वर्ष फल कुण्डली के सातवें भाव में ग्रहों के प्रभाव का विशलेषण करके इस भाव से संबंधित फलों को जाना जा सकता है. सातवें भाव में ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन में कई तरह से बदलाव ला सकता है, समाज में स्थिति का सशक्त होना और जीवन में होने बदलाव को जानने में इसकी बहुत महत्वता होती है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष वर्ष की घटनाओं का पता लगाने हेतु बहुत महत्वपूर्ण विधि है. ग्रहों के प्रभावों द्वारा जो फल प्राप्त होते हैं वह जातक के जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं. फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है.
सूर्य ग्रह | Sun Planet
सूर्य सातवें भाव में अशुभ परिणामदायक होता है, जीवन में सुख व खुशियों में कमी बनी रहती. विवाह में विलंब हो सकता है और वैवाहिक सुख में कमी बनी रहती है. अपनी शुभ स्थिति या उच्चता में होने पर भी कुछ कमी तो बनी ही रहती है. चिंताओं से घिरा रह सकता है, मन अशांत रह सकता है, परंतु समाज में अपनी पैठ बनाने के लिए अनुकूल हो सकता है.
चंद्र ग्रह | Moon Planet
चंद्र के सप्तम भाव में स्थित होने पर लाभ पाता है, व्यापार में लाभ मिलता है. वैभव सुख पाता है, संतुष्ट होता है,चंद्रमा के उच्च व शुभता युक्त होने पर सुंदर व कुशल साथी की प्राप्ति हो सकती है. आकर्षक व्यक्तिव बना रहता है. परंतु कमजोर व पिडीत होने पर मन से अशांत साथी से दूरी बनी रहती है, काम में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है. निवासस्थान से दूर जाना पड़ सकता है. मानसिक रुप से तनाव कि स्थिति से गुजरना पड़ सकता है.
मंगल ग्रह | Mars Planet
सप्तम भाव में मंगल दोष होता है, व्यक्ति विदेश में निवास करता है और मंगल ग्रह के प्रभाव स्वरूप मानसिक अशांति बनी रह सकती है. लोगों से विवाद रह सकते हैं, बिजनेस में संघर्ष की स्थिति और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, वैवाहिक सुख में तनाव उभर सकता है. धोखे से धन हानि की संभावना बनी रह सकती है जिस कारण तनाव बना रह सकता है.
बुध ग्रह | Mercury Planet
बुध के सप्तम भाव में स्थित होने के कारण शुभता में कमी आती है. वैवाहिक दृष्टिकोण से शुभ नहीं होता, दांपत्य जीवन में तनाव की स्थिति झेलनी पड़ सकती है. साझेदारी में कार्य को नुकसान या घाटा हो सकता है, यह सुंदर साथी को भी दर्शाता है.
बृहस्पति ग्रह | Jupiter Planet
बृहस्पति के सप्तम भाव में स्थित होने पर उच्च पद की प्राप्ति होती है. आकर्षक व्यक्तित्व व गुणों में वृद्धि होती है. धनी व सौम्यता से युक्त होता है. काव्यात्मक रचना व लेखन में निपुंणता मिलती है. आकर्षक भार्या व पुत्रों का साथ मिलता है. बृहस्पति सप्तम भाव में होने पर वैवाहिक जीवन की सुरक्षा बनी रहती है. व्यक्ति में ज्ञान की चाह बनी रहती है, विद्वान होता है व जीवन में सुख पाता है. समाज में सम्मान व उन्नती पाता है.
शुक्र ग्रह | Venus Planet
शुक्र के सप्तम भाव में स्थित होने पर सदगुणों से युक्त भार्या मिलती है, संतान का सुख मिलता है. वैभव व सुख की प्राप्ति होती है. विवाह से लाभ होता है. जन प्रशंसक होता है. भाग्य का साथ पाता है.वाहन, संगीत व कला के प्रति विशेष लगाव उत्पन्न हो सकता है. यात्रा करनी पड़ सकती है और यात्रा से लाभ की प्राप्ति होती है. मित्रों का साथ मिलता है, घर में सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होती है. परंतु पीडित हो तो विवाह में विलंब हो सकता है.
शनि ग्रह | Saturn Planet
शनि के सातवें भाव में स्थित होने के कारण विवाह गैर जाती में हो सकता है, परंपराओं के विपरित काम कर सकता है. शनि केतु व शुक्र सप्तम भाव में विजातिय विवाह के सूचक बनते हैं. पीडित होने पर मित्रता में धोखा, अनैतिक कामों में लगा होना और इसी प्रकार के कामों से धन कमाने की ओर अग्रसर हो सकता है.
राहु ग्रह | Rahu Planet
राहु सातवें भाव में होने पर व्यवहार में क्रोद्ध बना रहता है, सौंदर्य में कमी आती है. आलस्य होता है, कमी झेलनी पड़ सकती है, काम में रुकावटें व असफलता बनी रहती है. अरूचि व कमी झेलनी पड़ सकती है. विजातिय विवाह का योग बन सकता है. दांपत्य सुख में कमी आ सकती अथवा गुप्त रोग प्रभावित कर सकते हैं.
केतु ग्रह | Ketu Planet
घर से अलग रहना पड़ सकता है व जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है. यात्राओं से भय बना रहता है. जीवन साथी के साथ में कमी का अनुभव होता है. संघर्ष अधिक करना पड़ सकता है. शनि से पिडित होने पर मानसिक अशांति मिल सकती है.