लाल किताब अनुसार ग्रहों के प्रमुख भाव | Primary Houses of Planets according to Lal Kitab

लाल किताब पद्धति में राशि के स्थान पर भावों की प्रधानता रहती है. इस बात का अर्थ यह नहीं है कि इसमें राशियों का कोई महत्व नहीं है अपितु राशियों का भी अपना पूर्ण स्थान एवं महत्व है. लेकिन फलित कि गुणवत्ता एवं सफल परिणाम के लिए भावों को प्रधान वा कहें प्रमुख माना गया है. प्रत्येक ग्रह किसी न किसी भाव का कारक होता है और इसे ही लाल किताब पद्धति में ग्रह का पक्का घर कहा जाता है.

जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है,उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है. लाल किताब के अनुसार भाव के कारक, ग्रहों के पक्के घर कहलाते हैं. लाल किताब पद्वति में राशि की जगह भाव की प्रधानता है इसलिए इन ग्रहों का महत्व भी अधिक हो जाता है.

आम तौर पर वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के भावों के कारक लगभग एक से हैं,परन्तु लाल किताब कुछ भावो के कारक थोडा सा अलग है.

लाल किताब का एक अन्य सिद्धान्त है कि जिस भाव में कोइ ग्रह न हो या भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह भाव सोया हुआ कहलाएगा.लेकिन अगर ग्रह अपने पक्के घर में स्थित हो जैसे सूर्य प्रथम भाव में, बृहस्पति द्वितीय भाव में इत्यादि तो उस ग्रह को हम पूरी तरह जागता हुआ मानेंगे यानि कि वह ग्रह अपने प्रभाव से दूसरे भाव या ग्रह को प्रभावित करने में पूर्ण समर्थ होगा. इस दृष्टिकोण से लाल किताब में पक्के घर का ग्रह बहुत उपयोगी है.

एक बात और है चूँकि लाल किताब में भावों में राशियाँ स्थिर मानी जाती हैं,प्रथम भाव में हमेशा मेष राशी, द्वितीय भाव में वृष राशि तथा द्वादश भाव में मीन राशि रहेगी चाहे का जन्म किसी भी समय हुआ हो इस दृष्टि से कारक ग्रह अधिक प्रासांगिक हो जाते हैं. लाल किताब पद्वति में राशी के स्थान पर भाव की प्रधानता है. अतः यहाँ प्रत्येक ग्रह को किसी न किसी भाव काकारक माना गया है. लाल किताब में ये ग्रहों के पक्के घर के नाम से विख्यात है. जो इस प्रकार के हैं.

  • भाव नम्बर एक सूरज(सूर्य) का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर दो बृहस्पति(गुरू) का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर तीन मंगल का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर चार चंद्रमा का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर पांच बृहस्पति का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर छह बुध और केतु का का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर सात बुध और शुक्र का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर आठ मंगल और शनि का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर नौ बृहस्पति का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर दस शनि का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर ग्यारह बृहस्पति(गुरू) का पक्का घर होता है.
  • भाव नम्बर बारह बृह्स्पति(गुरू) और राहु का पक्का घर होता है.


लाल किताब के यह अत्यंत महत्वपूर्ण नियम होते हैं जिनके द्वारा कुण्डली का फल कथन एवं उपाय किया जाता है. लाल किताब के इन सभी भावों के अध्ययन को लेकर जो बत सामने आती है वह यह है कि इन भावों के द्बारा उनके कारक तत्व को भी समझा जा सकता है और उन्हीं के द्वारा कुण्डली का सही प्रकार से निर्माण संभव हो पाता है.