कृष्णमूर्ती पद्धति | Krishnamurti Paddhati | 1st House in Krishnamurti Paddhati | Pratham Bhav in Krishnamurti

कृष्णमूर्ती पद्धति की गणना नक्षत्रों पर आधारित होती है. प्रत्येक भाव के नक्षत्र तथा उपनक्षत्र स्वामी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जाता है. वैदिक ज्योतिष में परम्परागत प्रणली में लग्न भाव अर्थात प्रथम भाव से बहुत सी बातों का विचार किया जाता है. लग्न में स्थित ग्रह और उन ग्रहों के साथ अन्य शुभ तथा अशुभ योगों का विचार किया जाता है. प्रथम भाव पर जिन ग्रहों की दृष्टि होती है उन सभी के आधार पर प्रथम भाव का विश्लेषण किया जाता है परन्तु कृष्णमूर्ती प्रणाली में सभी भावों तथा ग्रहों के नक्षत्र, उपनक्षत्र तथा उप-उपनक्षत्र स्वामी को अधिक महत्व दिया गया है. 

कृष्णमूर्ति पद्धति में प्रथम भाव | 1st House in Krishnamurti Paddhati

कृष्णमूर्ति पद्धति में हर भाव का अध्ययन करने के लिए भाव के उपनक्षत्र स्वामी का अध्ययन करना आवश्यक होता है. किसी भी भाव का उपनक्षत्र स्वामी जिन भावों का कार्येश होता है तो जातक को उसी से संबंधित फलों की प्राप्ति होती है. कृष्णमूर्ती पद्धति में प्रथम भाव को महत्वपूर्ण माना गया है. प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी जिन भावों का कार्येश होता है, जातक को उस भाव से संबंधित फलों की ओर आकर्षण तथा रुचि रहती है. इन सभी बातों का गहनता से अध्ययन करना अति आवश्यक है. इसके लिए सर्वप्रथम प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी कौन से भाव के उपनक्षत्र स्वामी में है, यह देखना जरूरी है. उस नक्षत्र के स्वामी से भी सूक्ष्म जानकारी हासिल हो सकती है. 

उपरोक्त बात का सार यह है कि प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी जिस भी ग्रह के नक्षत्र में है, उस ग्रह के कारकत्व से कुण्डली का प्रत्येक भाव किस प्रकार जुडा़ हुआ है, इसका अध्ययन किया जाता है और उसके आधार पर फल कथन किया जाता है. प्रथम भाव के उपनक्षत्र स्वामी का विभिन्न भावों का कार्येश होना, निम्नलिखित फलों की ओर जातक का रुझान पैदा करता है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी द्वित्तीय का कार्येश | Karyesh of 2nd House is Lord of Subnakshatra of 1st House

कृष्णमूर्ति पद्धति में प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी यदि द्वित्तीय भाव का कार्येश है तब जातक का रुझान धन की ओर अधिक होता है. अपने परिवार की ओर होता है. उसका रुझान खान-पान की ओर भी अत्यधिक होता है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी तृतीय का कार्येश | Karyesh of 3rd House is Lord of Subnakshatra of 1st House

यदि प्रथम भाव का उपनक्षत्र तृतीय भाव का कार्येश है तो जातक अपनी बहन-भाईयों की ओर झुका रह सकता है. उसे यात्रा करना अधिक पसन्द होगा. जातक को सदा बदलाव करते रहना पसन्द होगा. उसे लेखन कार्य में रुचि रहेगी. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी चतुर्थ का कार्येश | Karyesh of 4th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी चतुर्थ भाव का कार्येश हो तब जातक का आकर्षण अपनी शिक्षा की ओर, अपने घर के सुख तथा अपनी माता की ओर होता है. वाहन की ओर भी वह आकर्षित रहता है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी पंचम का कार्येश | Karyesh of 5th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी, पंचम भाव का कार्येश हो तो जातक का झुकाव संतान की ओर होता है और संतान के प्यार की ओर होता है. वह पूजा-पाठ में मग्न रहेगा. ध्यान लगाएगा. सट्टा बाजार में निवेश करने में रुचि अधिक रखेगा. उसे चित्रकला, नाटक तथा कला के अन्य क्षेत्रों में रुचि रहेगी.   

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी छठे का कार्येश | Karyesh of 6th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी छठे भाव का कार्येश है तब जातक को बीमारी हो सकती है. नौकरी में अधिक रुचि रखेगा. नौकरी का पाबंद होगा. व्यक्ति में सेवा भावना रहेगी. पालतू जानवरों को पालेगा. अपने ननिहाल पक्ष की ओर जातक का अधिक झुकाव रहेगा. वहाँ के सदस्यों के प्रति अधिक लगाव रखेगा. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी सप्तम का कार्येश | Karyesh of 7th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी सातवें भाव का कार्येश है तो पति-पत्नी में प्रेम अधिक रहेगा.  व्यक्ति की सोच कारोबारी रहेगी. साझेदारी के व्यवसायों में रुचि अधिक रहेगी. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी अष्टम का कार्येश | Karyesh of 8th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी अष्टम भाव का कार्येश है तो जातक कई बातें छुपाकर रखता है. विचारों में स्पष्टता नहीं होती. उलझी हुई प्रवृति का होता है. डरपोक होता है. कामचोर होता है. उसे किसी भी कार्य में रुचि नहीं रहती है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी नवम का कार्येश | Karyesh of 9th House is Lord of Subnakshatra of 1st House 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी नवम भाव का कार्येश हो तो व्यक्ति को अपने पिता से अत्यधिक प्रेम होता है. अपने गुरुओं के प्रति निष्ठा रहती है. ईश्वर के प्रति श्रद्धा रहती है. जातक को यात्राएँ करना पसन्द होता है. जातक का आकर्षण अध्यात्म, पुराण, धर्म अथवा न्यायसंस्था आदि की ओर होता है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी दशम का कार्येश | Karyesh of 10th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी दशम भाव का कार्येश हो तब जातक अधिकार पसन्द होता है. वह सम्मान से जीना पसन्द करता है. अभिमानी होता है. वह हर बात को कारोबारी नजरिए से देखता है. उसे राजनीति में रुचि रहती है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी एकादश का कार्येश | Karyesh of 11th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी एकादश भाव अर्थात लाभ भाव का कार्येश हो तो जातक के कई मित्र होते हैं. वह उन व्यवसायों में निवेश करना अधिक पसन्द करता है जिनमें मुनाफा अधिक मिलता है. जातक शीघ्रता से सफलता हासिल करने के तरीके अपनाता है. जातक की प्रवृति सदा खुश रहने की होती है. 

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी द्वादश का कार्येश | Karyesh of 12th House is Lord of Subnakshatra of 1st House

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी व्यय भाव अर्थात द्वादश भाव का उपनक्षत्र स्वामी है तो उसे बहुत देर तक सोना पसन्द होता है. आलसी होता है. उसे अकेला रहना पसन्द होता है. वह घूमना -फिरना पसन्द करता है. विदेश जाना जातक का आकर्षण केन्द्र बना होता है. उसकी सोच बैरागियों जैसी होती है.