वैदिक ज्योतिष में बहुत सी बातों का अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. किसी एक बात के आधार पर फलित करना किसी की जान को खतरे में डालने जैसा काम हो सकता है. इसलिए फलकथन कहने के लिए जितनी भी आवश्यक शर्ते
                                    
                                
                                        जन्म कुण्डली के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी भी बात के होने में कुण्डली के
                                    
                                
                                        विवाह में जन्म कुण्डली की भांती नवांश वर्ग कुण्डली की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. नवांश जिसे D-9 भी कहा जाता है. इसका उपयोग विवाह समय, वैवाहिक जीवन, जीवन साथी के व्यवहार , उसके चरित्र, मानसिक तथा दैहिक स्वरुप को समझने
                                    
                                
                                        ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. लग्न कुण्डली मुख्य कुण्डली होती है जिसमें 12 भाव स्थिर होते हैं और इन बारह भावों के बारे में विस्तार से जानने के लिए वर्ग कुण्डलियों का सूक्ष्मता से अध्ययन अवश्य