लाल किताब में फलादेश और उपायों का आधार शुभ एवं अशुभ ग्रहों को माना जाता जाता है. जो ग्रह कुण्डली में उच्च राशि में स्थिति हो स्वराशि में हो, मित्र राशि में हो शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो बेहतर फलों की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन ग्रह यदि नीच राशि में हो, या शत्रु राशि में स्थित हो पाप ग्रहों से प्रभावित हो तो अनुकूल फलों की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है.

जन्म कुण्डली में शुभ-अशुभ ग्रह अपने भाव या कारकतत्व के अनुसार शुभ-अशुभ फल देते हैं. जन्म कुण्डली या वर्ष फल कुण्डली में शुभ ग्रहों के फल में वृद्धि तथा अशुभ ग्रहों को कम करने के लिए लाल किताब में उपाय बताए गए हैं.

लाल किताब में बृहस्पति का प्रभाव

लाल किताब कुंडली में बृहस्पति का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है. यह ज्ञान और समझ को विकसित करने में सहायक होता है. व्यक्ति में शुभ गुणों का वास होता है. इससे व्यक्ति को अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है और साथ ही गुरूजनों की शुभ संगती भी प्राप्त होती है. बृहस्पति व्यक्ति को जीवन साथी का सुख एवं संतान के सुख देने वाला होता है. शुभता से पूर्ण गुरू जीवन में सफलता और सम्मान की प्राप्ति कराने वाला होता है.

बृहस्पति की अशुभता को दूर करने के उपाय

जब कुण्डली में या वर्षफल कुण्डली में बृहस्पति में अशुभ भाव में स्थित हो और बृहस्पति के कारक तत्व वस्तुओं से हानि हो रही है. उदाहरण के रूप में जैसे बृहस्पति के लग्न में होने पर कष्ट हो रहा है. उसका कारण होगा कि व्यक्ति ने दादा, पिता या ब्राह्मण का अपमान किया हो तो बृहस्पति का शुभ फल प्राप्त करने के लिए उपरोक्त कारणों को दूर करना चाहिए.

यदि उस समय ब्रहस्पति के दूसरे-पांचवें, नवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में उसके शत्रु ग्रह हों तो उनका उपाय करना आवश्यक होता है. बृहस्पति दूसरे भाव मे हों और जातक बृहस्पति से सम्बन्धित स्वर्ण इत्यादि के व्यापार से हानि और शुक्र से सम्बन्धित व्यापार, कृषि, शृंगार की वस्तुओं से लाभ की प्राप्ति होती है.

इसी प्रकार छठे भाव में बृहस्पति आर्थिक स्थिति में हानि हो रही है तो बृहस्पति को बलवान बनाने के लिए किसी पुजारी को वस्त्र दान देना लाभदायक होगा. बृहस्पति की कारक वस्तुएं जैसे केसर, चने की दाल को धर्म स्थान में दान करना बहुत लाभ देने वाला होता है.

बृहस्पति के खराब होने पर संतान से संबंधी कष्ट होते हैं तो उसके उपाय के लिए श्री विष्णु का पूजन करना लाभदायक होता है.अगर अष्टम भाव में बृहस्पति किसी कारण से परेशानी वाली होती है. साथ ही किसी स्त्री से यह कष्ट होता है. तो उसके लिए कच्चे सूत को हल्दी से रंग कर पीपल के वृक्ष के तने के चारों ओर आठ बार बांधे और यह उपाय बृहस्पति के दिन करना बहुत उपयोगी होता है.

लाल किताब में दशम भाव बृहस्पति अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो उसके उपाय के लिए बृहस्पति को मजबूत करने के लिए सूर्य और चंद्रमा को चतुर्थ स्थान में स्थापित करना अनुकूल होता है. चंद्रमा की कारक वस्तु चावल और सूर्य की कारक वस्तु तांबे को नदी में प्रवाहित कराने से फायदा मिलता है. अशांत ग्रह को कुछ शांति प्राप्त होती है.

बृहस्पति के खराब होने के कारण

बृहस्पति पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होना. बृहस्पति का निर्बल होना. बृहस्पति नीच राशि या शत्रु राशि में स्थिति होने पर अपने फल नहीं दे पाता है. यहां हम एक उदाहरण द्वारा इस बात को समझ सकते हैं कि कई बार कुछ गलत ग्रह की चीजों को धारण करने या उपयोग करने से ग्रह का अनुकूल फल क्यों नहीं मिल पाता है.

उदाहरण के रुप में - चतुर्थ भाव दशम भाव को देखता है चंद्रमा सूर्य चतुर्थ भाव में होने पर बृहस्पति को मित्रों की सहायता मिलने से शुभ फल मिलते हैं. लाल किताब के अनुसार बृहस्पति के द्वादश भाव में होने पर जातक को गले में माला धारण करना अनुकूल नहीं होता है. क्योंकि गला बुध और मनके भी बुध के प्रतीक हैं तो ऐसे में बृहस्पति के शत्रु बुध की वस्तुएं धारण करना अशुभ फलों को देने वाला बनता है.

मंदे गुरु का प्रभाव

ग्रह के कमजोर या बलहीन होने पर उसके शुभत्व में कमी आती है और उक्त ग्रह अपने पूर्ण प्रभाव को देने में सक्षम नहीं हो पाता. बृहस्पति के प्रथम भाव में कमजोर होने के कारण जातक के आत्मविश्वास में कमी रहती है. फैसले लेने में संकोची होता है. बलहीन गुरू ज्ञान में कमी देता है. व्यक्ति फकीर के समान होगा लेकिन धन का अभाव झेलेगा.

