लाल किताब में पांचवां घर शुभ और अशुभ फलों की जानकारी देने वाला होता है. इस भाव द्वारा जीवन के मिले जुले फलों की प्राप्ति का योग दिखाई पड़ता है. आपकी सफलताओं और असफलताओं हेतु लाल किताब कुण्डली का पांचवां भाव शुभाशुभ भाव कहलाता है. इनके साथ ही इस पांचवें भाव से व्यक्ति की संतान से संबंधित खुशियों का योग भी देखा जाता है. संतान से जुड़े मसले आप को प्रभावित करने वाले होते हैं.
गुरू पांचवे खाने का स्वामी
लाल किताब के पांचवे खाने का स्वामी गुरू(बृहस्पति) को माना जाता है. जो संतान से संबंधित फलों को देने में सहायक होता है. बृहस्पति संतान से जुड़े फलों को देने में सहायक होता है. इस पांचवे घर में बृहस्पति अगर मजबूत होगा तो व्यक्ति को बच्चों की ओर से सुख एवं सम्मान की प्राप्ति दिलाने वाला है.
गुरू पांचवे खाने में अगर मंदा हो तो व्यक्ति को बच्चों की ओर से सुख से नहीं मिल पाता है. किसी न किसी प्रकार से संतान से संबंधी कष्ट झेलने पड़ सकते हैं.
पांचवे घर में अन्य ग्रहों के संबंध
पांचवें घर में सूर्य
पांचवे घर में कुछ अन्य ग्रहों का प्रभाव भी संतान से संबंधी योगों पर असर डालने वाला होता है. अगर खाना नम्बर 5 में सूर्य अगर अच्छा होगा तो संतान शुभत्व होगी. बच्चा भाग्यशाली होगा तथा अभिभावक को बच्चों के आगमन से ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
सूर्य का मंदा होना पांचवे घर में शुभ नहीं होता. यहां सूर्य का कमजोर होना संतान की ओर से कष्ट की स्थिति झेलने वाला बन सकता है. इसके अतिरिक्त इस भाव में सूर्य की कमजोर स्थिति के कारण आपको गर्भ से संबंधित परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती है.
पांचवे घर में शुक्र स्थिति
पांचवे घर में शुक्र का अच्छा होना व्यक्ति को बच्चों के सुख में वृद्धि दिलाने वाला होता है. संतान के होने में दिक्कत नहीं होती साथ ही संतान आपके लिए शुभत्व भी होती है.
लेकिन अगर लाल किताब कुंडली के खाना नम्बर 5 में शुक्र मंदा हो तो यह अच्छा नहीं होता है और अगर इसके साथ ही कुंडली में शनि भी मंदा हो तो दोनों की अवस्था के कारण अशुभ फल देने वाले बनते हैं. ऐसे संतान से जुड़े कई सारे नकारात्मक प्रभाव आप पर असर डालने वाले बन सकते हैं. पर इसी ओर तब कुछ राहत मिल सकती है अगर चंद्रमा की स्थिति मजबूर हो तो आप कुछ सकारात्मक फल भी पा सकते हैं.
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर , चौथे घर और नौवें घर का बुरा प्रभाव पांचवें घर पर भी पड़ता है. इसके साथ ही अगर छठे घर या दसवें घर में कोई मंदा पापी ग्रह बैठा हो तो वह बुरा फल देता है और ऐसे में अगर वह पांचवे घर के स्वामी सूर्य का अच्छा मित्र भी हो तो भी एक तरह से जहर का प्रभाव ही देता है क्योंकि इस छठे घर और दसवें घर में जो ग्रह बैठे हों वह परस्पर शत्रु बन जाते हैं चाहे वह नैसर्गिक मित्र ही क्यों न हों इस कारण वह पांचवें घर के शत्रु बन जाते हैं.
ऐसे में इन दोनों का खराब प्रभाव बच्चे के लिए अच्छा नहीं होता है, संतान को खराब करने वाला बनता है. इन घरों का जहर पांचवें घर में जाकर संतान के लिए कष्टप्रद बन जाता है. लेकिन इन बातों का असर लाल किताब कुण्डली में गुरू और सूर्य के प्रभाव पर अधिक निर्भर होता है.
संतान जन्म में देरी का कारण
लाल किताब कुण्डली में बुध और शुक्र संयुक्त होना लग्न में होना या मंगल-केतु वर्षफल में या जन्म कुण्डली के लग्न में स्थित हों. इस योग द्वारा संतान कष्ट की स्थिति सहनी पड़ती है.
इसी तरह से कुण्डली में बृहस्पति सातवें भाव में बैठा हो या बृहस्पति शुक्र दोनों ही सातवें घर में हों और चंद्रमा आठवें घर में बैठा हुआ हो तो यह स्थिति संतान न होने की स्थिति को दर्शाती है.
चंद्रमा और शुक्र का का एक दूसरे को देखना साथ ही किसी शत्रु ग्रह की दृष्टि भी चंद्रमा या शुक्र पर आ रही हो. राहु केतु या शनि के साथ यह युति में हों तो यह स्थिति संतान कष्ट को दर्शाती है.
लाल किताब कुण्डली में चंद्रमा और केतु साथ में 11वें घर में हों तो ग्रहण योग की ये स्थिति संतान हीनता को दर्शाती है.
लाल किताब में कहा जाता है की अगर किसी घर को उस स्थान पर बनाया गया हो जहां कोई कुआं रहा हो उसे बंद कर दिया गया हो तो भी इस कारण संतान जन्म में बाधा झेलनी पड़ती है.
