आज हम आपको कन्या लग्न के बारे में सामान्य जानकारी देने का प्रयास किया जाएगा. आने वाले समय में इसकी आपको विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. कन्या लग्न के व्यक्ति की विशेषताएँ, उसके लिए शुभ्-अशुभ ग्रह आदि का वर्णन किया जाएगा. इस लग्न के लिए शुभ रत्न कौन से हो सकते हैं इसकी जानकारी भी आपको दी जाएगी.
कन्या राशि का परिचय | An Introduction to Virgo Sign
कन्या राशि भचक्र में छठे स्थान पर आने वाली राशि है. इस राशि का विस्तार 150 अंशो से 180 अंशो तक माना गया है. इस राशि का स्वामी बुध होता है और इसे सभी ग्रहों में राजकुमार की उपाधि प्रदान की गई है. इसलिए इसके प्रभाव वाला व्यक्ति भी स्वयं को राजकुमार से कम नहीं समझता है.
यह राशि स्वभाव से द्वि-स्वभाव राशि के अन्तर्गत आती है. इस राशि का तत्व पृथ्वी है और पृथ्वी तत्व होने से इसमें सहनशक्ति भी होती है. इस राशि का प्रतीक चिन्ह एक लड़की है जो नाव में सवार है और उसके एक हाथ में गेहूँ की बालियाँ व दूसरे में लालटेन है जो मानव सभ्यता का विकास दिखाती है. लालटेन को प्रकाश का प्रतीक माना गया है. नाव में सवार यह निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.
कन्या राशि का व्यक्तित्व | Characteristics of Virgo Sign
आइए एक नजर कन्या राशि की विशेषताओं पर भी डालते हैं. कालपुरुष की कुंडली में यह राशि छठे भाव में पड़ती है और छठा भाव रोग, ऋण व शत्रुओ का माना जाता है. इसी भाव से प्रतियोगिताएँ व प्रतिस्पर्धाएँ भी देखी जाती हैं.
जब यह राशि लग्न में उदय होती है तब व्यक्ति को जीवन में बहुत सी प्रतिस्पर्धाओ का सामना करना पड़ता है. इसलिए यदि आपका कन्या लग्न होने पर आपको जीवन में बिना प्रतिस्पर्धा के शायद ही कुछ मिले. जीवन में एक बार थोड़ा संघर्ष करना ही पड़ता है.
कन्या राशि के प्रभाव से आपके भीतर संघर्षों से लड़ने की क्षमता होती है क्योकि यह राशि पृथ्वी तत्व राशि मानी गई है इसलिए यह परिस्थिति से पार निकलने में सक्षम होती है. बुध को बौद्धिक क्षमता का कारक माना गया है इसलिए बुध के प्रभाव से आप बुद्धिमान व व्यवहार कुशल व्यक्ति होते हैं.
आप तर्क-वितर्क में भी कुशल होते हैं और हाजिर जवाब भी होते हैं. आपके इसी गुण के कारण सभी लोग आपसे प्रभावित रहते हैं. आप स्वभाव से संकोची व शर्मीले होते हैं और आप आसानी से लोगो से मिलते-जुलते नहीं हैं, थोड़े झिझकने वाले व्यक्ति होते हैं. आप जीवन में कम्यूनिकेशन व पढ़ने-लिखने वाले कामों में सफलता ज्यादा पा सकते हैं.
कन्या लग्न के लिए शुभ ग्रह | Auspicious Planets for Virgo Ascendant
कन्या लग्न के लिए शुभ ग्रहो की बात करते हैं. कन्या लग्न का स्वामी बुध लग्नेश होने से शुभ हो जाता है. शुक्र भाग्य भाव का स्वामी होने से शुभ होता है. भाग्य भाव कुंडली का नवम भाव है जो कि सबसे अधिक बली त्रिकोण माना गया है.
शनि कुंडली के पंचम व छठे भाव दोनो का स्वामी होता है. पंचम का स्वामी होने से शनि शुभ ही होता है लेकिन छठे भाव के गुण भी दिखा सकता है यदि कुंडली में इसकी स्थिति सही नही है तो.
सभी शुभ माने जाने वाले ग्रहों की शुभता कुंडली में इनकी स्थिति पर निर्भर करती है. यदि यह कुंडली में निर्बल हैं तब इनकी दशा/अन्तर्दशा में शुभ फलों में कमी हो सकती है.
कन्या लग्न के लिए अशुभ ग्रह | Inauspicious Planets for Virgo Ascendant
शुभ ग्रहो के बाद अब कन्या लग्न के लिए अशुभ ग्रहो की भी बात करते हैं. इस लग्न के लिए बृहस्पति बाधकेश का काम करता है. कन्या लग्न द्वि-स्वभाव राशि होती है और द्वि-स्वभाव राशि के लिए सप्तमेश बाधक ग्रह माना गया है.
बृहस्पति की दोनो राशियाँ केन्द्रों में पड़ती है इसलिए बृहस्पति को केन्द्राधिपति होने का दोष भी लगता है. सूर्य इस लग्न के लिए बारहवें भाव का स्वामी होने से शुभ नही होता हैं. चंद्रमा भले ही इस लग्न के लिए एकादश भाव के स्वामी होकर लाभ देने वाले हैं लेकिन त्रिषडाय के स्वामी होने से अशुभ बन जाते है.
मंगल इस लग्न के लिए अत्यंत अशुभ है क्योकि दो अशुभ भावों के स्वामी होते हैं. कन्या लग्न में मंगल तीसरे व अष्टम भाव के स्वामी होते है और दोनो ही भाव शुभ नही माने जाते हैं.
कन्या लग्न के लिए शुभ रत्न | Auspicious Gemstones for Virgo Ascendant
अंत में आपको शुभ रत्नो की जानकारी दी जाती है. इस लग्न के लिए पन्ना, डायमंड व नीलम शुभ रत्न माने गए हैं. पन्ना बुध के लिए, डायमंड शुक्र के लिए व नीलम शनि के लिए पहना जाता है.
आप यदि महंगे रत्न नहीं खरीद सकते तब इनके उपरत्न भी पहन सकते हैं. पन्ना के लिए हरा टोपाज, डायमंड के लिए जर्कन या ओपल व नीलम के लिए नीली या लाजवर्त भी पहने जा सकते हैं. जिस ग्रह की दशा कुंडली में चल रही हो उससे संबंधित मंत्र का जाप नियमित रुप से करना चाहिए. इससे अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलो की बढ़ोतरी होती है.