विवाह रेखा की क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित होती हैं। इन रेखाओं से रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी और पति - पत्नी के बीच प्यार और स्नेह के अस्तित्व का संकेत मिलता है। परन्तु विवाह संबंधित खुशहाल जीवन की भविष्यवाणी शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को ध्यान मे रख कर भी किया जाता है.
विवाह रेखा के विभिन्न प्रकार के आकार और उसकी स्थित, विवाह संबंधित ख़ुशियों की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विवाह रेखा के आकार और उसकी स्थिति का वर्णन नीचे दिया गया है -
विवाह रेखा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
यदि विवाह रेखा हृदय रेखा के समीप स्थित हो तो व्यक्ति का विवाह चौदह से इक्कीस वर्ष के बीच कम उम्र मे होगा, यदि वह मध्य मे स्थित है तो विवाह इक्कीस से अट्ठाईस वर्ष के बीच और यदि विवाह रेखा हृदय रेखा के तीन चौथाई भाग पर स्थित है तो व्यक्ति का विवाह अट्ठाईस से पैंतीस वर्ष के बीच होना चाहिये।
यदि विवाह रेखा विकसित और गहरी होते हुये भाग्य रेखा पर मिले तो व्यक्ति का विवाह अमीर घराने मे होना चाहिये।
विवाह रेखा बुध पर्वत पर सीधी, बगैर टूटे, क्रास या अनियमितताओं के बिना होनी चाहिये।
यदि विवाह रेखा नीचे की ओर हृदय रेखा की तरफ जाए तो व्यक्ति जिससे विवाह करेगा उसकी मृत्यु पहले दर्शाती है।
यदि ये रेखा ऊपर की तरफ मुडी हुई हो तो व्यक्ति का विवाह जीवनकाल मे नही होगा ऐसा दर्शाता है।
यदि विवाह रेखा स्पष्ट और विशिष्ट है और उससे महीन रेखाएं हृदय रेखा पर गिर रही हो तो यह दर्शाता है कि व्यक्ति जिससे विवाह करेगा उसका स्वास्थ्य खराब रहेगा।
यदि विवाह रेखा के किसी भी स्थान पर द्वीप स्थित हो जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति का विवाहित जीवन सुखी नही रहेगा और अलगाव भी हो सकता है।
यदि ये रेखा अंत मे एक दूसरे को काटे और चिमटी का आकार हथेली के केंद्र मे बनाए तो व्यक्ति के न्यायिक अलगाव या तलाक की भविष्यवाणी की जा सकती है।
यदि इस रेखा मे छोटे छोटे कई द्वीप और महीन रेखाएं हो तो ऐसे व्यक्ति को विवाह नही करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उसका वैवाहिक जीवन दुखमय रहेगा।
विवाह रेखा पर यदि कोई कट हो या कोई धब्बा बना हुआ है तो यह स्थिति विवाह सुख की कमी दिखाती है.
यदि ये रेखा आगे बढ़कर सूर्य की रेखा को काटे तो व्यक्ति विवाह के बाद अपनी पद और प्रतिष्ठा खो देता है। यदि कोई महीन रेखा इस रेखा के समानांतर चले और विवाह रेखा के करीब से निकले तो ऐसे व्यक्ति विवाह के बाद गहरा स्नेह दर्शाते हैं।
यदि विवाह रेखा अंत में दो शाखाओं में बंटती दिखाई देती हो तो ये स्थिति विवाह संबंधों में उतपन्न होने वाले विवाद को दिखाती है। इस परेशानी के चलते पति-पत्नी के बीच विचारों का विरोधाभास सदैव लगा रहता है। एक दूसरे के प्रति अलगाव की भावना भी जन्म लेती है।
यदि विवाह रेखा की एक शाखा सूर्य रेखा की ओर जाए तो व्यक्ति का विवाह ऐसे व्यक्ति से होगा जो समाज मे प्रसिद्ध होगा। यह स्थिति बताती है की जीवन साथी समाज में एक सम्मानित पद पर आसीन होगा. अपने जीवन साथी के द्वारा व्यक्ति भी अपने भाग्य में वृद्धि को प्राप्त करेगा।
विवाह रेखा अगर आरंभ से ही दो शाखाओं में विभाजित सी दिखाई दे तो ऎसे में विवाह में अलगाव और तलाक की स्थिति भी देखने को मिलती है। किसी न किसी कारण से वैवाहिक रिश्ते में सुख नही मिल पाता है।