अष्टकवर्ग के द्वारा हम बहुत सी बातों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. उसके बिन्दुओ से हमें व्यक्ति के जीवन के सुख व दुख के बारे में पता चलता है. जीवन का कौन सा काल खण्ड शुभ रहेगा और कौन सा काल खण्ड अशुभ रहेगा आदि बातो की जानकारी हमें अष्टकवर्ग के द्वारा काफी कुछ मिल जाती है. आइए जानने का प्रयास करें कि जीवन के किस भाग में हमें क्या मिल सकता है.

जन्म कुण्डली में स्थित राशियों के अनुसार आप कुण्डली को तीन भागों में बांटे. आइए वर्गीकरण करें.

  • सबसे पहले मीन राशि से मिथुन राशि तक के भावो को लें, यह व्यक्ति का बचपन है.
  • अब कर्क राशि से तुला राशि तक के भाव ले, यह युवावस्था का समय है.
  • अंत में वृश्चिक राशि से कुंभ राशि तक के भावों को ले, यह वृद्धावस्था का समय है.

अब आप प्रत्येक समूह की राशियों को मिले बिन्दुओ का कुल योग करें. अब आप देखे कि तीनो समूह में से किस समूह का कुल जोड़ अधिक है और किसका कम. जिस समूह का जोड़ अधिक है उस समूह में आया जीवन काल व्यक्ति का अच्छा माना गया है और जिस समूह में बिन्दु कम है उस समय का जीवन कुछ संघर्षमय हो सकता है. यदि तीनो समूहो में आपस में अंतर ज्यादा नही होता है तब ऎसा व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखता है.

डॉ. पी. एस़ शास्त्री का मत उपरोक्त मत से कुछ भिन्न है. उनका मत निम्नलिखित है :-

  • प्रथम चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव के बिन्दुओ का जोड़ करें यह समूह बचपन कहा जाता है.
  • दूसरे, पांचवे, आठवें और एकादश भाव के बिन्दुओं का जोड़ करें. यह समूह युवावस्था का कहलाता है.
  • तीसरे, छठे, नवम और द्वादश भाव के बिन्दुओ का जोड़ करें. यह समूह वृद्धावस्था कहलाता है.

फलकथन वही होगा कि सबसे अधिक बिन्दुओ वाले समूह का समय ज्यादा अच्छा होगा.

समृद्धि की दिशा | Direction of Prosperity

अष्टकवर्ग के बिन्दुओ से हम व्यक्ति के जीवनकाल में होने वाली समृद्धि की दिशा का भी अनुमान लगा सकते हैं. इसका अर्थ है कि व्यक्ति किस दिशा में ज्यादा उन्नति व तरक्की कर सकता है. राशियो के आधार पर ही इनका भी वर्गीकरण किया जाएगा.

  • मेष, सिंह और धनु - पूर्व दिशा
  • वृष, कन्या और मकर - दक्षिण दिशा
  • मिथुन, तुला और कुंभ - पश्चिम दिशा
  • कर्क, वृश्चिक और मीन - उत्तर दिशा

अब आप प्रत्येक समूह में आई राशियो के बिन्दुओ का कुल जोड़ करें. जिस भी समूह की दिशा का जोड़ अधिक होगा और साथ ही अगर उन राशियों में शुभ ग्रह भी ज्यादा हों तब वही दिशा जातक के लिए अच्छी मानी जाएगी. व्यक्ति को ज्यादा बिन्दु वाली दिशा में उन्नति के अवसर अधिक मिलेगें.

मतांतर से कुछ शास्त्रो में विद्वानो ने राशि के स्थान पर भावों को लिया है, यह गणना निम्नलिखित प्रकार से होती है :-

  • पहले, पांचवें और नवम भाव के बिन्दुओ का कुल जोड़ करें. यह समूह पूर्व दिशा के अन्तर्गत आएगा.
  • दूसरे, छठे और दसवें भाव के बिन्दुओ का जोड़ करें, यह समूह दक्षिण दिशा कहलाता है.
  • तीसरे, सातवें और एकादश भाव का जोड़ करें. यह समूह पश्चिम दिशा कहलाता है.
  • चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव के बिन्दुओ का जोड़ करे, यह समूह उत्तर दिशा कहलाता है.