ज्योतिष और आयुष योग
Jyotish Aur Aayusaya YogMore Info
ज्योतिष और धन योग
Dr. Bhojraj Dwivedi
संसार का प्रत्‍येक मनुष्‍य चाहे वह किसी भी जाति, धर्म व संप्रदाय का क्‍यों न हो, धनवान बनने की प्रबल इच्‍छा उसके हृदय में प्रतिपल, प्रतिक्षण विद्यमान रहती है। शास्‍त्र में चारMore Info
ज्योतिष और संतान योग
Dr. Bhojraj Dwivedi
संसार का प्रत्‍येक मनुष्‍य, स्‍त्री पुरुष चाहे किसी भी जाति, धर्म, व संप्रदाय का क्‍यों न हो? अपना वंश आगे चलाने की प्रबल इच्‍छा उसके हृदय में प्रतिक्षण विद्यमान रहती है।More Info
ज्योतिष में भावन वाहन और कीर्ति योग
Dr. Bhojraj Dwivedi
क्‍या आप जीवन में कोई मकान बना पाएंगे? अथवा आपके जीवन में कोई वाहन आ पाएगा, वाहन होगा तो कैसा? जीवन में कीर्ति, यश है या नहीं? है तो कितना? इन सब अनसुलझी बातों का सटीक समाधान आप इस पुस्‍तकMore Info
ज्योतिष सीखिए
Radha Krishna Shrimali
ज्‍योतिष एक विज्ञान है कोई चमत्‍कारिक विद्या नहीं। यदि आप इस विज्ञान का सही ज्ञान सुगम ढंग से पाना चाहते हैं तो यह पुस्‍तक पढ़िए। आप स्‍वयं अपनी व अपने परिवारजनों की कुण्‍डलीMore Info
ज्योतिष सीखे झटपट
Mohanbhai D Patel
ज्‍योतिष शास्‍त्र मात्र श्रद्धा और विश्‍वास का विषय नहीं है, यह एक शिक्षा का विषय है, और शिक्षा पद्धति द्वारा इसका सरलता से अभ्‍यास किया जा सकता है। यह बात स्‍पष्‍ट करतेMore Info
कालसर्प योग
Dr. Bhojraj Dwivedi
फलित ज्‍योतिष में कालसर्प योग को गंभीर रूप से मृत्‍युकारी माना गया है। सामान्‍यत जन्‍म कुंडली में जब सारे ग्रह राहु केतु के बीच कैद हो जाते हैं तो काल सर्पयोग की स्थिति बनती है। जोMore Info
कालसर्प योग शांति और घाट विवाह पर शोधकार्य
Dr. Bhojraj Dwivedi
भोजराज द्विवेदी द्वारा विचरित 'कालसर्प योग शांति एवं घट-विवाह पर शोधकार्य' शीर्षक पुस्‍तक का यह नवीन संस्‍करण निश्चित रूप से कालसर्पयोग से संबंधित भ्रांतियों को दूर करेगा। सर्पोंMore Info
मांगलिक दोष कारण और निवारण
Dr. Bhojraj Dwivedi
मंगल पर विस्‍तृत फलादेश ‘भोजसंहिता’ के मंगलखंड’ में मिलेगा। इस पुस्‍तक में मंगल संबंधी सभी दोषों का निवारण घटविवाह के माध्‍यम से बताया गया है। घटविवाह में प्रायश्चितMore Info
मंत्र शक्ति और साधना
Dr. Bhojraj Dwivedi
मंत्र और साधना में ऐसी आध्‍यात्मिक शक्ति सम्मिलित होती है जो एक बार भगवान (ईश्‍वर) को भी इंसान के सन्‍मुख लाकर खड़ा कर दे। मंत्र शब्‍द का अर्थ होता है किसी भी देवता को संबोधित कियाMore Info
मानवता का एकमात्र मित्र शनि
कर्मों के फल ईश्‍वर देता है और माध्‍यम बनाता है ग्रहों को। विशेष रूप से शनि को अपने गलत कर्मों के फल को व्‍यक्ति से भुगतवाकर शनि व्‍यक्ति के मन में इस संसार के सर्वत्र दुखमय होनेMore Info