लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में बृहस्पति का शुक्र, शनि और राहु-केतु के साथ संबंध | Jupiter's Association with Venus, Saturn, Rahu and Ketu in Second House of Lal Kitab

बृहस्पति और शुक्र | Jupiter and Venus

बृहस्पति के साथ शुक्र यदि लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में बैठे हों तो इस दशा में बृहस्पति के फल नहीं मिल पाते और व्यक्ति को गुरू के प्रभावों से वंचित रहता है, अर्थात अगर कोई व्यक्ति जिसको यह स्थिति मिल रही हो और वह स्वर्ण से संबंधित व्यापार करने की चाह रखता है तो उसे इसमें लाभ के बदले घाटा ही सहन करना पडे़गा.

यानि बृहस्पति से संबंधित कोई काम करे तो उसका फल अशुभ ही मिलता है. लेकिन अगर कोई मिट्टी के कामों जैसे कृषि संबंधी काम या वस्त्र निर्माण व बुनाई जैसे काम करे जो शुक्र से संबंधित हों तो उसमें उसे बहुत लाभ मिलता है. इन कमों में वह बहुत लाभ पाता है.

शुक्र संबंधी काम करने पर उसे पैसों की बरकत मिलती है. पर जब इन ग्रहों पर यदि राहु की अशुभ दृष्टि पड़ रही हो या इनके टकराव में कोई अशुभ ग्रह स्थित हो तो दोनों का ही फल मंदा हो जाता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को संतान की ओर से कष्ट की प्राप्ति हो सकती है. परिवार में झगडे या जीवन में अनेक प्रकार की रूकावटों को सहन करना पड़ सकता है.

बृहस्पति और शनि | Jupiter and Saturn

लाल किताब कुण्डली में दूसरे घर अगर बृहस्पति के साथ शनि स्थित हो तो यह अच्छी स्थिति नहीं मानी जाती है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को कोई न कोई नुकसान अवश्य झेलना पड़ता है. यदि यह दोनों ही शुभ स्थिति में नहीं हों तो व्यक्ति को अपने धन से हाथ धोना पड़ सकता है या फिर देह संबंधी दिक्कतें परेशान कर सकती हैं.

अगर कुण्डली में इनकी थोडी़ सी स्थिति भी खराब हो तो जातक को स्वास्थ्य का नुकसान उठाना पड़ सकता है. यदि वर्षफल में यह स्थिति बन रही हो तो स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए और इससे बचाव के लिए गुरू संबंधी वस्तुओं का दान भी करना चाहिए. साथ ही शनि के उपाय के लिए मंदिर जाना चाहिए और माथा टेकना चाहिए.

बृहस्पति और राहु | Jupiter and Rahu

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में बृहस्पति के साथ यदि राहु बैठा हो तो राहु, बृहस्पति के अधीन हो जाता है. इस घर में बृहस्पति की ही चलती है क्योंकि एक ओर तो यह इसका घर होता है. अगर व्यक्ति गरीब भी हो तो भी वह दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहेगा. साधु जैसा व्यवहार करेगा.

इस स्थिति में अगर आठवें घर में बृहस्पति का कोई शत्रु ग्रह बैठा हो तो व्यक्ति की संतान के लिए यह अच्छा नहीं होता और उसे कष्ट मिल सकता है. मंदे ग्रह होने पर बेटे की स्थिति अच्छी नहीं रह पाती और कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है.

बृहस्पति और केतु | Jupiter and Ketu

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में बृहस्पति के साथ केतु के होने पर फल नहीं मिल पाता यहां केतु बृहस्पति का चेला है जिस कारण वह अपने फलों को देने में सफल नहीं हो पाता है. इस स्थिति में यदि घर 8वां खाली हो या उसमें कोई मित्र ग्रह बैठा हो तो व्यक्ति दूसरों से हमदर्दी करने वाला बनता है सभी का ख्याल रखने की चाह रखता है.

व्यक्ति के आर्थिक हालात अनुकूल होते हैं और किसी न किसी प्रकार से उसे संतोष मिल जाता है. लेकिन अगर आठवें घर में उसके शत्रु ग्रह बैठे हों तो व्यक्ति का भाग्य काफी मंदा रहता है और उसे सही लाभ मिल नहीं पाते हैं. भाग्य में रूकावटें आती रहती हैं. धन की तंगी भी झेलनी पड़ सकती है.