Articles in Category Ashtakavarga
चंद्रमा कब और कैसे सेहत पर डालता है असर
ज्योतिष की एक शाखा ज्योतिष चिकित्सा ज्योतिष, ज्योतिष भैषज्य के नाम से है. इस चिकित्सा ज्योतिष द्वारा सेहत ओर रोग व्याधियों के बारे में जानकारी पता चल पाती है. सेहत पर पडने वाला किसी भी तरह का
इन्दु लग्न विवेचन | Analysis of Indu Lagna
इंदु लग्न को धन लग्न भी कहा जाता है अष्टकवर्ग में इसका विशेष उपयोग देखा जा सकता है. वृहतपराशर होरा शास्त्र में इसे चंद्र योग के नाम से संबोधित किया गया है. इंदु अर्थात चंद्रमा इस विशेष लग्न का उपयोग
अष्टकवर्ग में इन्दु लग्न का उपयोग | Use of Indu Lagna in Ashtakavarga
अष्टकवर्ग में इन्दु लग्न द्वारा जातक के आर्थिक स्तर का पता लगाया जाता है. सर्वाष्टकवर्ग का प्रयोग कुण्डली में भाव और भावेश के बल का पता लगाने के लिए किया जाता है. सामान्यत: कुण्डली में लग्न समेत
अष्टकवर्ग से जाने ग्रहों के गोचर का फल
अष्टकवर्ग में किसी राशि या भाव के साथ - साथ ग्रहों पर पड़ने वाली इन आठ प्रकार की ऊर्जाओं को समझने के लिए राशि के 30 अंशों को 3 अंश 45 कला में विभाजित किया गया है. इन्हें ही कक्ष्याएं कहा जाता है. 3
शुक्र के भिनाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis of Bheenashtakvarga of Venus
शुक्र के भिनाष्टकवर्ग से जन्म कुण्डली के जातक को शुक्र से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए उससे प्राप्त बिन्दुओं की संख्या को जानने की आवश्यकता होती है. शुक्र को वैभव, विलासिता और
बृहस्पति के भिन्नाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis Of Bheenashtakvarga of Jupiter
अष्टकवर्ग में बृहस्पति के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक को बृहस्पति से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए बिन्दुओं की संख्या का निर्धारण करने की आवश्यकता पड़ती है. बृहस्पति को समस्त
बुध के भिन्नाष्टक का विवेचन | Analysis of Bheenashtakvarga of Mercury
अष्टकवर्ग में बुध के फलों के बारे में जानने के लिए उसके भिन्नाष्ट वर्ग में प्राप्त बिन्दुओं की संख्या द्वारा समझना आसान होता है. किसी जातक की कुण्डली में 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित बुध निर्बल होता
मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis of Bheenshastakvarga of Mars
मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को
चंद्रमा का भिन्नाष्टक और उसका फलकथन
चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ
सूर्य के भिन्नाष्टकवर्ग की विवेचना | Analysis of Bheenashtakvarga of Sun
सूर्य के भिन्न्ष्टकवर्ग से जातक के शुभाशुभ परिणामों की विवेचना की जाती है. सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. वह आत्मा है. यह आरोग्य व चेतना शक्ति को दर्शाता है. यदि जन्म कुण्डली में सूर्य बली होकर
शोध्य पिण्ड निकालने का तरीका | Method To Calculate Shodhya Pinda
अष्टकवर्ग के सर्वाष्टक में मंडल शोधन, शोधनों त्रिकोण शोधन और एकाधिपत्य शोधन करने के पश्चात शोध्य पिण्ड की गणना कि जाती है. ग्रहों के शोध्य पिण्ड निकालने का नियम हम पहले ही आपको बता चुके हैं जिसके
एकाधिपत्य शोधन | Ekadhipatya Shodhan
त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दुसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही
एकाधिपत्य शोधन करने का तरीका | Method to Calculate Ekadhipatya Shodhan
त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही
त्रिकोण शोधन करने का तरीका | Method To Compute Trikon Shodhan
सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक
सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने का तरीका | Method For Doing Mandal Shodhan in Sarvashtakavarga
जिस प्रकार हर ग्रह के भिन्नाष्टक में शोधन करके उसका शोध्य पिण्ड ज्ञात किया जाता है, उसी तरह से सर्वाष्टकवर्ग का भी शोध्य पिण्ड निकाला जा सकता है. परंतु यहां एक बात विशेष ध्यान देने योग्य होती है कि
सर्वाष्टक बनाने का तरीका | Method to Create Sarvashtak
अष्टकवर्ग में ग्रहों का भिन्नाष्टकवर्ग बनाए बिना सीधे ही सर्वाष्टक वर्ग कैसे बनाया जाए इसके लिए सर्वाष्टकवर्ग सारणी का उपयोग करते हुए सर्वाष्टकवर्ग बनाया जाता है जिसका उल्लेख हम पहले ही कर चुके हैं.
अष्टकवर्ग में फलित के नियम | Rules for Results in Ashtakavarga
पराशर होरा शास्त्र में महर्षि पराशर जी कहते हैं कि विभिन्न लग्नों के लिए तात्कालिक शुभ और अशुभ ग्रह होते हैं जिनके द्वारा फलित को समझने में आसानी होती है. यह कई बार देखने में आता है कि ग्रह किसी
अष्टकवर्ग में नक्षत्रों द्वारा गोचर की महत्ता | Significance of Transits Through Nakshatra in Ashtakavarga
नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र
सर्वाष्टक वर्ग बनाने की सारिणी | Procedure for Formulating Sarva Ashtak Varga
सर्वाष्टक बनाने के लिए आप प्रस्तारक वर्ग न बनाना चाहें तो यहां दि गई विधि से आप आसानी से सर्वाष्टक बना सकते हैं. कभी कभी किसी विशेष कार्य के लिए केवल सर्वाष्टकवर्ग की ही आवश्यकता होती है. इसलिए ऎसे
अष्टकवर्ग कुंडली बनाने का नियम
अष्टकवर्ग कुण्डली बनाने के लिए आठ वर्ग कुण्डलियां बनाई जाती हैं. जिसमें सभी सात ग्रह होते हैं और लग्न होता है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले ग्रहों का प्रस्तारक वर्ग बनाया जाता है. जिसमें सूर्य,