योगिनी दशा में अलगी दशा सिद्धा की आती है यह शुक्र की दशा होती है इसकी दशा अवधि सात वर्ष की होती है. यह शुभ दशा मानी गई है. इस दशा में व्यक्ति सुख, सौभाग्य को पाता है. उच्चपद व अधिकार की प्राप्ति होती है. शुक्र की इस दशा में व्यक्ति पर इसका प्रभाव स्पष्टत: दिखाई पड़ता है. यह दशा व्यक्ति में आसक्ति की भावना को दर्शाती है व्यक्ति में एक नई चेतना का आगमन होता है. उसके मन में नए नए विचार उत्पन्न होते हैं. वैदिक ज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से स्त्री का प्रतीक तथा पत्नी का का कारक माना गया है. इसमें कोमलता के गुणों को देखा जा सकता है.
ज्योतिष में शुक्र से भौतिक सुख सुविधाओं इत्यादि को देखा जाता है. शुक्र से आराम पसन्द होने की प्रकृति, रसिकता, प्रेम, सुन्दरता, सजावट, कला, संगीत, गाना बजाना, विलासिता, मादक पदार्थ, कलात्मक गुण, आदि इन्हीं के प्रभाव से प्राप्त होते हैं. सिद्धा दशा में व्यक्ति कला की ओर झुकाव पाता है उसका मन अनेक नई आकर्षण से पूर्ण बातों की ओर झुकाव लिए होता है. यह दशा जीवन साथी के सुख प्रदान करने में भी सहायक बनती है क्योंकि पति- पत्नी का सुख देखने के लिए शुक्र की स्थिति को विशेष रुप से महत्व दिया जाता है.
शुक्र को सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े क्षेत्रों का अधिपति माना जाता है. रंगमंच, चित्रकार, नृत्य कला तथा फैशन भोग-विलास से संबंधित वस्तुओं में व्यक्ति का रूझान बनता है वह इस ओर अपने की जुडा़ पाता है. शुक्र की प्रबल स्थिति व्यक्ति को इस दशा में शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक प्राप्त होता व्यक्ति स्वयं को सौंदर्य की अनुभूति में पाता है तथा अपने पर इस आकर्षण को बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहता है. शुक्र के प्रबल प्रभाव से महिलाएं अति आकर्षक होती हैं. सिद्धा दशा में जातक आम तौर पर फैशन जगत, सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में रूचि रखने की चाह रख सकता है. यह दशा शारीरिक सुखों की भी कारक है प्रेम संबंधों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा सकती है.
सिद्धा दशा का प्रभाव व्यक्ति को रसिक बनाता है. बुरे प्रभाव के प्रभाव से जातक के वैवाहिक जीवन एवं प्रेम संबंधों में समस्याएं उत्पन्न भी हो सकती हैं. यह देखना अत्यंत आवश्यक होता है कि दशा में कितनी मजबूती है और वह अपना प्रभाव किस प्रकार से देने की क्षमता रखती है तभी उसके फलों के विषय में जाना जा सकता है क्योंकि अच्छा व बुरा सभी प्रकार का फल जातक को प्रभावित करेगा ही अब देखने की बात यह होगी की किस फल की कितनी प्रबलता बनती है उसके अनुरूप व्यक्ति को कुंडली में सिद्धा दशा का प्रभाव देखने को मिलता है.
क्योंकि इसके प्रभाव व्यक्ति को अपने लुभावों से जकड़ सकता है, वह एक आकर्षक जीवन की चाह रखने वाला हो सकता है. परिवार व समाज में अपनी सो छवी के अनुरूप दिखने की चाह उसमें प्रबल होती है इसलिए यह दशा यदि शुभता देती है, तो उस शुभता को एक सीमा तक संभालने की क्षमता भी चाहती है अन्यथा जातक को वासनाओं से भर भी सकती है.