22 अप्रैल 2023 को नव विक्रम संवत का आरंभ होगा. 2080 का नव संवत्सर “पिंगल” नाम से पुकारा और जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा बुध होंगे और मंत्री शुक्र होंगे. पिंगल नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में व्यवधान की स्थिति देखने को मिल सकती है. इस समय पर राजा और मंत्री दोनों के कारण स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इस समय पर लोगों के मध्य निरंकुशता का प्रभाव देखने को मिल सकता है.
सम्वत राजा बुध
इस वर्ष संवत का राजा बुध होगा. बुध के प्रभाव से एक चीज जो मुख्य रुप से देखने को मिल सकती है वह है लोगों के भीतर उत्साह ओर क्रोध. इस समय पर दुर्घटनाओं के प्रभाव से शुभ जन मानस के साथ प्रकृति भी प्रभावित हो सकती है. मंगल के प्रभाव के कारण चीजों में उछाल भी देखने को मिल सकता है. इस समय पर प्रक्रति में बदलाव भी देखने को मिलेगा. भारी वर्षा और चक्रवात की स्थिति हो सकति है. अग्नि से होने वाली दुर्घटनाओं में वृद्धि भी देखने को मिल सकती है. पशों की कमी या पशुओं की हानि हो सकती है. शासन के प्रति आरोप प्रत्यारोपों का दोर भी देखने को मिल सकता है.
सम्वत मंत्री शुक्र
इस वर्ष के मंत्री दोनों ही शुक्र हैं. इस कारण स्थिति थोड़ी जटिल हो सकती है. मंत्री होने के कारण भौतिक सुख सुविधाओं को लेकर खिंचतान रह सकती है. राज्यों में चोरी ठगी, भ्रष्टाचार होने से हिंसा की स्थिति पनपेगी. जनता के मध्य उपद्रव होने की स्थिति रहेगी. जन धन की हानि होने और नेताओं में परस्पर विरोध की स्थिति भी दिखाई देगी. रोगों की अधिकता से लोगों के मध्य भय की स्थिति रह सकती है. धार्मिक भावनाओं के प्रति रुढी़वादीता देखने को मिलेगी. लोग चोरों और तस्करों के कारण परेशानी जेल सकते हैं.
सस्येश (फसलों) का स्वामी सूर्य
इस समय सस्येश सूर्य के होने से रस भरे फलों की कम पैदावार हो सकती है. सूर्य का प्रभाव होने से रस और दूध और फलों की वृद्धि की कमी दिखाई दे सकती है. इस के साथ ही इन फलों के अतिरिक्त गेहूं, ईख (गन्ना) और फलदार वृक्षों और फूलों की पैदावार भी अच्छी हो सकती है. मौसमी फलों की पैदावार भी अच्छी हो सकती है.सोना, चांदी घी तेल चावल इत्यादि का व्यापार करने वालों के लिए समय लाभ का होगा. कृषि के क्षेत्र में अच्छा रुख दिखाई दे सकता है.पशुओं से लाभ मिलने की उम्मीद भी दिखाई देती है. खेती से जुड़े व्यापारियों को भी लाभ मिलने की अच्छी स्थिति दिखाई देती है.
मेघश गुरु का प्रभाव
मेघेश यानी के वर्षा का स्वामी. इस वर्ष गुरु को मेघेश का स्थान प्राप्त हो रहा है. गुरु के प्रभाव से प्रतिकूल वर्षा की स्थिति देखने को मिल सकती है. समाज में इस कारण अव्यवस्था फैल सकती है. बाढ़ और भूस्खलन का प्रभाव भी पड़ सकता है.
मेघश का प्रभाव जहां पर होगा उस स्थान पर दूध और रस दार पदार्थों का प्रभाव अनुकूल रुप से रहेगा. लोगों को इन सभी से लाभ मिलेगा. गेहू और धान की पैदावार अच्छी होगी. वृक्षों पर फल फूलों की पर्याप्त मात्रा बनी रहने वाली है.
धान्येश शनि का प्रभाव
धान्येश अर्थात अनाज और धान्य जो हैं उनके स्वामी शनि होंगे. शनि के प्रभाव से खेती अच्छी होगी और अनाज की पैदावार भी अच्छे से होती है. वर्षा का शुभ प्रभाव होने से लाभ की प्राप्ति होती दिखाई देती है. सभी प्रकार के रस भरे पदार्थों में बहुत अच्छी स्थिति रह सकती है. मूल्यों में वृद्धि अधिक रह सकती है. इस समय पंजाब से जुड़े क्षेत्रों में कृषी पर प्रभाव देखने को मिल सकता है. घाटे की स्थिति प्रभावित कर सकती है. इस समय वर्षा की कमी भी इसका कारण हो सकती है. पदार्थों में तेजी आएगी ये वस्तुएं महंगी हो सकती है.शासन की ओर से मदद भी मिल सकती है.
रसेश मंगल का प्रभाव
रसों का अधिकारी मंगल बनेंगे. मंगल के प्रभाव से वर्षा की स्थिति कम हो सकती है. भौतिक सुख कुछ कम रह सकते हैं. इस समय पर गर्मी के कारण रसों में कमी का प्रभाव भी आ स्कता है. घी मक्खन, तेल में कुछ कमी होने से इनका महंगा प्रभाव भी रहेगा.इस समय पर प्रजा में चीजों की कमी का भय भी रह सकता है. प्रजा और शासन के मध्य में तनाव भी बढ़ सकता है. रसेश के प्रभाव से रुखापन जीवन में अधिक रहने वाला है.
नीरसेश सूर्य का प्रभाव
नीरसेश अर्थात ठोस धातुओं का स्वामी. इनका स्वामी सूर्य है. सूर्य के प्रभाव से सुंगधित वस्तुओं का व्यापार अच्छे से होने की उम्मीद दिखाई देती है. चीजों में आकर्षण का भाव होगा लोगों में भी इसकी ओर झुकाव रहेगा. इन चीजों की खरीदारी भी अच्छी हो सकती है.
फलेश गुरु का प्रभाव
फलेश अर्थात फलों का स्वामी. फलेश गुरु के प्रभाव से शुभ प्रभाव की प्राप्ति हो सकती है. शासन में लोगों का कुछ विश्वास गहरा होगा. न्याय के प्रति लोगों की समझ विकसित होगी. विद्वानों को इस समय लाभ मिल सकता है.
धनेश सूर्य का प्रभाव
धनेश अर्थात धन का स्वामी राज्य के कोश का स्वामी. धनेश सूर्य के होने से यह समय आर्थिक क्षेत्र में थोड़ा अनुकूल कहा जा सकता है. इस समय पर लोगों की ओर से लाभ में वृद्धि का कुछ मौका मिल सकता है. शासन व्यवस्था में व्यापार करने वालों के लिए ये कुछ सकारात्मक स्थिति हो सकती है.
दुर्गेश गुरु का प्रभाव
दुर्गेश अर्थात सेना का स्वामी. गुरु के दुर्गेश होने से सैन्य कार्य थोड़े सुस्त देखाई दे सकते हैं. इस समय पर नए चीजों का आगमन तो होगा लेकिन प्रभावशीलता अधिक न दिखाई दे पाए.