Articles in Category Remedies

अगर आपकी कुण्डली में भी है शनि दोष तो इन उपायों को करने से मिलेगी राहत

कुंडली में मौजूद सभी ग्रह अच्छे या बुरे फल देने वाले सिद्ध हो सकते हैं. शनि यदि कुंडली में शुभ भावों के स्वामी हैं तब वह बुरा फल नहीं देते. यदि शनि कुण्डली शुभ होकर निर्बल है तब उसे बल देना आवश्यक

इन आसान तरीकों से कर सकते हैं, कुण्डली के कमजोर सूर्य को बलवान

कुण्डली में ग्रह पीडा होने पर गोचर का जो ग्रह व्यक्ति को पीडा दे रहा हो तो उक्त ग्रह से संबंधित उपाय करने पर कुछ शुभ पभावों को प्राप्त किया जा सकता है. सूर्य कुण्डली में आरोग्य शक्ति व पिता के कारक

श्री महालक्ष्मी यंत्र का महात्म्य और स्थापित करने कि सही विधि

श्री महालक्षमी यंत्र, की अधिष्ठात्री देवी कमला हैं, इस यंत्र के पूजन एवं स्मरण मात्र से वैभव एवं सुख की प्राप्ति होती है. महालक्ष्मी यन्त्र की पूजा एवं स्थापना द्वारा व्यक्ति को अपने निवास स्थान में

विवाह और संतान-सुख में उपपद का महत्व

ज्योतिष में सामान्यत: विवाह सुख और संतान सुख का विचार सप्तम एवं पंचम भाव से किया जाता है, परंतु इसके साथ ही साथ विवाह एवं संतान के विचार के लिए उपपद को एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है. उपपद से दूसरे

श्री यंत्र प्रतिष्ठापन और पूजा की आसान विधि

श्री यंत्र देवी लक्ष्मी का यन्त्र होता है यह कष्टनाशक होने के कारण यह सिद्धिदायक और सौभाग्यदायक माना जाता है. लक्ष्मी कृपा हेतु श्रीयंत्र साधना के बारे में बताया जाता है. श्रीयंत्र की रचना पांच

मंत्र जाप से बदल सकता है आपका जीवन, ऐसे

प्राचीन धर्म ग्रन्थों में मंत्र जाप के महत्व को बहुत विस्तार पूर्वक बताया गया है. भारतीय संस्कृति में मंत्र जाप की परंपरा पुरातन काल से ही चली आ रही है. प्राचीन वेद ग्रंथों में सहस्त्रों मंत्र

ऊं नम: शिवाय मंत्र जाप की सही विधि (सही फल प्राप्ति के लिये)

"ॐ नमः शिवाय" मंत्र भगवान शिव की महिमा एवं उनके स्वरुप को दर्शाता है. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भक्त के हृदय की गहराइयों में पहुंचकर उसका साक्षात्कार शिव से कराता है. यह मंत्र भक्तों का सरल लोकप्रिय

शुक्र अगर वक्री हो जाये तो क्या होगा? देखिये

शुक्र ग्रह मान सम्मान, सुख और वैभव, दांपत्य सुख एवं भोग विलासिता के प्रतीक माने जाते हैं. साधारणत: यदि यह पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट न हों तो जातक को हंसमुख एवं विनोद प्रिय बनाते हैं. जातक मिलनसार और

सभी ग्रहों के लिये सही रत्न और उनके सस्ते विकल्प

विभिन्न ग्रहों के रत्न | Gemstones for Different Planets सूर्य - माणिक्य, चन्द्र - मोती, मंगल - मूँगा, बुध - पन्ना, बृहस्पति - पुखराज, शुक्र - हीरा, शनि - नीलम, राहु - गोमेद, केतु - लहसुनिया. विभिन्न

