व्यवसाय में कैसी स्थिति रहेगी इस विषय का आंकलन ज्योतिष द्वारा किया जा सकता है. ग्रहों की किस प्रकार की दृष्टि, युति या स्थान परिवर्तन कैसा हो रहा है, इन सभी तथ्यों के आधार पर कारोबार में सफलता-असफलता एवं लाभ हानि को
कुण्डली के बारह भावों में जलग्न को प्रमुख स्थान दिया जाता है. जातक परिजात के अनुसार लग्न, लग्नेश एवं लग्न के कारक सूर्य के बलवान होने पर जातक सुख सुविधा से संपन्न जीवन व्यतीत करता है. लग्न पर यदि सूर्य की दृष्टि हो तो