लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में राहु का बृहस्पति, शुक्र, शनि के साथ संबंध | Relation Of Rahu with Jupiter, Venus and Saturn In The Second House Of Lal Kitab
बृहस्पति और राहु | Rahu And Jupiter
लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में राहु के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर राहु, बृहस्पति के अधीन हो जाता है. इस घर में बृहस्पति की ही चलती है क्योंकि एक ओर तो यह इसका घर होता है. अगर व्यक्ति गरीब भी हो तो भी वह दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहेगा. साधु जैसा व्यवहार करेगा. जातक के गुणों में उदारता की भावना बनी रहती है कुछ मामलों में वह सख्त हो सकता है किंतु अपने इस पहलु से वह दूर नहीं रह सकता है.
इस स्थिति में अगर आठवें घर में बृहस्पति का कोई शत्रु ग्रह बैठा हो तो व्यक्ति की संतान के लिए यह अच्छा नहीं होता और उसे कष्ट मिल सकता है. संतान की ओर से कई प्रकार की दिक्कतें उसे परेशान कर सकती हैं लेकिन वह अपने कर्मों में यदि शुभता लाता है तो उसे इन सब बातों से कुछ राहत मिल सकती है. यहां मंदे ग्रह होने पर बेटे की स्थिति अच्छी नहीं रह पाती और कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है. जातक को इन ग्रह संबंधी उपायों को अपनाने से वह इन स्थिति से मुक्त हो सकता है.
कुछ उपाय जातक को इस स्थिति से दूर करने में मददगार सिद्ध हो सकते हैं और वह अपने कामों में रूकावटों को दूर करने में सफल भी हो सकता है जातक की वाणी में जो लाग लपेट आता है उससे उसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए जिससे की उसकी विश्वसनियता पर कोई शक न करे. ऎसा करने से ग्रह भी अपने प्रभावों में अनुकूलता लाने वाले बनते हैं.
शुक्र और राहु | Venus and Rahu
लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में राहु के साथ शुक्र के बैठ जाने पर जातक में दिखावे की प्रवृत्ति अधिक रह सकती है. वह कलात्मकता में भी अपने हुनर का रंग दिखाने की कोशिश कर सकता है. इन दोनों का एक साथ होना दूसरे घर के फलों में कमी करने वाला बन सकता है. जातक को परिवार का पूर्ण साथ मिलने में भी दिक्कत आ सकती है. मतभेदों का सामना करना पड़ सकता है.
इनका संयुक्त रूप में कोई फल अनुकूल नहीं होता है. इसमें सभी के साथ दोनों के प्रभाव नहीं मिल पाते हैं. शुक्र के साथ केतु के होने से जातक को कन्या संतति की प्राप्ति अधिक होती है. यह दोनों के साथ जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है ओर कई प्रकार की बाधाएं सामने खडी़ मिल सकती हैं.
इनके प्रभाव में एक की शान खोखली हो जाती है. कुछ भी अच्छा फल मिलने में सदैव ही देरी का सामना करना पड़ता है. किसी स्त्री के लिए यह स्थिति संबंधों में तनाव का कारण बनती है. दांपत्य जीवन में भी यह स्थिति दिक्कत देने वाली बन सकती है. जातक के कई कामों में उसे अपने साथी का पूर्ण सहयोग भी नहीं मिल पाता है वह विरोधों का सामना करता है.
राहु और शनि | Rahu And Saturn
लाल किताब कुण्डली के दुसरे घर में राहु के साथ शनि के बैठ जाने पर जातक को दो पाप ग्रहों का प्रभाव मिलता है. इस स्थिति में यह दोनों ग्रह अपने सामान्य गुणों के एक साथ देते हैं और स्थिति काफी परेशान भी कर सकती है. यहां बैठकर यह व्यक्ति को घर से दूर जाकर रहने के लिए विवश कर सकते हैं उसकी आमदनी का स्रोत भी परदेस से ही बन पाता है. आर्थिक स्थिति में कई बार झंझट आने लगते हैं स्थिरता की कमी यहां अवश्य खल सकती है.
यह संबंध जातक के व्यवहार को बहुत अधिक प्रभावित करता है इससे जातक कई प्रकार के बुरे कमों से भी लिप्त रह सकता है या अधिक तामसिक चिजों का सेवन भी कर सकता है जिससे उसका सत्यवादी स्वरूप कुछ कम होने लगता है और कुछ नकारात्मक छवि भी उभर कर सामने आ सकती है. इनका संबंध जब दूसरे घर से बनता है तो इनकी नकारात्मकता का होना स्वाभाविक ही होता है क्योंकि जातक के जीवन में इन दोनों ग्रहों की अहम भूमिका रहती है और यह कई प्रकार से इस भाव को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.