कलानिधि योग | Kalanidhi Yoga | Kalanidhi Yoga in a Kundali
फलित ज्योतिष में योगों का बहुत महत्व रहता है. फलित करते समय योगों की विवेचना द्वारा जातक के जीवन में होने वली घटनाओं और परिस्थितियों का बोध होता है. योगों के निर्माण में एक से अधिक ग्रह जब युति, दृष्टि, स्थिति संबंध बनाते हैं तो योग बनते हैं. इन योगों के फलों का प्रभाव योग कारक ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा व प्रत्यन्तर इत्यादि दशाओं में प्राप्त होता है. योग को समझे बिना उचित प्रकार से कुण्डली का विवेचन संभव नहीं हो पाता है. विभिन्न योगों में योगकारक ग्रहों की प्रमुख भूमिका होती है. ग्रहों के बल से योगों का फल बहुत प्रभावित होता है. इन्हीं प्रमुख योगों में कुण्डली में बनने वाला कलानिधि योग काफी महत्व रखता है.
कई जाने माने व्यक्तियों की कुण्डली में बना यह कलानिधि योग उन्हें समान एवं प्रसिद्धि दिलाने में महत्वपीर्ण भूमिका निभाता है. गुरू के प्रभाव से बनने वाले इस योग के शुभ लाभों में से व्यक्ति सुखी जीवन को पाने में सहायक होता है. व्यक्ति अत्यधिक धन-संपत्ति का अधिपति होता है. योगों को कुण्डली में देखकर किसी के व्यक्तित्व को समझा जा सकता है. ज्योतिष योग कुण्डली में विचार कर जातक की सफलता का निर्णय करने में सहायता मिलती है, यह योग जीवन के अनेक क्षेत्रों में अच्छा फल प्रदान करते हैं.
कलानिधि योग का निर्माण | Formation of Kalanidhi Yoga
चर लग्न में नवमेश बृहस्पति से युक्त होने पर तथा पंचमेश के पंचमस्थ होने पर और प्रबल दशमेश के लाभ भाव में स्थित होने पर कलानिधि योग का निर्माण होता है.
यदि कुण्डली में गुरु दूसरे या पंचम भाव में स्थित हो और शुक्र या बुध उसे देख रहा हो तब कलानिधि योग बनता है. इसके अतिरिक्त कुंडली में यदि गुरू, बुध या शुक्र की राशि में स्थित है तब भी कलानिधि योग बनता है.
लग्न में यदि चर नवांश हो और नवमेश बृहस्पति के साथ लग्न में स्थित हो तथा पंचमेश पंचम में ही स्थित हो तथा दशमेश बली होकर लाभ स्थान में स्थित हों तो कलानिधि योग का फल प्राप्त होता है. इस योग में कहा जाता है कि आयु के 23वें वर्ष में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है.
कलानिधि के बारे में एक अन्य तथ्य यह है कि नवांश से संबंधित ग्रहों का उल्लेख नहीं होता क्योंकि नवांश संबंधित ग्रह योग काफी किलष्ट होते हैं. दूसरे भाव में गुरू को बुध और शुक्र से अवश्य संयुक्त होना चाहिए. अथवा पंचम भाव में शुक्र और बुध गुरू की राशि धनु या मीन में स्थित हों तो कलानिधि योग की सरंचना होती है.
कलानिधि योग का प्रभाव | Effect of Kalanidhi Yoga
कलानिधि योग के निर्माण द्वारा जातक को राज सुख की प्राप्ति होती है. जातक को राज सम्मान की प्राप्ति होती है. विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख प्राप्त होता है. व्यक्ति अत्यधिक धन- संपत्ति का अधिपति हो सकता है, ज्ञानी, गुणवान, कार्य कुशल तथा विवेकी होता है.
सरकार द्वारा सम्मानित लोगों की कुण्डली में कलानिधि योग देखा जा सकता है. यदि कुंडली में कलानिधि योग बनता है तब आपके भी किसी कार्य के लिए सरकार आपको सम्मानित कर सकती है. जातक कुलीन समाज वाला और रोगों से मुक्त होता है. जातक को व्यवसाय में प्रगति मिलती है. जातक प्रचुर धन प्राप्त करने में सफल होता है.