लाल किताब कुण्डली अनुसार शनि सातवें घर में बैठा हो और चंद्रमा लग्न में बैठा हो तो यह स्थिति पुरुष में नपुंसकता का कारण बनती है.
शुक्र का सिंह राशि में होना और सूर्य का कर्क राशि में होना लाल किताब कुण्डली अनुसार नपुंसकता का योग बनाता है.
सुरक्षित गर्भावस्था के लिए लाल किताब के उपाय
लाल किताब कुन्डली में गर्भ की सुरक्षा के लिए बहुत से उपायों को बताया गया है. जब निश्चित हो की स्त्री गर्भवती है, तो उसकी बांह पर एक लाल रंग का धागा बांध देना चाहिए. सामान्य लाल रंग का धागा संतान की सुरक्षा करता है. जब बच्चे का जन्म हो जाए तो उस धागे को माता की बांह से हटा कर बच्चे की बाजू में बांध देना चाहिए और बच्चे को यह धागा 18 माह तक बंधा रहने देना चाहिए. यह धागा बच्चे के लिए रक्षा कवच का काम करता है.
संतान के होने के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चहिए. भगवान गणेश की दुर्वा भेंट करनी चाहिए मोदक का भोग लगाना चाहिए.
अपने खाने में से गाय, कौवे और कुत्ते के लिए रोटी जरूर निकालें यह बहुत ही शुभ फल देने वाला उपाय है.
मीठी रोटी तंदूर में बना कर किसी कुत्ते को खाने के लिए दें.
संतान जन्म के पश्चात ही बच नहीं पाती हो तो ऎसे में संतान जन्म समय पर मीठी वस्तु नहीं बांटे कोई नमकीन वस्तु बांटे संतान को लम्बी आयु प्राप्त होगी.
सामान्य रुप से बच्चे के जन्म के लिए लाल किताब उपाय
लाल किताब में बच्चे की सामान्य तरीके से उत्पत्ति (प्रसव) के लिए उपाय बताया गया जिसके द्वारा बच्चे का जन्म सामान्य रुप से हो जाता है. जब संतान का जन्म हो रहा हो तो उस समय एक बर्तन में दूध और एक पुडिया में चीनी या गुड़ की खाण्ड निकाल कर बच्चे को जन्म देने वाली मां के हाथ लगवा कर रख दें. ऎसा करने से संतान का जन्म बिना किसी संकट और परेशानी के हो जाता है. बच्चे के जन्म के बाद इस सामग्री को किसी धर्म स्थल में दन कर देना चाहिए.
बच्चे के जन्म समय पहले जौ को किसी पानी की बोतल में बंद करके रख दे, बच्चा किसी परेशानी के बिना जन्म लेगा.
नि: संतान दंपत्ति के लिए लाल किताब उपाय
संतान प्राप्ति के लिए निसंतान व्यक्ति को लाल किताब अनुसार पशुओं की सेवा करनी चाहिए. दुधारु पशु की सेवा करना उत्तम फल देने वाला होता है.
अपने खाने में से कुछ भोजन का दान अवश्य करें.
किसी धर्म स्थल पर दूध का दान करें.
संतान की प्राप्ति के लिए कुत्ता पालें.
संतान प्राप्ति के लिए लाल किताब के उपाय
संतान न होने के बहुत से कारण होते हैं देव शाप, पितृ दोष, कर्म की अवधारणा, पिड़ा, अभिचार, इत्यादि से संतान कष्ट झेलना पड़ सकता है. लाल किताब कुण्डली में संतान जन्म के लिए बहुत से उपायों को बताया गया है. इन उपायों को करने से लाभ मिलता है. लाल कितब कुण्डली के उपायों को करने में निरंतरता को बनाए रखने की जरूरत होती है.
अगर उपाय करने में निरंतरता नही बन पाती तो उपाय बहुत अधिक प्रभाव नहीं दे पाते हैं. संतान की प्राप्ति के लिए गुरु का पूजन करें अपने घर के बड़े बुजुर्गों का आशिर्वाद जरूर ग्रहण करें.
किसी अनाथालय में जाकर खाने की वस्तुएं भेंट करें.
गर्भ धारण करने का टोटका
संतान प्राप्ति के लिए बहुत से ऎसे उपाय बताए गए हैं जो शीघ्र लाभ देने में सहायक होते हैं. यदि किसी कारण से संतान का सुख नहीं मिल पा रहा हो, तो संतान प्राप्ति के लिए महिला को 2 रोटी में चने की दाल और गुड़ मिलाकर गाय को खिलानी चाहिए यह उपाय नियमित रुप से करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
होली के दिन 7 गोमती चक्र को अपने ऊपर से वार कर होली के दिन जलाई जाने वाली आग में डाल दीजिए, किसी प्रकार की टोक और बाधा का नाश होगा.
संतान गोपाल यंत्र की पूजा करें ओर भगवान कृष्ण के बाल रुप को नियमित्र रुप से पूजें ऎसा करने से संतान सुख की प्राप्ति अवश्य होगी.
बृहस्पतिवार के दिन केले के वृक्ष का पूजन करें और मंदिर में हल्दी का दान करें. इस दिन केले का सेवन नहीं करें.
जिस महिला को संतान सुख की इच्छा है उसे पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर, जड को दूध में घिसकर यदि पी लिया जाए तो यह भी एक उत्तम उपाय होता है संतान प्राप्ति के लिए.