अंधी कुंडली | Andhi Kundali

लाल किताब के अनुसार कुछ कुण्डलियों को अंधी कुण्डली कहा जाता है. यदि जन्म कुण्डली के दसवें भाव में दो या दो से अधिक ऐसे ग्रह स्थित हैं जो आपस में शत्रुता रखते हों तो ऎसी कुण्डली को अंधी कुण्डली कहा जाता है. यह कुण्डली अंधे व्यक्ति जैसे फल देने वाली बन जाती है. शत्रु ग्रहों के टकराव के कारण दसवां भाव अशुभ होता है. यह टकराव व्यक्ति के जीवन में रोजगार में स्थायित्व प्रदान करने नहीं देता और अत्यधिक कठिनाईयाँ पैदा करता है.

आधी अंधी | Aadhi Andhi Kundali

आधी अंधी कुण्डली दो शत्रु ग्रहों के योग से बनती है. इस कुण्डली में शत्रु ग्रहों का एक साथ युति में होना इस कुण्डली के निर्माण का कारण बनता है. सूर्य चौथे भाव में और शनि सातवें भाव में स्थित हो तो यह आधी अंधी कुण्डली कही जाएगी. ऎसी कुण्डली के कारण व्यक्ति को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. अंधी कुण्डली होने से व्यक्ति को जीविकोपार्जन के लिए संघर्ष कि स्थिति का सामना करना पड़ सकता है इसके साथ ही साथ उसकी आर्थिक स्थित भी कमजोर होती है.

धर्मी कुण्डली | Dharmi Kundali

धर्मी कुण्डली से तात्पर्य ऎसी कुण्डली से होता है जिसमें अशुभ ग्रहों का प्रभाव बहुत हद तक कम हो जाता है. राहु या केतु चौथे भाव में स्थित हों तो यह कुण्डली धर्मी कुण्डली कहलाती है. यदि राहु या केतु किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ स्थित हों तो इस कुण्डली को धर्मी कुण्डली कहा जाता है.

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु या केतु चौथे भाव में या राहु या केतु चन्द्र के साथ किसी भी भाव में हो तो ऐसी स्थिति में नैसर्गिक क्रूर ग्रहों के स्वभाव में बदलाव आ जाता है अर्थात उनकी क्रूरता में कमी आ जाती है. इसके प्रभाव स्वरुप शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

कायम ग्रहों वाली कुंडली | Kundali of Kayam Greh

लाल किताब के अनुसार कायम ग्रहों वाली कुंडली का मतलब होता है कि कुण्डली में ऐसा ग्रह जो पूर्ण रुप से बली हो और किसी भी प्रकार से बुरे ग्रहों से प्रभावित न हो. बली ग्रह के दृष्टिफल में किसी भी शत्रु ग्रहों का प्रभाव न हो तो यह कुण्डली अच्छे फल प्रदान करती है.

कुण्डली में स्थित मजबूत ग्रहों पर किसी शत्रु या क्रुर ग्रह का प्रभाव न पडे़ या उसकी राशि भी किसी बुरे ग्रह से प्रभावित न हो तो इस कुण्डली को कायम ग्रह की कुण्डली कहेंगे. इस कुण्डली में शुभ ग्रह किसी शत्रु ग्रह के साथ युती में भी नहीं होना चाहिए. ऐसे ग्रह को किस्मत का ग्रह भी कहते हैं.

साथी ग्रहों वाली कुंडली | Kundali of companion planets or Saathi Greh

जब किसी कुंडली में ग्रह एक दूसरे की राशि में या एक दूसरे के पक्के घरों में अदल-बदल कर बैठ जायें तो ऐसी कुंडली साथी ग्रहों वाली कुंडली कहलाती है. साथी ग्रहों वाली कुण्डली में जो ग्रह आपस में साथी बनते हैं उन ग्रहों की आपस में नकारात्मक प्रवृत्ति कम हो कर शुभ फल देने की प्रवृत्ति में वृद्धि हो जाती है.

मुकाबले के ग्रह वाली कुण्डली | Kundali of the Mukabale wale Greh

मुकाबले के ग्रहों वाली कुण्डली कुण्डली में अगर दो मित्रों के या किसी एक के साथ में उनका शत्रु ग्रह बैठ जाये तो दोनो मित्र ग्रहों की आपसी मित्रता में काफ़ी कमी आ जायेगी तथा उनमें दुश्मनी का भाव पैदा हो जाता है. यह स्थिति कुण्डली को मुकाबले के ग्रहों वाली कुण्डली कही जाती है.

नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली | Kundali of Nabalig planets

लाल किताब के अनुसार यदि कुण्डली के केन्द्र स्थान अर्थात प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दसवें भाव में कोई ग्रह स्थित नही है या इन भावों में केवल पापी ग्रह यानि के शनि, राहु या केतु स्थित हों तो ऎसी कुण्डली नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली कहलाती है. इन नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली में दिए गए तथ्यों पर विचार करके कुण्डली का उचित प्रकार से अनुमोदन किया जा सकता है कुण्डली का फलित इन्हीं के सिद्धांतों पर आधारित होता है.