लाल किताब के अनुसार महादशा | Mahadasha of Planets according to Lal Kitab

महादशा का विचार लाल किताब में उसके आधारित नियमों द्वारा किया जाता है. यहां लाल किताब में ग्रहों की महादशा का स्वरुप वैदिक ज्योतिष की भांति एक सौ बीस वर्ष का होता है. जो इसके अपने नियमों पर चलता है.

महादशा के नियम | Rules for Mahadasha

  • कुण्डली में जब किसी ग्रह के बराबर के ग्रह नीच और खराब हों लेकिन वह स्वयं नीच और खराब नही हो तो ऎसा लग्न पर आने के बाद वर्षफल के हिसाब जिस मास खुद ही नीच और खराब हो जाए वह उस दिन से महादशा में ही माना जाएगा.
  • जब कोई ग्रह खुद नीच और खराब हो और उसके बराबर के ग्रह भी नीच और अशुभ हों तो लग्न पर आने के दिन से ही महादशा आरंभ मानी जाती है.
  • महादशा के समय मित्र ग्रहों की कोई सहायता प्राप्त नहीं होती लेकिन शत्रु ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव रखते हैं.
  • महादशा के प्रभाव समय दशा वाले ग्रह का जहां वह बैठा होता है उस भाव के लिए और उस भाव से संबंधित कारक तत्वों एवं वस्तुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
  • महादशा वाले ग्रहों का अन्य ग्रहों पर मित्र या शत्रु या दृष्टि का संबंधित प्रभाव वैसा ही पड़ता है जैसे बिना दशा के पड़ रहा था.
  • यदि कोई ग्रह 1, 4, 7, 10 में बैठा हो और साथ ही दूसरे भावों में कोई उच्च का ग्रह स्थित हों जैसे कि चंद्रमा अच्छी स्थिति में स्थित हो तो महादशा नहीं होगी.
  • कुण्डली में यदि भाग्य का ग्रह राशिफल का ग्रह उच्च और अच्छा ग्रह हो तो वह महादशा में नहीं होता है.


कब और किस समय कौन से ग्रह की महादशा होगी | Time of Mahadasha of Planets

  • भाव 1 में शनि, भाव 3 और 6 में केतु, भाव 10 में गुरू, भाव 9 और 12 में राहु हो तो इस समय यह बृहस्पति की महादशा का समय होगा.
  • भाव 7 में सूर्य और भाव 12 में बुध हो तो सूर्य की महादशा होगी.
  • भाव 1 में शनि, भाव 4 में मंगल भाव 6 में शुक्र, भाव 8 में चंद्रमा और भाव 10 मं बृहस्पति हो तो इस समय चंद्रमा की महादशा होती है.
  • भाव 4 में मंगल, भाव 6 में शुक्र और भाव 10 में बृहस्पति हो तो यह शुक्र की महादशा का समय होगा.
  • भाव 1 में शनि, भाव 4 में मंगल, भाव 6 में शुक्र और भाव 9 तथा 12 में राहु स्थित हो तो यह मंगल की दशा का समय होगा.
  • भाव 1 में शनि, भाव 3 और 6 में केतु, भाव 4 में मंगल, भाव 10 में बृहस्पति और भाव 12 में बुध हो तो यह बुध की महादशा का समय होगा.
  • भाव 1 में शनि, भाव 3 और 6 में केतु, और भाव 10 में बृहस्पति हो तो इस समय शनि की महादशा होगी.
  • भाव 8 में चंद्रमा, भाव 9 और 12 में राहु, भाव 10 में बृहस्पति हो तो यह राहु की महादशा होगी.
  • भाव 1 में शनि, भाव 3 और 6 में केतु भाव 7 में सूर्य, भाव 10 में बृहस्पति और भाव 12 में बुध स्थित हो तो यह समय केतु की महादशा का होगा.