दूसरे भाव में अगर खराब होगा तो कमजोर गुरू के होने पर पैतृक संपत्ति का विवाद झेलना पड़ सकता है. इस स्थान में गुरु के होने से व्यक्ति अपने कुटुम्ब का नाश करने वाला हो सकता है, या परिवार को कष्ट देने वाला हो सकता है. मेहनत से ही कुछ लाभ मिल सकता है. परिवार मे विवाद बने रहते हैं.

तीसरे भाव में कमजोर गुरू के होने पर भाई बहनों का सुख अनुकूल नहीं मिल पाता है. व्यक्ति कुछ आलसी हो सकता है. भाग्य मंद रहता है. किसी भी काम को पूरा होने में बहुत समय लग जाता है. साहस में कमी होती है, परेशानियों से भागने वाला होता है. खराब भी हो सकता है.

चतुर्थ भाव में घर का सुख खराब हो सकता है. सर्वनाश का कारण बन सकता है. कई बार अपनी ही बेवकूफियों से अपने लिए गलत चीजें कर बैठता है. व्यक्ति मनमानी करने वाला होगा. अपने लोगों का नाश कर सकता है. उसकी अपनी सोच के कारण वह परेशान रह सकता है. जातक शराब या किसी प्रकार के व्यसन के कारण बदनामी को झेल सकता है.

पांचवे भाव में अगर बृहस्पति का अशुभ प्रभाव हो तो संतान कष्ट की स्थिति प्रभावित होता है. धर्म के नाम पर धन कमाने वाला और खाना या दान ले सकता है, जातक निसंतान हो सकता है. अपने कार्यों से खुद को ही नुक्सान पहुंचा सकता है.

छठे भाव में बृहस्पति की अशुभता के कारण गरीबी और दरिद्रता का प्रभाव व्यक्ति को कष्ट देता है. व्यक्ति फजूलखर्ची अधिक कर सकता है. स्वार्थी होगा. उम्र के 34 साल उसे भाग्य की ओर से उतार-चढा़व झेलने पड़ सकते हैं.

सातवें भाव में अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को साथी का सहयोग नहीं मिल पाता है. किसी न किसी कारण से संतान भी कष्ट सहती है. किसी से दान लेने से भी संतान को कष्ट हो सकता है. वृद्धावस्था में परेशानी झेलता है. पैसा होते हुए भी मेहनत में कमी नही होगी. मेहनत से ही रोटी का सुख मिलेगा. व्यक्ति को किसी से सहायता नही मिल पाती है.

अष्टम में बुरे गुरु का प्रभाव धन को खराब कर सकता है. आर्थिक क्षेत्र में परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है. पैसा होते हुए भी व्यक्ति कर्जदार होगा. जातक निर्धन और कायर होता है.

नवें भाव में बृहस्पति का खराब होना व्यक्ति को नास्तिक बनाता है. निर्धन होता है. दुख को भोग सकता है. धर्म के प्रति उसके मन विरोध का भाव हो सकता है. अपनी गलत आदतों और कामों के कारण वह कर्ज में चला जाता है धन का नाश कर बैठता है.

दसवें भाव में गुरु के खराब होने पर आर्थिक क्षेत्र से कमजोर हो सकता है, काम को लेकर दुखी हो सकता है. गृहस्थी का सुख मंदा हो जाता है. नेकी करने पर गरीबी बढ़ेगी. उसका परोपकार उसे कष्ट ही देगा.

एकादश भाव में बृहस्पति का खराब होना धन को खराब कर सकता है. व्यक्ति अपने धन का लाभ भी नही पा सकता है. बहन बुआ की ओर से व्यक्ति को सुख नहीं मिल पाता है. पिता के बिना उसकी पूर्ण शक्ति का क्षय हो जाता है. गलत आचरण का हो सकता है और समाज में बदनामी झेल सकता है.

बारहवें भाव में बृहस्पति के खराब होने के कारण व्यक्ति के पास सब कुछ होते-सोते वह उस चीज का सुख नहीं भोग पाता है. किसी से मदद मांगने पर भी उसे कोई मदद नहीं मिलती है.

मंदे बृहस्पति के उपाय

  • बृहस्पति को शुभ करने के लिए के लिए गुरु की चीजों का दान एवं उससे संबंधित चीजों का उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है.
  • बृहस्पति की मंदेपन की स्थिति को सही करने के लिए केसर का उपयोग करना उत्तम होता है. केसर ओर हल्दी का तिलक माथे पर लगाना मंदे बृहस्पति को शुभ स्थिति देने में मदद करता है.
  • बृहस्पति की वस्तुएं जिनमें हल्दी, सोना, पीला कपड़ा मंदिर धर्म स्थल में दान करना या धारण करना भी शुभ होता है.
  • रात को सिरहाने के नीचे पानी भर कर रखें और सुबह के समय उस पानी को किसी पेड़ की जड़ में या कीकर के पेड़ की जड़ में डाल दें तो बृहस्पति की शुभता प्राप्त होती है.
  • बृहस्पति से संबंधित वस्तुएं मन्दिर में भेंट करें और भगवान शिव का पूजन करें.
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