धान्या दशा योगिनी दशाओं में तीसरे स्थान पर आती है. इसका संबंध गुरू से है और इसके स्वामी भी वही हैं. इसकी समय अवधि 3 वर्ष की मानी गई है. धान्या संबंध गुरू से होने के कारण यह दशा शुभता देने वाली कही गई है. धान्या दशा का संबंध शुभ ग्रह से होने के कारण यह जातक को उन्नति और उत्थान देने वाली होती है और व्यक्ति को सुख व धर्मप्रगति के मार्ग में ले जाने वाली होती है.

धान्या दशा की अवधी काल में विकास की ओर उन्मुख होकर जातक शुभ कर्मों को करने वाला होता है. यह दशा जातक को काफी कुछ सोचने का समय देती है जो व्यक्ति अपने गलत कामों से दूर होकर खुद को सही दिशा की ओर ले जाने का प्रयास करता है. यह दहा व्यक्ति सही और गलत के मध्य भेद करने के बारे में ज्ञान देती है और जीवन में आने वाली परेशानियों को आशावादी दृष्टिकोण से सुलझाने का रूख प्रदान करने वाली होती है.

असंभव कार्यों को पूर्ण करते हुए यश और सम्मान की प्राप्ति होती है. साथियों का मनोबल बढा़ने वाला होता है जातक दूरदृष्टि से अपने कार्यों को उचित प्रकार से निर्वाह करने का प्रयास करता है. इसके प्रभाव स्वरुप जातक अधिकांशत: जोखिम उठाकर भी सफलता प्राप्त करता है. विपत्ति के समय उसकी विशेष क्षमता को देखा जा सकता है.

इस दशा में व्यक्ति को धन-मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. इस समय में व्यक्ति विद्या या किसी शिक्षा की ओर अपना रूझान पाता है. शिक्षा में योग्यता स्पष्ट झलकती है. अपनी योग्यता का परिचय उसके अन्य लोगों के समक्ष भी दिखाई पड़ता है. अपने ज्ञान की बदोलत समान पाता है. समाज में सम्मानित व्यक्तियों से मुलाकात व संबंधों में इजाफा होता है.

गुरू धर्म और आध्यात्म के कारक होने के कारण जातक पर भी इन्हीं का प्रभाव नजर आता है. जातक देववाचन, उपदेशक व शास्त्रगत वक्ता बनता है. उपासना और तीर्थाटन से कार्य प्रसिद्धि पाने में सफल होता है. धर्म के मार्ग पर चलने की चाह रखने की प्रवृत्ति बलवती होती है. व्यक्ति राजा व सरकार से सम्मान को पाता है. विद्वान लोगों का साथ मिलता है और उनसे बहुत कुछ सिखने को भी मिलता है.

कुछ विद्वान धान्या दशा को धन धान्य की वृद्धि करने वाली दशा बताते हैं. यह दशा स्वास्थ्य समान सदगुणों में वृद्धि करने वाली और परस्पर सहयोग को बढा़कर सुखी बनाती है. सर्व प्रथम योगिनी दशा का स्वामी जिस भाव व राशि में स्थित है उनके संयुक्त फलों में उनके नक्षत्र स्वामी का प्रभाव भी शामिल रखता है. जिस भाव में स्थित होते हैं, उस भाव के स्वामी की तरह अपना प्रभाव व्यक्त करते हैं. ज्ञान का प्रतीक यह ग्रह देवताओं का गुरु है.

धान्या दशा में बृहस्‍पति को लेकर व्‍यक्ति की शैक्षणिक योग्‍यता, धार्मिक चिंतन, आध्‍यात्मिक ऊर्जा, नेतृत्‍व शक्ति, राजनैतिक योग्‍यता, संतति, पुरोहित्‍य, ज्‍योतिष तंत्र-मंत्र एवं तप तस्‍या,वंशवृद्धि, विरासत, परंपरा, आचार व्‍यवहार, सभ्‍यता, पद-प्रतिष्‍ठा, में सिद्धि का पता चलता है. व्यक्ति को अदभुत दैवी शक्ति प्रदान करने में सहायक होता है. जो कार्य अन्य लोगों के सामर्थ्य में नहीं होता वह कार्य इससे प्रभावित जातक करने में सहयक होता है.