वैदिक ज्योतिष में बहुत से योगो का वर्णन मिलता है. बहुत से अच्छे होते हैं और बहुत से बुरे योग भी होते हैं. कुछ व्यक्तियों को जीवनभर अच्छे योग ही मिलते हैं तो कुछ दुर्भाग्यशाली होते हैं और पूरा जीवन संघर्षों में बीत जाता है. यह उनके पूर्व जन्मों के फल के कारण भी हो सकता है. कुछ व्यक्ति जीवन में मिश्रित फलों को पाते हैं. सभी व्यक्तियों की कुंडली में शुभ व अशुभ योग बने होते हैं. जिन योगो की अधिकता होती है वही जीवन में मिलते है. कई जन्म कुंडलियाँ ऎसी भी होती है जिनमें राजयोग तो बना होता है लेकिन वह बनने के साथ ही भंग भी हो जाता है इस कारण उन राजयोगों का फल व्यक्ति को उनकी दशा आने पर भी नहीं मिलता है.

आइए आज इस लेख के माध्यम से हम जन्म कुंडली में राजयोगो के भंग होने के बारे में जाने कि वह कौन से योग हैं जिनके कारण राजयोग भंग हो जाता है.

  • यदि जन्म कुंडली में सूर्य अपनी उच्च राशि में स्थित है लेकिन नवांश कुंडली में सूर्य नीच राशि तुला में चला गया है और पाप ग्रह से दृष्ट हो या संबंध बना रहा हो तब यह राजयोग भंग हो जाता है. सूर्य को जो शुभ फल देने चाहिए वह उन्हें नही देता है.
  • कुंडली में नवमेश द्वादश भाव में यदि पाप या अशुभ ग्रहों के साथ स्थित हो तब भी शुभ फल नहीं मिलते हैं.
  • जन्म कुंडली के केन्द्र स्थान में शनि स्थित हो, लग्न में चंद्रमा और द्वादश भाव में बृहस्पति स्थित हो तब भी कुंडली के शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • जन्म कुंडली और नवांश कुंडली दोनो में ही शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में स्थित हो तब भी कुंडली के शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • जन्म कुंडली के छठे भाव में यदि सूर्य व चंद्रमा एक साथ स्थित हों और शनि का इनसे संबंध बन रहा हो तब भी कुंडली के शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • कुंडली में मेष राशि में चंद्रमा, मंगल के साथ स्थित होकर शनि से दृष्ट हो लेकिन किसी भी शुभ ग्रह का उनके साथ संबंध ना बन रहा हो.
  • जन्म कुंडली के केन्द्र में सूर्य, चंद्रमा व शनि स्थित हो तब भी राजयोग भंग होने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली के दूसरे भाव में शनि अपने परम नीच अंशो में स्थित हो तब कुंडली के शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • कुंडली में पंचम भाव में परम नीच अंशो पर शुक्र स्थित होने से भी कुंडली के अन्य शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • जन्म कुंडली में बृहस्पति अपनी नीच राशि में स्थित हो और कोई अन्य नीच का ग्रह उसे देख रहा हो.
  • जन्म कुंडली में लग्नेश पाप ग्रहों से युक्त हो और बृहस्पति व शुक्र अस्त हों.
  • कुंडली में चतुर्थेश पाप ग्रहों से युत होकर अस्त भी हो तब भी शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • कुंडली में नवमेश अस्त हो द्वितीयेश व लग्नेश नीच राशि में स्थित हो तब शुभ योग भंग हो जाते हैं.
  • कुंडली में लग्नेश कमजोर अवस्था में स्थित हो और अष्टमेश देख रहा हो तथा बृहस्पति अस्त हो तब भी शुभ योग भंग हो जाते हैं.