अष्टकवर्ग में राहु-केतु को छोड़कर सभी सातों ग्रह और लग्न का उपयोग किया जाता है. अष्टकवर्ग में एक नियम सदैव लागू होता है कि कोई भी ग्रह अपनी उच्च राशि तथा स्वराशि में स्थित होने पर भी तब तक पूर्णरूप से शुभ फल नही दे पाता जब तक कि उसे अपने भिन्नाष्टक वर्ग में अनुकूल बिन्दु न मिले हों.
अष्टक वर्ग में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि का बहुत सूक्ष्मता से अध्ययन करने की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि ग्रहों के प्रभावों उनके कारक तत्वों को जानकर ही हम किसी निष्कर्ष तक पहुंच सकते हैं. इसलिए हम सर्वप्रथम ग्रहों के कारक तत्वों से परिच होंगे तभी हम वर्गों में प्राप्त हुए अंकों से उनका फलित निर्धारण कर सकने में सक्ष्म होंगे. सातों ग्रहों के कारक तत्व नीचे दिए जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं:-
सूर्य | Sun Planet
सूर्य समाज में मिलने वाली प्रतिष्ठा को दर्शाता है यह हमारी आत्मा को अभिव्यक्त करता है, जिसके द्वारा हमारे व्यवहार का भी बोध होता है. सूर्य से पिता की स्थिति का पता चलता है. राज्य एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपके संबंधों को अभिव्यक्त करता है. जातक के स्वास्थ्य की स्थिति उसकी आध्यात्मिकता, परिपक्वता इत्यादि के विषय में पता चलता है.
चंद्रमा | Moon Planet
चंद्रमा के द्वारा व्यक्ति की मानसिक स्थिति का ज्ञान हो पाता है. वैचारिक स्थिति से का पता चलता है, उसकी मन:स्थिति को समझा जा सकता है. बौद्धिकता की क्षमता को देखा जा सकता है. माता का सुख स्वास्थ्य भी इन्हीं से देखा जा सकता है.
मंगल | Mars Planet
मंगल का संबंध भू संपदा से जाना जाता है. जमीन जायदाद, छोटे-भाई बहन को समझ सकते हैं. उच्चपद, पराक्रम, साहस का पता चलता है. काम करने की क्षमता का भी पता इसी से चलता है. यौन शक्ति भी इसी से देखी जाति है.
बुध | Mercury Planet
बुध के कारक तत्वों में बौद्धिकता का पता चलता है. इसके साथ ही वाणी का संयोजन होता है इन्हीं के द्वारा मनोविनोद की अभिव्यक्त आती है. विचारों को समझने की क्षमता देता है. शिक्षा के स्तर की गंभीरता भी इसी से मिलती है.
बृहस्पति | Jupiter Planet
गुरू को ज्ञान का कारक समझा जाता है इसके द्वारा व्यक्ति के आचार-विचार का पता चलता है. धन, संपदा, संतान का सुख इसी से पता चलता है. गुरू जीवन में यश, किर्ति, सम्मान देने वाला बनता है. व्यक्ति में उच्च विचारों का आगमन होता है. विद्वानों का संग मिलता है, गुरू की कृपा प्राप्त होती है.
शुक्र | Venus Planet
शुक्र से विवाह एवं वैवाहिक जीवन का पता चलता है, यह सौंदर्य अभिव्यक्ति का कारक बनता है इसे वीर्य का कारक माना जाता है. व्यक्ति का कला के प्रति रूझान भी इसी से परिलक्षित होता है. वाहनों का सुख भी इसी से देखा जा सकता है. आकर्षक व्यक्तित्व, समस्त भौतिक सुखों को इसी से समझा जाता है.
शनि | Saturn Planet
शनि काल का कारक है, कठोर परिश्रम करने की क्षमता देता है. भौतिक सुखों को त्यागने की क्षमता इसी से मिलती है. आयु का कारक माना जाता है. सेवकों की प्राप्ति , दुखों की भुक्ति भी इसी से समझी जाती है. जनता पर आपका प्रभाव इसी से पता चलता है.
इसी प्रकार सभी ग्रहों के कारक तत्वों को समझते हुए ही कुण्डली में अष्टकवर्ग को जाना जा सकता है. किसी भी भाव की विवेचना करने से पूर्व ज्योतिष के सामान्य सिद्धांतो को जानना अत्यंत आवश्यक होता है.