बृहस्पति और सूर्य | Jupiter and Sun
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बृहस्पति के साथ सूर्य की युति संबंध होने के कारण शुभता का प्रभाव प्रतिफलित होता है. बृहस्पति और सूर्य का संयोग प्रभाव स्वरूप जातक को विद्या के क्षेत्र में बेहर प्रदर्शन करने की क्षमता दे सकता है. वह अपने घर में सभी के लिए सहायक भी हो सकता है या किसी बडे़ के जैसा दायित्व निभाने वाला बन सकता है.
भाग्य में उन्नति कर सकता है अपने बल पर काम को ऊँचाईयों तक पहुंचाने में कामयाब हो सकता है. यहां सूरज के मंदे होने से व्यक्ति को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है. किंतु गुरू की स्थित इस संकट में काफी हद तक मदद करने में सहायक हो सकती है. व्यक्ति का भाग्य शुद्धता और सात्विकता से युक्त होता है वह यदि शुभ ग्रहों से प्रभावित हो तो उसके सात्विक गुणों में वृद्धि होती है किंतु यदि पाप ग्रहों का प्रभाव आ रहा हो तो स्थिति में संघर्ष अधिक बढ़ सकता है. किसी भी कार्य में प्रयास अधिक बढ़ जाते हैं.
टेवे के तीसरे घर में बृहस्पति और सूर्य के होने से सांसारिक कार्यों में सफलता मिलती है लेकिन संघर्ष की स्थिति बनी रहती है. कठिन परिश्रम करने से ही अनुकूल फल मिल सकते हैं. भाई बंधुओं से उसे कुछ परेशानी झेलनी पड़ सकती है लेकिन कई बार जो भी स्थिति बनी होती है उसके अनुरूप फल नहीं मिल पाते हैं. व्यक्ति यदि शुभ कर्मों को करने में लगा रहता है तथा लालसा से मुक्त रहते हुए काम करने पर उसे अच्छे फल प्राप्त हो सकेंगे. लेकिन जब उसके मन में गलत विचार उभरने लगते हैं तो व्यक्ति के पतन की ओर अग्रसर हो होने लगता है.
बृहस्पति और चंद्रमा | Jupiter and Moon
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बृहस्पति के साथ चंद्रमा का युति संबंध होने पर एक शुभ स्थिति का निर्माण होता है किंतु तीसरे स्थान में होने से यह शुभता आसानी से न मिल सके इसलिए काफी संघर्ष करने की आवश्यकता रहती है.
यह स्थिति जातक को लाभ अधिक प्रदान करने में सहायक होता है. व्यक्ति अपनी ताकत को सोच समझ कर प्रयोग करता है. व्यक्ति फुर्ती, तेजी व चतुरता के साथ कामों को निपटाने की कोशिशों में लगा रहता है. अपने लक्ष्य को पाने के लिए अनुकूल रूप से आगे बढ़ता जाता है.
जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग होता है उसमें बहुत सी खूबियां होती है. यह युति तीसरे घर में बनने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय पाने में सहायक होती है. व्यक्ति सुख और गुणों से युक्त बनता है और कुशाग्रबुद्धि का परिचय देता है.
बृहस्पति और मंगल | Jupiter and Mars
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में मंगल बद होता है. किंतु बृहस्पति अपने प्रभावों को देने में सक्षम होता है. व्यक्ति पूजा पाठ करने में आगे रहता है. किसी न किसी रूप में अद्वितीय होगा. व्यक्ति में अधिक सामर्थ्य नहीं होता है और वह अपनी शक्ति का पूर्ण परिचय देने में सक्षम नहीं हो पाता है. जातक का मनोबल अधिक नहीं होता है वह अपने मन से दृढ़ नहीं हो पाता है.
व्यक्ति पैतृक धन को खराब नहीं करता है वह उसे सहेजने में अपना पूरा सहयोग देता है. किंतु वह उसे अपने परिश्रम से ओर अधिक बढा़ सके यह कहना कठिन है क्योंकि जातक की अपनी जो भी कार्यप्रणाली रही होगी वह उसके अनुरूप काम करने वाला होगा. बृहस्पति के साथ मंगल की स्थिति होने पर व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन देखा जा सकता है.
किसी न किसी रूप में जातक का सजग रहना आवश्यक होता है अन्यथा की प्रकार के उतार-चढा़वों को झेलना पड़ सकता है. व्यक्ति अपनी मेहनत में कमी कर सकता है और उसे कई बार परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है. उसके प्रयासों में वह तेजी शायद प्रबल न रह पाए लेकिन फिर भी कई बार उसकी स्थिति के कारण उसके पराक्रम भी असफल रह सकते हैं.