लाल किताब का दूसरा भाव

ज्योतिष में कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव कहते हैं, परंतु लाल किताब कुण्डली में इसे धर्म भाव कहा जाता है. भाव का कारक बृहस्पति होने से इसे गुरू मंदिर भी कहा जाता है. धर्म भाव में जो भी ग्रह होता है या गोचर में चलकर आता है उसे भाग्य का ग्रह कहते हैं, पर साथ ही इसका आधार चौथा घर होता है क्योंकि यह सुख संपत्ति का है और धन से इसका सीधा संबंध होता है.

दशम भाव यदि खाली हो तो दूसरे घर का ग्रह सोया हुआ माना जाता है. यहां चौथा घर कर्म सागर कहा गया है. भाग्य स्थान अर्थात नौवां घर एक समुद्र के समान होता है यहां से उठने वाली हवाएं खाना नम्बर 2 से टकराती हैं और भाग्य की सुख देने का प्रयास करती हैं.

लाल किताब के अनुसार आठवां घर पूर्ण दृष्टि से दूसरे घर को देखता है. दूसरा घर अर्द्ध दृष्टि से छठे घर को देखता है. इसलिए एक दूसरे से प्रभावित रहते हैं यह. दूसर घर और आठवां खाली हो तो उत्तम छठा भाव गुरू मंदिर घर यदि खाली हो तो शुभ फल कहे जाते हैं. खाना नम्बर आठ रिक्त हो तो गुरू मंदा रहेगा. यदि दूसरा घर खाली हो तो प्रबल आध्यात्मिक अवस्था का कारक होता है. इसी धन भाव को मारक स्थान भी कहा जाता है. अष्टमस्थ ग्रह इस मारक स्थान को प्रभावित करता है. यदि अष्टम भाव खाली हो तो गुरू भी मारकेश होने में सोचता है.

दूसरे भाव को धर्म मंदिर और एकादश घर को गुरूद्वार कहा गया है. इन घरों में सभी ग्रह अपना-अपना फल देते हैं. दूसरे घर के ग्रह वृद्धावस्था में फल देते हैं, दूसरे घर के ग्रह चाहे मंद ही क्यों न हों वृद्धावस्था में अच्छा फल देते हैं.

दूसरे घर में लाल किताब वृष राशि को दर्शाती है, जिसके स्वामी शुक्र हैं. पर साथ ही साथ दूसरे घर को पाप राहु-केतु की बैठक माना गया है और संयुक्त राहु केतु को गृहस्थी शुक्र की संज्ञा दी है. एक ओर दूसरा घर किस्मत का घर होता है, तो वहीं यह घर मारक स्थान भी होता है.

इस घर से जातक के बुढा़पे का विचार भी किया जाता है. इस घर में चंद्र उच्च का होता का होता है यहा उसकी स्थिति कैसी भी हो किस्मत का ग्रह तो बनता ही है. जातक के कर्म के घर को दर्शाने वाला घर यही है. इसकी बुनियाद नौंवा घर है जो हम पहले ही बता चुके हैं, अब इन पंक्तियों में दूसरे भाव की सारी हकीकत को बयां कर दिया गया है.

