जैमिनी कुण्डली से प्रेम संबंधों का आंकलन | Analysis of love relationships through Jaimini Astrology

जैमिनी ज्योतिष द्वारा प्रेम संबंधों को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं जिन्हें समझकर हम कुण्डली को पढ़ने की समझ रख सकते हैं. प्रेम संबंधों को समझने के लिए लग्न और उसकी स्थिति को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है.

लग्न और सप्तम भाव द्वारा प्रेम संबंधों और विवाह के विषय में विचार किया जाता है, इसी के साथ वह राशि जिसमें दारा कारक स्थित है और उससे सप्तम भाव की स्थिति, वह राशि जिसमें उपपद और उससे सप्तम भाव की स्थिति, सप्तमेश की पद राशि और उससे सातवां भाव,

दारा कारक की नवांश राशि को जन्म कुण्डली में चिन्हित करके और उससे सप्तम भाव को भी चिन्हित कर लेना चाहिए. इसके साथ ही राहु केतु का अक्ष किन राशियों में है और उनकी किन भावों पर दृष्टि है इस बात को भी अच्छी तरह से समझ लें और लिख लें, साथ ही दारा कारक की जिन-जिन भावों पर दृष्टि हो उसे भी समझ लें और अलग से लिख लें. अगर किसी राशि दशा से दारकारक पंचम भाव में आ जाता है तो उसे भी लिखना आवश्यक होता है.

दाराकारक से दूसरे एवं सातवें घर एवं उनके स्वामियों का भी निर्धारण विवाह के संदर्भ के लिए किया जाता है. दाराकारक गुरू लग्न से यदि छठे भाव में आ रहा हो तो जातक को विवाद एवं लडा़ई झगडों की स्थिति से रूबरू कराता है.

यदि कारक शुक्र नीच का हो जाए तो भी यह संबंधों में तनाव की स्थिति देने में सहायक बनता है. प्रेम संबंधों में सशक्ता के लिए आवश्यक होता है कि ग्रहों की स्थिति अच्छी बनी रहती है और जातक को आने वाले समय में जैसी भी स्थिति का सामना करना पडे़गा वह उसके लिए कैसी रहेंगी.

इस विषय में कहा गया है कि अगर दूसरे घर में कोई ग्रह शुभ होकर स्थित हो व उसकी प्रधानता हो अथवा गुरु और चन्द्रमा कारकांश से सातवें घर में स्थित हो तो साथी में आकर्षण का भाव निहीत होगा और वह आपके मन को भाने वाला होगा. इसी के साथ अगर दूसरे घर में कोई ग्रह अशुभ होकर स्थित हो तो एक से अधिक प्रेम संबंधों की ओर इशारा करता है. साथी से संतुष्टि का न मिल पाना या उसके प्रति लगाव में कमी का अनुभव रह सकता है.

कारकांश से सातवें घर में बुध होने पर प्रेमी का योग्य एवं शिक्षित स्तर का होता है इसी के साथ चन्द्रमा यदि कारकांश से सातवें भाव में हो तो प्रेम संबंधों का दूर से होना निश्चित होता है. शनि का कारकांश से सातवें भाव में होना यह प्रेम का अधिक उम्र वाला होने की बात करता है उसके विचारों में भी एक ठहराव की स्थिति बनी रहेगी, विचारों में सहजता का भाव रह सकता है.

प्रेम संबंधों में राहु भी अपनी स्थिति का बोध कराता है उसके होने से जातक की सोच में बदलाव और एक अलग रूप देखने को मिलता है. जैमिनी ज्योतिष में दशाओं को भी ध्यान में रखने आवश्यकता होती है किस दशा का प्रभाव कैसा रहेगा यह देखना जरूरी है यदि प्रेम संबंधों में धनु की दशा को देखा जाए तो यह कई प्रकार के बदलावों को लेकर आती है. जो रिश्तों में होने वाले परिवर्तन भी जरूर देती है.