अच्छा स्वास्थ्य सफलता की कुंजी माना जाता है. यदि व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक दोनों ही रुपों से स्वस्थ हैं तो वह सभी समस्याओं और कठिनाईयों से पार पा सकने में सक्षम होता है. कुण्डली के द्वारा स्वास्थ्य के विषय में अनेक बातों का अध्ययन किया जा सकता है. ज्योतिषी की सहायता से स्वास्थ्य का ज्ञान किया जा सकता है. आपकी कुण्डली में यदि लग्न तथा लग्नेश दोनों ही बली तथा शुभ अवस्था में है, तब आप हमेशा स्वस्थ रहेगें. यदि दोनों में से एक पीड़ित है तब आपका स्वास्थ्य मध्यम बली रहेगा.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए लग्न तथा लग्नेश का संबंध कुण्डली के छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव से नहीं होना चाहिए. दोनों में से किसी का संबंध इन भावों से बनता है तब आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना प्रतिकूल दशाओं में करना पड़ सकता है.

सभी ग्रह शरीर के किसी न किसी अंग का प्रतिनिधित्व करते हैं. नौ ग्रहों में से जब कोई भी ग्रह पीड़ित होकर लग्न, लग्नेश, षष्ठम भाव अथवा अष्टम भाव से सम्बन्ध बनाता है. तो ग्रह से संबंधित अंग रोग प्रभावित हो सकता है. प्रत्येक ग्रह के पीड़ित रहने पर या कोई ग्रह छठे स्थान का स्वामी होकर लग्न भाव या किसी अन्य भाव में कौन सी बीमारी दे सकता है.

किसी भी रोगी जातक की कुंडली का विश्लेषण करते समय सबसे पहले तीसरे, छठे और आठवें भाव के ग्रहों की शक्ति का आंकलन करना चाहिए. चिकित्सा ज्योतिष के  में कुछ नियम वेद – पुराणों में भी दिए गए हैं. विष्णु वेद-पुराण में कहा गया है की भोजन करते समय अपना मुख पूर्व दिशा, उतर दिशा में रखना चाहिए. उससे पाचन क्रिया उत्तम रहती है.

जन्म पत्रिका और हस्त रेखाओं का अध्ययन करने के बाद ज्योतिषी यह बताने का प्रयत्न करते हैं की उक्त व्यक्ति को भविष्य में कौन सी बीमारी होने की संभावना है. जैसे जन्म कुण्डली में तुला लग्न या राशि पीड़ित हो तो व्यक्ति कि कमर के निचले वाले भाग में समस्या होने की संभावना रहती है. जन्मपत्रिका में बीमारी का घर छठवां स्थान माना जाता है और अष्टम स्थान आयु स्थान है.

तृतीय स्थान अष्टम से अष्टम होने से यह स्थान भी बीमारी के प्रकार की और इंगित करता है. जैसे तृतीय स्थान में चंद्र पीड़ित हो तो टी.बी. की बीमारी की संभावना रहती है और तृतीय स्थान में शुक्र पीड़ित हो तो मधुमेह की संभावना रहती है. उपरोक्त ग्रहों में जो ग्रह छठे भाव का स्वामी हो या छठे भाव के स्वामी से युति सम्बन्ध बनाए उस ग्रह की दशा में रोग होने के योग बनते हैं. छठे भाव के स्वामी का सम्बन्ध लग्न भाव लग्नेश या अष्टमेश से होना स्वास्थ्य के पक्ष से शुभ नहीं माना जाता है.

वर्ग कुण्डली प्रभाव | Influence of Varga Kundali

जन्म कुण्डली के साथ वर्ग कुण्डलियों का निरीक्षण अति महत्वपूर्ण होता है. केवल जन्म कुण्डली के आधार पर स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए. स्वास्थ्य संबंधित वर्ग कुण्डलियों का विश्लेषण अवश्य करना चाहिए. जन्म कुण्डली के लग्नेश की स्थिति नवाँश कुण्डली में अवश्य देखनी चाहिए. यदि जन्म कुण्डली का लग्नेश नवाँश कुण्डली में बली है तब स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.

स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण त्रिशाँश कुण्डली मानी जाती है. इस कुण्डली में जन्म कुण्डली के लग्न और लग्नेश की स्थिति देखी जाती है. त्रिशाँश कुण्डली के लग्न और लग्नेश की स्थिति भी देखी जाती है. यदि यह चारों बली अवस्था में है तब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ नहीं होती हैं. यदि इनमें से अधिकतर कमजोर हैं तब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ व्यक्ति को घेरे रहती हैं.

जन्म कुण्डली के तीसरे भाव को सूक्ष्म आयु स्थान कहा जाता है. इसलिए द्रेष्काण कुण्डली से भी स्वास्थ्य का अनुमान लगाया जाता है. जन्म कुण्डली के लग्नेश की स्थिति द्रेष्काण कुण्डली में कैसी है, यह देखा जाता है. यदि लग्नेश कमजोर है तब स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए. द्वादशाँश कुण्डली से भी स्वास्थ्य का आंकलन किया जाता है. द्वादशाँश कुण्डली के लग्नेश और जन्म कुण्डली के लग्नेश दोनो की स्थिति देखी जाती है. बली होने पर स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.