घर चल कर जो आवे दूजे ग्रह किस्मत बन जाता हो

खाली पडा़ है दस जब टेवे सोया हुआ कहलाता हो

बुनियाद समुद्र ग्रह नौ होते पहाड़ ऊंचा गृह दो का हो

चाल असर ग्रह दूजे बैठे जेर असर बृहस्पति साया हो

हवा बारिश जो नौ से चलती टक्कर दूजे पर खाती हो

आठ पडा़ घर जब तक खाली असर भला ही देती हो

शुरू उम्र में असर दूजे का घर छठे पर पड़ता हो

जाती असर हो नेक जो अपना वक्त बुढा़पे बढ़ता हो

बुनियाद मंदिर घर चौथा गिनते आठ छठे से मिलता हो

खाली होते बृहस्पति मंदिर टेवे असर रूहानी उमदा हो

दूसरे घर में सूर्य का फल

लाल किताब में दूसरे घर में सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को साहसी बनाता है. वह धार्मिक रुप से किसी भी चीज के अधीन न होगा लेकिन धर्म के प्रति पूरी निष्ठा रखेगा. अपने प्रयासों से दूसरों की मदद करने में सदैव आगे रहने वाला होगा. उसका खुद का भाग्य साथ नहीं दे लेकिन वह दूसरों के लिए सब कुछ करने वाला और दूसरों का भाग्य बनाने वाला होगा. जातक के अच्छे कार्य उसे श्रेष्ठ पद देने में सहायक होंगे. जातक खुद की मेहनत पर अधिक विश्वास करने वाला होता है. परिवार को पालने वाला होगा. अगर मंगल लग्न में बैठा हो और चंद्रमा 12 में बैठा हो तो सूर्य का फल मंदा हो जाएगा. जातक लालची होगा और आर्थिक स्थिति भी खराब होगी.

उपाय

  • किसी से कोई भी वस्तु मुफ्त में नहीं लेनी चाहिए.
  • नारियल अथवा बादाम को किसी धर्म स्थल में दान करें.
  • दूसरे घर में चंद्रमा की स्थिति

    दूसरे घर में चंद्रमा के होने पर व्यक्ति को भाई का सुख मिलता है. अगर चंद्रमा की चीजों को घर में रखेंगे तो पैतृक संपत्ति से लाभ भी प्राप्त होता है. जातक को संतान का सुख भी प्राप्त होता है. शनि चौथे घर में हो तो पिता का सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है. जातक को माता का सुख भी भरपूर मिलता है. जातक की शिक्षा अगर अच्छी होती है तो संतान से संबंधित परेशानी उसे झेलनी पड़ सकती है.

    उपाय

  • वृद्ध स्त्री की सेवा करनी चाहिए.
  • घर के मंदिर में घंटी इत्यादि न रखें ओर न ही बजाएं.
  • दूसरे घर में बुध का फल

    लाल किताब के दूसरे घर में बुध को ज्ञानी और स्वार्थी कहा गया है. व्यक्ति की बुद्धिमान और विद्वान होता है. लेकिन अपने ज्ञान पर उसे घमंड अपने लिए उसके पास आर्थिक संपन्नता रहेगी. लेकिन शुक्र के फल खराब कर देता है. जातक को पिता का सुख नहीं मिल पाता है. जातक खुद कमाई करके आगे बढ़ने वाला है. जातक का आत्मविश्वास बहुत अच्छा रहता है. शत्रुओं पर हावि रहने वाला होता है. अगर बुध शत्रु ग्रहों के साथ होगा, तो यह मंदा फल देने वाला होता है.

    उपाय

  • बहन, बेटी, बुआ का सम्मान करें.
  • धर्म स्थान पर खीर का दान करें.
  • दूसरे घर में शुक्र का फल

    लाल किताब के खाना नम्बर 2 में शुक्र के होने पर व्यक्ति आर्थिक रुप से संपन्न होता है दूसरों का मोहताज नही रहता है. धार्मिक रुप से आप बहुत मजबूत होते हैं. अगर वह गृहस्थी में न ढले तो वह एक उच्च स्तर का साधू हो सकता है. अगर जातक के घर का मुख आगे से चौडा और पीछे से तंग हो तो यह शुक्र को खराब करने वाली स्थिति होती है. संतान होने की स्थिति को भी बाधित करता है अगर खाना नम्बर 2 में शुक्र के साथ पापी ग्रह बैठे हुए हों तो संतान में बाधा हो सकती है.

    उपाय

  • व्यक्ति को अपने आचरण में शुद्धता बनाए रखनी चाहिए.
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए.
  • दूसरे घर में मंगल का फल

    मंगल की दूसरे भाव में स्थिति के कारण जातक भाईयों में बड़ा होगा. अगर वह भाइयों से अलग रहकर भी बड़ा बनने की कोशिशों में प्रयास करने वाला होगा. मंगल के दूसरे भाव में होना जातक को अपने भाइयों का पालन करने वाला बनाता है. जातक दृढ़ संकल्प वाला होगा. मंगल बद होगा तो जातक अपनों के लिए खराब करने वाला होगा. मंगल के कारण दूसरों को तो बहुत कुछ देगा लेकिन अपने पास कुछ नही होगा.