बुध अगर वक्री हो तो ये जानना जरूरी है

वक्री ग्रहों की दशा में देशाटन, व्यसन एवं अत्यधिक भागदौड. जन्मांग में जो ग्रह वक्री होता है वह अपनी दशा एवं अन्तरदशा में प्रभावशाली फल प्रदान करने वाला बनता है. बुध ग्रह के वक्री होने पर मिलेजुले

मंत्र जाप से राशि के दोष दूर कैसे करें. आईये देखें

ज्योतिष के अनुसार सभी बारह राशियों की अपनी कुछ विशेषता होती है. उसी के अनुसार उस राशि के मंत्र भी होते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अपनी राशि के स्वामी को प्रसन्न करने के लिए एक विशिष्ठ मंत्र का जाप किया

दान द्वारा ग्रहों को अनुकूल कैसे करें

ग्रहों के लिए क्या-क्या दान करना चाहिए इसके उनसे संब्म्धित वस्तुओं के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करके आप उनके शांति उपाय उपयोग में ला सकते हैं जिससे उनके

कुण्डली में कुसुम योग | Kusum Yoga in a Kundali | Kusum Yoga

ज्योतिष शास्त्र में कुसुम योग का महत्व विस्तार पूर्वक बताया गया है. कुसुम योग बनने के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति का जीवन किस प्रकार से प्रभावित होता है इस तथ्य को अनेक ज्योतिष से संबंधित पुस्तकों में जाना

शनि शांति के ज्योतिष द्वारा आसान उपाय - खुद करें

ज्योतिष शास्त्रों में शनि की व्याख्या अधिक की गई है, शनि की महादशा और शनि की साढेसाती से हर व्यक्ति प्रभावित होता है. शनि व्यक्ति को जीवन के उच्चतम शिखर या निम्नतम स्तर में बिठा सकते है. ज्योतिष

मूल नक्षत्र क्या है और उससे आपके जीवन पर क्या प्रभाव होगा, जानिये

अश्वनी ,आश्लेषा ,मघा ,ज्येष्ठा ,मूल तथा रेवती नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहे जाते हैं. यह नक्षत्र संधि क्षेत्र में आने से दुष्परिणाम देने वाले माने जाते हैं. इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के

कुण्डली से जाने संतान सुख का योग | Yogas for a Child in a kundali

कुण्डली में स्थित ग्रहों कि स्थिति के द्वारा संतान सुख के विषय में जाना जा सकता है. किसी की कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति होती है जो उन्हें कई संतानों का सुख देती है. तो किसी कि कुण्डली संतान में

आपका कौन सा ग्रह बली है? राशि और ग्रहबल के बारे में जानिये

ज्योतिष में ग्रहों और राशियों को अनेक प्रकार के बल प्राप्त हैं. इन बलों के आधार पर ग्रहों एवं राशियों की स्थिति एवं उसके अच्छे एवं बुरे प्रभावों को जाना जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और

कुंडली कैसे मिलायें? अपनी कुंडली स्वयं मिलाएं इस तरीके से

हिन्दू धर्म में विवाह करने से पूर्व वर-वधू दोनों की कुण्डलियों का मिलान किया जाता है. कुण्डली मिलान में बहुत सी बातों का विचार किया जाता है जिसमें से मांगलिक योग, अष्टकूट मिलान तथा दशाक्रम इत्यादि को

ज्योतिष में मंत्र व उपासना का महत्व | Importance of Mantras and Worship in Astrology

ज्योतिष शास्त्र में मंत्र व उपासना के महत्व को विस्तारपूर्वक बताया गया है. मंत्रों का जाप और उपासना द्वारा जीव सभी दुखों से मुक्ति पाने की क्षमता पाता है. हमारे शास्त्रों में इन्हीं मंत्रोउच्चारणों

मंगल का ज्योतिष में महत्व | Importance of Mars in a Kundali

ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर एक सेनापती के रुप में दर्शाया गया है. यह ताकत, साहस और पौरुष का कारक है. मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल के प्रबल प्रभाव