जानें - मिथुन लग्न के दूसरे नवांश का फल

मिथुन लग्न का दूसरा नवांश वृश्चिक राशि का होता है. इस नवांश के प्रभाव स्वरूप जातक की कद काठी सामान्य होती है, चेहरे पर लालिमा रहती है और वाणी में काफी तेज रहता है. आंखे गोल तथा शरीर सामान्य होता है. तेज चलने वाला और घूमने का शौकिन हो सकता है.

इससे प्रभावित जातक में कर्म को लेकर एक लग्न रहती है जातक अपने कार्य को पूरा करने में आतुर रहता है. आर्थिक रूप से साधारणत: सामान्य बनी रहती है. जातक अपनी बौधिकता और अपनी वाक शक्ति के द्वारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल भी रहता है.

इसके प्रभाव से त्वचा शुष्क व कठोर भी हो सकती है. त्वचा का भरपुर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. वाणी में कर्कशता एवं तुनकबाजी भी हो सकती है जिस कारण कुछ प्रतिरोधों का सामना भी करना पड़ सकता है.

यह जातक कुछ आलसी भी रह सकते हैं लेकिन लक्ष्य को पाने में प्रयासरत रहते हैं. स्वभाव में स्पष्टवादी होती है. आर्थिक रूप से सुवस्थित रहते हैं. शत्रुओं पर हावी रहते हैं और जीवन में आगे बढ़ने की सोच लेकर चलते हैं.

मिथुन लग्न नवांश का महत्व | Importance of Navamsa of Gemini Ascendant

यह संबंध दो राशियों के संबंधों की भी व्याख्या करता है. इसके द्वारा बुध और मंगल के प्रभावों का प्रतिफलन ही होता है. इसके प्रभाव से जातक दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालने में सक्ष्म होता है. समाज में मान सम्मान व यश पाने में समर्थ होता है.

पारिवारिक संपत्ति की प्राप्ति भी होती है. स्वभाव में उग्रता के कारण ही इन्हें कई बार दूसरों से दूर भी होना पड़ सकता है या फिर अपनी ही बातों को कहते रहना भी अन्य के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. अपने कार्यों में अच्छे ही रहते हैं.

जीवन में छठे भाव से संबंधि प्रभाव अधिक रह सकता है जातक को शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता रहती है. इसी के साथ अपने खर्चों पर भी नियंत्रण रखना चाहिए जिससे आर्थिक रूप से तंगी न आ सके खुले खर्चे इन्हें समस्या में भी डाल सकते हैं.

व्यवहार से यह काफी आलोचनात्मक रवैया भी रख सकते हैं. जीवन में काफी जूझारूपन दिखाई देता है. स्वावलम्बी व स्वच्छंद रहने की इच्छा हो सकती है. किसी के द्वारा संपर्क माध्यम से कार्यों को सफल करने में आगे रहते हैं.

मिथुन लग्न नवांश का प्रभाव | Effects of Navamsa of Gemini Ascendant

धार्मिक रूप से जातक सामान्य व्यवहार ही रखता है, धर्म के प्रति उन्मुखता अधिक नहीं रहती किंतु सामान्य पूजा पाठ और धर्म कर्म को करता ही है. आपने काम में इन्हें किसी का व्यवधान सहना पड़ सकता है और जातक को कई बार पराजय भी झेलनी पड़ सकती है.

इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह स्थिति लम्बी अवधि तक परेशान नहीं कर पाती है और जातक इन परिस्थितियों से जल्द ही पार पा लेता है. जीवन के उत्तरार्ध में आपकी कार्यकुशलता और अर्थ लाभ बढ़ता है. जीवन साथी का स्वभाव भी अधीर रह सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कुछ कमी रह सकती है..दांपत्य जीवन में उलझने और तनाव का सामना करना पड़ सकता है.

कुछ मामलों में वैचारिक मतभेद ही अलगाव का कारण बन जाते हैं. जीवन साथी के स्वभाव में अस्थिरता के प्रभाव स्वरूप आपको कुछ अधिक जिम्मेदार बनना पड सकता है जिससे सही निर्णय ले सकें और जीवन में स्थिरता ला सकें. विवाह के पश्चात कुछ आर्थिक सम्रद्धि प्राप्त होती है जीवन साथी आपकी आकांक्षाओं पर खरा उतरने का पूर्ण प्रयास करता है.