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नव तारा चक्र : जानें नवतारा चक्र में शुभ अशुभ तारा
वैदिक ज्योतिष में जन्म नक्षत्र उस नक्षत्र को कहते हैं जिसमें चंद्रमा जन्म के समय स्थित होता है. सत्ताईस नक्षत्र इस प्रकार हैं : अश्विनी नक्षत्र , भरणी नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा
मंगल तुला राशि में जानें इसका आपके जीवन पर प्रभाव
मंगल जब तुला में होता है तो यह काफी जबरदस्त तरह से अपना असर दिखा सकता है. मंगल एक अग्नि तत्व युक्त ग्रह है ओर तुला राशि शुक्र के स्वामित्व की परिवर्तनशील वायु तत्व राशि है. ऎसे में तुला पर मंगल का
कुंडली में मौजूद गण बता देगा आपके सारे भेद
कुंडली में गण की स्थिति को कुछ विशेष पहलुओं से देखा जाता है. जिसमें विवाह को लेकर यह प्रमुखता से होती है, लेकिन इसके अलावा भी गण का असर व्यक्ति की कुंडली में कई तरह के असर दिखाने में आगे रहता है.
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र गोचर फल
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. यह खगोलीय घटना राशि के अनुसार कैसे प्रभावित कर सकती है.आइए
भरणी नक्षत्र का प्रत्येक ग्रहों पर असर
राशि चक्र में 13° 20 मेष - 25° 40 डिग्री मेष में भरणी नक्षत्र का स्थान समाहित होता है. भरणी नक्षत्र मंगल मेष राशि के अंतर्गत आता है और शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. भरणी का प्रभाव भरण से संबंधित
सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र गोचर फल
सूर्य का गोचर पुनर्वसु नक्षत्र में तब होता है जब सूर्य मिथुन राशि के अंतिम चरणों की ओर अग्रसर होता है. पुनर्वसु नक्षत्र के तीन चरण मिथुन राशि में ही पड़ते हैं और इसका अम्तिम चरण कर्क राशि में होता
मंगल का अश्विनी नक्षत्र में होने का विशेष फल
मंगल ग्रह मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, इच्छाओं, काम करने की तीव्रता, आक्रामक स्वभाव, क्रोध, लड़ने की क्षमता, सैनिक, खिलाड़ी आदि का प्रतिनिधित्व करता है. और मेष राशि जो राशि चक्र की पहली राशि है
सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र गोचर
सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र प्रवेश कई मायनों में बदलावों की स्थिति को दर्शाता है. किसी भी ग्रह का राशि और नक्षत्र बदलाव किसी न किसी रुप में बदलाव का संकेत अवश्य देता है. मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि और
सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र गोचर फल
सूर्य ने 22 जून को गोचर करते हुए आर्द्रा नक्षत्र में जाएंगे. आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 06.20 से 20.00 डिग्री पर स्थित होता है, पश्चिमी ज्योतिष में इसे ओरियन के नक्षत्र में बेटेलगेस के नक्षत्र और
कर्क राशि में सूर्य का गोचर, लाएगा नए बदलाव
सूर्य का प्रत्येक माह में एक राशि से दूरी राशि में प्रवेश अत्यंत महत्वपूर्ण घटना होती है. सूर्य का कर्क राशि परिवर्तन सौर मास गणना में संक्रांति काल कहलाता है. कर्क राशि में प्रवेश का समय सूर्य के
केतु का वृश्चिक राशि में गोचर, उच्च का केतु बदलेगा भाग्य
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु का स्थान छाया ग्रह के रुप में है. इसे ग्रह न समझ कर परछाई कहा गया है. इस छाया ग्रह होने के कारण केतु बहुत ही गहरा असर डालने में सक्षम होता है. राहु ओर केतु यह दोनों ही
मंगल का मेष राशि में गोचर, लाएगा कठोर बदलाव
मंगल एक उग्र व अग्नि युक्त ग्रह हैं. सभी ग्रहों में से मंगल को ही ऎसे कार्यों का सौंपा जाता है जिनमें शक्ति और साहस का परिचय दिया जा सके. यह एक योद्धा की भांति है जिसमें अदम्य साहस है विपत्तियों से
आईये जानें, कैसा होगा गुरु महाराज वक्री होकर धनु मे जाना
गुरु का गोचर इस समय मकर राशि पर हो रहा है. मकर राशि में ही गुरु इस समय वक्री होकर गोचर कर रहे हैं. पर आने वाले 30 जून 2020 को गुरु मकर से निकल कर अपनी पूर्व राशि धनु में प्रवेश करेंगे. गुरु वक्री
अभी निपटा लें अपने जरुरी काम क्योंकि 18 जुलाई से रुक जाएंगे सभी मांगलिक कार्य
17 जुलाई को मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी इस दिन के बाद से सभी प्रकार के विवाह, सगाई, गृह प्रवेश मुहूर्त इत्यादि शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आषाढ़ मास की एकादशी के दिन से इन मांगलिक कार्यों पर
21 जून को लगने वाला कंकण सूर्यग्रहण बढ़ा सकता है परेशानियां, इस राशि और नक्षत्र पर होगा खास असर
21 जून को लगने वाला कंकण सूर्य ग्रहण एक बहुत बड़ा और अधिक प्रभावशाली ग्रहण होगा. कंकण सूर्य ग्रहण को भारत समेत अन्य कई देशों में भी देखा जा सकेगा. इस कंकण सूर्य ग्रहण के प्रभाव के चलते राजनैतिक,
साल 2025 में अमृत सिद्धि योग
किसी भी मुख्य कार्य को करने के लिए ज्योतिष में शुभ मुहूर्त विचार के बारे में बताया गया है. कई बार परिस्थिति वश अथवा समय के अभाव के चलते उपयुक्त समय न मिल पाने के कारण कोई सुनिश्चित या निर्धारित
साल 2024 में चूड़ाकर्म संस्कार शुभ मुहूर्त समय
हमारे प्राचीन काल से भारतीय आयुर्वेद संतों ने सोलह कर्मकांडों का वर्णन दिया है। इन सभी सोलह अनुष्ठानों में शिशु के चुराकर्म संस्कार की प्रक्रिया भी शामिल है। वर्ष 2024 में 'चूड़ाकर्म संस्कार'
गण्डमूल नक्षत्र 2024
27 नक्षत्रों में से छ: नक्षत्र ऎसे हैं जिन्हें गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है. यह नक्षत्र दो राशियों की संधि पर होते हैं, एक नक्षत्र के साथ ही राशि भी समाप्त होती है और दूसरे नक्षत्र के आरंभ के साथ ही
2024 में सूर्य संक्रांति का समय और कब करें दान-पूजा (पुण्यकाल)
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्राति कहलाता है. संक्रान्ति को हिन्दू पंचांग में सूर्य राशि परिवर्तन समय कहा जाता है. इस समय के दौरान बहुत से धार्मिक कृत्य भी किए जाते हैं. 12
जानें शनि की साढ़ेसाती और नक्षत्रों का व्यक्ति पर प्रभाव
जन्म चंद्र से जब गोचर का शनि बारहवें भाव में आता है तब व्यक्ति की साढ़ेसाती का प्रभाव आरंभ हो जाता है. यह साढ़ेसाती का पहला चरण माना जाता है. अब जन्म चंद्र के ऊपर शनि आता है तब दूसरा चरण और जन्म