लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में बुध का अन्य ग्रहों के साथ संबंध | Relation Of Mercury With Other Planets In The Second House Of Lal Kitab - Part 1

बुध और सूर्य | Mercury And Sun

लाल किताब कुण्डली में जब हम दूसरे घर में बुद के साथ सूर्य को पाते हैं तो यह तथ्य एक उज्जवल बौद्धिकता और ज्ञान का पैमाना लेकर आता है. बुध के साथ सूर्य का होना जातक क्लो ज्ञान के क्षेत्र में एक ओजस रूप को दिखाता है प्रखर होकर विद्वता सामने आती है और जातक को सही ओर गलत के मध्य भेद करने का ज्ञान भी देती है. इस घर की छाप पर इन दोनों ग्रहों की छवि प्रखर तरीके से उभरकर सामने आती है.

जहां इस बुद्धि को तेज की प्राप्ति होती है वहीम उसमें कुछ क्रोध भी आने लगता है. यह स्थिति दूसरे घर की तस्वीर को सूर्य के सहयोग से उभारने का काम करती है. जातक धर्म के क्षेत्र में अच्छे कार्य करने का प्रयास भी करता है. बुध के स्वरूप में सूर्य को समा लेने की चाह दिखाई देती है. बुध सूर्य की राह में अपना मार्ग बनाने में प्रगति पाता है.

इन दोनों ग्रहों के योग द्वारा जातक की वाणी में ओजस्विता आती है और उसे कई मामलों में कार्यों को सुलझाने का समय मिलता है. सूर्य चलता है वैसे-वैसे ही बुध अपने फलों को देने का प्रयास करता है. यह कारक ग्रह के फल देता है. इस घर में स्थित सूर्य और बुध का फल अच्छा कहा गया है. सूर्य को यदि प्राण कहें तो विधाता की लेखनी बुध कहा जाता है. दोनों के साथ होने से सूर्य का फल अधिक प्रबल माना जाएगा.

बुध और चंद्रमा | Mercury And Moon

लाल किताब कुण्डली में बुध के साथ चंद्रमा का दूसरे घर होना काफी कुछ वैचारिक बदलाव की ओर हुए परिवर्तन को दर्शाने वाला होता है. यह एक दूसरे का साथ पाकर उस घर में सात्विकता तो लाते हैं किंतु मानसिक रूप से काफी द्वंद भी देते हैं. यह दूसरे घर में एक साथ युति में बैठते हैं तो जातक को धन की खूब प्राप्ति होती है और उसे काफी हद तक भाग्य का साथ भी मिलता है.

उसकी कल्पनाओं में लगाम नहीं लगाई जा सकती वह अपने ही विचारों की दुनिया बनाने की चाह रखता है जिसे समझ नहीं पाने के कारण जातक को कई परेशानियां भी उठानी पड़ सकती हैं सच्चाई और कल्पना के मध्य फंसा होना काफी परेशानीदेय हो जाता है.

दोनों ही जब अपने घरों से बाहर किसी घर में एक साथ मिलकर बैठे होते हों और उन पर किसी दूसर ग्रह की दृष्टि नहीं हो तो यह स्थिति जातक के लिए अनुकूल मानी गई है इस स्थिति में ग्रह अपना अच्छा फल देने की कोशिश करते हैं. परंतु जातक धन को संभालने में योग्य न रह पाए और दिल में उसके सदैव भय ही रह सकता है.

बुध और मंगल | Mercury and Mars

लाल किताब कुण्डली में मंगल के साथ बुध का होना निर्भर होने की प्रवृत्ति की ओर इशारा करने वाला होता है. दूसरे घर में काफी कुछ मंगल की प्रवृत्ति पर भी निर्भर करने वाला माना गया है दोनों के फलों में मंगल का बुध पर प्रभाव अधिक रहता है यदि टेवे में मंगल अच्छा है तो बुध भी दोगुना अच्छा फल देने की कोशिश करता है.

कुण्डली में बुध के शुभ होने पर जातक अपने क्रोध को अधिक समय तक नहीं ले कर चलेगा व बुध के प्रभाव स्वरूप उसकी भाषा में भी शुभता बनी रहेगी. किंन्तु मंगल का प्रभाव उसमें तेजी देगा. जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. शौर्य और बुद्धिमता साथ मिलकर काम करते हैं, वहीं दूसरे घर में मंगल यदि खराब होकर स्थित हो जाए तो यह स्थिति बुध के द्वारा मिलने वाले फलों में कमी ले आती है. जातक को बुध के खराब फल मिलने लगते हैं और जातक को स्थिति का भान नहीं हो पाता है. मति भ्रमित होने लगती है.