जैमिनी ज्योतिष में अर्गला | Argala in Jaimini Astrology

प्रत्येक राशि और ग्रह अपनी स्थिति और प्रकृति के अनुसार दूसरी राशियों और ग्रहों पर दृष्टि डालते हैं. इस दृष्टि का शुभ और अशुभ प्रभाव व्यक्ति को ग्रहों व राशियों की शुभता और अशुभता के अनुरूप प्राप्त होता है, इसे ही अर्गला कहा गया है. दूसरे शब्दों में कहें तो अर्गला वह ग्रह और राशि है जो व्यक्ति की जन्म कुण्डली में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं. इन्हीं के द्वारा व्यक्ति के आने वाले समय और उसके जीवन में होने वाली घटनाओं के विषय में ज्ञात किया जा सकता है.

अर्गला का निर्माण | Formation of Argala

दूसरे, चौथे, पांचवें एवं ग्यारहवें घर जो ग्रह बैठा हो उनकी दृष्टि इन घरों में बैठे किसी ग्रह पर हो तो वह घर अर्गला कहा जाता है. अपवाद स्वरूप केतु को अर्गला में शामिल नहीं किया गया है यानी इन घरों में से किसी में भी केतु बैठा हो तो उस घर में अर्गला का विचार नहीं किया जाता है. वैसे, केतु से नवम घर में जो ग्रह स्थित होता है उसे अर्गला के रूप में देख सकते हैं. अर्गला का विचार बहुत महत्वपूर्ण होता है ज्योतिष के विभिन्न घटना क्रमों में यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का प्रयास करता है.

शुभ और अशुभ अर्गला | Auspicious and Inauspicious Argala

कुण्डली में अगर प्राकृतिक शुभ ग्रह दूसरे, चौथे. पांचवें तथा ग्यारहवें घर में स्थित हो तो शुभ अर्गला होता है. अगर केतु को छोड़कर, सूर्य, मंगल,शनि और राहु इन घरों में हो तो अर्गला अशुभ होता है. अगर ये ग्रह तीसरे घर में स्थित हो तब भी अर्गला का विचार किया जा सकता है. अर्गला का विचार शुभ एवं अशुभ प्रभावों को प्रभावित करता है शुभता लिए हुए अर्गला जीवन जीवन को सामान्य एवं सुचारू रुप से चलाने में बहुत सहायी होती है.

अप्रभावी अर्गला | Ineffective Argala

कुछ घरों में ग्रहों की स्थिति से जहां अर्गला का निर्माण होता है वहीं कुछ ऐसे भी घर हैं जिनमें ग्रहों के होने से अर्गला अप्रभावी हो जाता है. इस विषय में कहा गया है कि दसवें, बारहवें, तीसरे एवं नवम में ग्रह स्थित हों तो दूसरे, चौथे, ग्यारहवें एवं नवम भाव के अर्गला के प्रभाव में कमी आ जाती है. जैमिनी ज्योतिष के सिद्धांत में बताया गया है कि पांचवें घर में केतु के होने से नवम भाव का अर्गला निष्प्रभावी हो जाता है. चौथे घर में ग्रहों की मौजूदगी से दसवें घर का अर्गला शक्तिहीन हो जाता है. इसी प्रकार द्वादश भाव में ग्रह होने से द्वितीय भाव का एवं ग्यारहवें घर में ग्रह होने से तीसरे भाव का तथा पंचम में ग्रह होने से नवम भाव का अर्गला फल देने में अक्षम होता है.

अर्गला का प्रभाव | Effects of Argala

मान्यताओं के अनुसार जिस घर में अर्गला बना है उस घर की राशि की जब दशा चलती है तो शुभ होने पर शुभ फल प्राप्त होता है. जबकि अशुभ अर्गला होने पर अशुभ परिणाम प्राप्त होता है. पद लग्न, लग्न एवं सप्तम में शुभ अर्गला होने पर व्यक्ति को भाग्य का उत्तम फल प्राप्त होता है. इस स्थिति में साझेदारी के काम में अच्छी सफलता मिलती है, आर्थिक स्थिति उन्नत रहती है तथा वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.