केतु और सूर्य | Ketu and Sun
केतु का लाल किताब कुण्डली में पहले घर में होना संदेह की प्रवृत्ति को दर्शता है. व्यवहार में गोपनियता का समावेश रहता है. इस विचार के फलस्वरूप जब यह सूर्य के साथ स्थित होता है तो उस उजाले पर भी अपना प्रभाव स्पष्ट रूप में डालता है. इनका एक साथ इस घर में होना जातक के जीवन में उसकी प्रतिभा को उभरने में देरी देने वाला होता है.
सूर्य और केतु के एक साथ होने पर कोई अच्छा फल नहीं मिल पाता. नाना पक्ष पर भी इसका खराब प्रभाव पड़ता है. केतु का सूर्य पर ग्रहण जैसा प्रभाव न भी हो परंतु बादल के समान सूर्य की रोशनी को ढक देता है. इस कारण से फल नहीं मिल पाते. अधिक श्रम और कम मुनाफे जैसी स्थिति होती है.
केतु और चंद्रमा | Ketu and Moon
लाल किताब कुण्डली में केतु के साथ चंद्रमा की युति खाना नम्बर में 1 में होने पर जातक का मन काफी विचलित रहता है. इनकी युति में मन पर अत्यधिक प्रभाव डालती है. जातक का हृदय वहम के कारण भटकाव की स्थिति में रह सकता है.
एक साथ मिलकर यह घर के प्रभावों में अच्छे फल नहीं दे पाते हैं. माता की ओर से चिंता सता सकती है, स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. पारिवारिक चिंता और तनाव की स्थिति बनी रहती है. मन से दुखी होता है. चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं पर यह प्रभाव डालता है.
केतु और मंगल | Ketu and Mars
केतु के साथ मंगल की युति लाल किताब कुण्डली के पहले घर में होने पर इनका कोई शुभ प्रभाव नहीं मिल पाता है. यह दोनों ग्रह साथ होने पर अच्छे फलों को देने में असमर्थ होते हैं. पर एक ओर इस घर में मंगल का प्रभाव केतु को गुप्त रूप से खराब ही करता है, केतु पूर्ण रूप से कोई फल देने में सक्षम नहीं होता है.
मंगल के उग्र स्वभाव में भी बढोत्तरी होती है और जातक में उग्रता अधिक देखी जा सकती है. स्वभावगत रूप से जातक में जल्दबाजी का स्वभाव भी रहता है, फैसलों में दृढ़ता आती है.
केतु और बृहस्पति | Ketu and Jupiter
केतु और बृहस्पति के लाल किताब कुण्डली के खाना नम्बर 1 में स्थित होने पर जातक को जीवन में आराम भी मिलता है और सभी सुखों की अनुभूति भी मिलती है. इस संबंध में दोनों का एक पहलु आध्यात्मिकता को सपष्ट करता है.
इस गुण का जातक पर प्रभाव भी रहता है. पर कुछ अन्य बातें भी यहां प्रभाव डाल सकती हैं कि यदि इन दोनों ग्रहों पर इनके शत्रु ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक को अनुकूल फलों के मिलने में दिक्कत आती है तथा अच्छे फलों की प्राप्ति में ढेरों बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.
केतु और बुध | Ketu and Mercury
केतु और बुध के लाल किताब के पहले घर में होने पर बुध अपनी स्थिति के अनुरूप ही फल देता है. जातक को अपने काम से अलग कहीं जाने की ओर बढा़वा दे सकता है. इसके साथ मिलकर बुध और केतु संतान की आयु के लिए खराब हो सकते हैं. अगर मंगल 12 में हो तो बुध और केतु पहले घर में खराब फल नही देंगे चाहे वह संयुक्त हों या अलग.
केतु और शुक्र | Ketu and Venus
लाल किताब के पहले घर में केतु और शुक्र के होने से संतान के होने में बाधा होती है. क्योंकि यह सूर्य का स्थान है जहां मंगल का भी घर है और यह दोनों ग्रह इनके शतु होते हैं. इस कारण संतान संबंधी परेशानियों को झेलना पड़ सकता है और तनाव की स्थिति बनी रहती है.
केतु और शनि | Ketu and Saturn
लाल किताब कुण्डली में केतु के साथ शनि का पहले घर पर प्रभाव अच्छा नहीं माना जाता है. दोनों ही एक अशुभ ग्रहों के रूप में स्थित हैं इस कारण से जब दो अशुभ ग्रह साथ में होते हैं तो शुभ प्रभावों को पूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं.
इस कारण से पहले खाने के जो भी कारक रहे होंगे उन पर असर तो रहेगा ही. यदि शनि शुभ हो तो केतु के स्वभाव जैसा फल देता. इसलिए केतु के साथ अच्छा फल देता है. किंतु जहां इसकी इस भाव में असंतोषजनक स्थिति होती है वह कुछ हद तक तो कम होती ही है.