिखर हृदय रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति अपने परिवार के लिये कार्य करेगा। जब यह शिखर मस्तिष्क रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति बौद्धिक गतिविधियों में शामिल किया जाएगा ।
गुरु पर्वत पर रेखा
गुरु पर्वत पर बनी हुई विभिन्न रेखाओं का अपना एक अलग स्वरुप और प्रभाव होता है. अगर गुरु पर्वत पर कुछ रेखाएं खड़ी हुई दिखाई देती हैं तो ये सकारात्मक फल देने वाली होती हैं. इन खडी़ रेखां के कारण जातक अपने निर्णय लेने में स्वतंत्र होता है. वह कार्य क्षेत्र में बेहतर मेनेजमेंट को दिखा सकता है.
गुरु पर्वत पर रेखा का जाल कुछ अस्थिरता देने वाला होता है. वैचारिक मतभेद लोगों के साथ उभरते हैं. रेखाओं का जाल व्यक्ति को अपने ज्ञान की सही स्थिति का बोध नहीं दिला पाता है. गुरु पर्वत पर आड़ी रेखाएं होना भी शुभ नही कहा गया है. इस सब के प्रभाव से व्यक्ति को बेहतर रिज्ल्ट नही मिल पाते हैं. दूसरों का दबाव व्यक्ति पर अधिक रहता है.
गुरु पर्वत पर अगर किसी तारे का चिन्ह बना हुआ हो तो यह व्यक्ति को स्वतंत्र निर्णय लेने के योग्य बनाता व्यक्ति बेहतर नेतृत्व कर सकने में भी सक्षम होता है.