    उपाय

  • चांदी धारण करना शुभ होता है.
  • कुआं हो तो उसमें दूध डालना शुभ होगा.
  • दूसरे घर में बृहस्पति का फल

    लाल किताब के दूसरे घर में बृहस्पति की स्थिति धर्मगुरु की उपाधी देने वाली होती है. इस घर का कारक भी बृहस्पति ही हैं. ज्ञान अच्छा होता है जातक का वह जल्द ही चीजों को सिखने में सक्षम होता है. जातक जगत गुरु के समान पूज्य भी होता है. अगर खाना नम्बर 8 खाली होता है तो जातक में आध्यात्मिक शक्ति अच्छी होती है. व्यक्ति धनवान होता है और खर्च भी अधिक करता है.

    उपाय

  • धन उधार नही लेना चाहिए.
  • घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाएं.
  • दूसरे घर में शनि का फल

    शनि क अप्रभाव कुण्डली के खाना नम्बर 8 से पता चलेगा. अगर 8वें भाव या कहें घर में कोई ग्रह बैठा तो शनि से उसका अच्छा बुरा संबंध देखा जाएगा. शनि के दुसरे भाव में होने पर व्यक्ति गंभीर और एकांत अधिक पसंद करने वाला हो सकता है. उसके मन में चीजों को लेकर विरक्ति का भाव अधिक रह सकता है. भाव में शनि व्यक्ति को पैतृक संपत्ति देने वाला होता है. व्यक्ति को परिवार कुछ लाभ मिल सकता है. व्यक्ति आर्थिक रुप से संपन्न होगा और किसी न किसी रुप में उसका गुजारा होता रहेगा. व्यक्ति गुरु का भक्त होगा और उसमें ध्यान शक्ति भी अधिक होगी. शनि दूसरे में और सूर्य 12वें में बैठा हुआ हो तो जातक बदनामी अधिक पा सकता है. ऎसे ही अगर बृहस्पति 11 में हो जातक अहंकारी ओर बदनामी पाता है.

    उपाय

  • नंगे पैर धर्म स्थल जाना शुभता बढा़ने में सहायक होगा.
  • माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए.
  • दूसरे घर में राहु का फल

    राहु के प्रभाव से जातक या तो बहुत धनी होगा या फिर गरीब होगा. उसके भाग्य में उतार-चढा़व बने रहने वाले हैं. धन अथवा आर्थिक स्थिति कैसी होगी ये कुण्डली में बृहस्पति की स्थिति पर निर्भर करने वाली होगी. अगर राहु कुडली में शनि से पहले बैठा हुआ हो तो उसका स्वभाव शनि से प्रभावित होगा. अगर शनि अच्छा हो तो राहु आर्थिक रुप से अच्छा लाभ देने में सहायक होता है. राहु दूसरे घर में राजा के समान होता है लेकिन बृहस्पति के अनुसार काम करता है. राहु के खराब प्रभाव के कारण व्यक्ति का सामान चोरी हो सकता है और धन की हानि किसी न किसी कारण से लगी रह सकती है.

    उपाय

  • चांदी की ठोस गोली अपने पास हमेशा रखें.
  • सोना धारण करें या केसर का उपयोग करें.
  • दूसरे घर में केतु का फल

    केतु के प्रभाव से व्यक्ति यात्राएं अधिक करेगा. उसका काम घूमने फिरने वाला होगा. टूर पर अधिक रहेगा. जातक झूठ अधिक बोल सकता है. गलत कामों की ओर उसका ध्यान ज्यादा रहने वाला होगा. बुढा़पे में कष्ट अधिक झेलेगा. कुण्डली में शुक्र और बुध अच्छे होने पर व्यक्ति का गृहस्थ और आर्थिक जीवन दोनों ही उत्तम होंगे. पर अगर शुक्र और बृहस्पति खराब हुए तो इसके विपरित फल मिलेगा.

    उपाय

  • माथे पर तिलक लगाना शुभ होगा.
  • गरीबों को खाने की वस्तुएं दान करने से अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं.