प्रश्न कुण्डली व्यक्ति द्वारा पूछे प्रश्न पर आधारित होती है. जिस समय किसी व्यक्ति विशेष द्वारा कोई प्रश्न किया जाता है उसी समय की एक कुण्डली बना ली जाती है. इसे ही प्रश्न कुण्डली कहा गया है. प्रश्न कुण्डली द्वारा यात्रा के संदर्भ में भी जाना जा सकता यात्रा में उसकी स्थिति उसके लाभ हानि इत्यादि सभी बातों को जानने का प्रयास किया जा सकता है. प्रश्न कुण्डली का ज्योतिषियों द्वारा काफी उपयोग किया जाता है. प्रश्न कुण्डली में ताजिक योगों तथा ताजिक दृष्टियों का बहुत महत्व है. इनके बिना प्रश्न कुण्डली का आधार नहीं है.
प्रश्न कुण्डली में एक बात का ध्यान यह रखना आवश्यक है कि प्रश्न करने और बताने का समय एक ही होना जरूरी है और प्रश्नकर्त्ता यदि ज्योतिषी के पास जाकर स्वयं प्रश्न करता है तो अधिक उचित है. प्रश्न कुण्डली में एक बात विशेष ध्यान देने योग्य यह है कि प्रश्न कुण्डली का लग्न पुष्प होता है. चन्द्रमा को उसका पराग कहा जाता है. नवांश को फलरुप कहते हैं.
भाव प्रश्न के फलों के भोग को दर्शाता है. इससे प्रश्न के समय कुछ शकुन - अपशकुन का पता चलता है. प्रश्नकर्त्ता की भाव - भंगिमाओं से प्रश्न की सफलता - असफलता का भी पता चलता है. प्रश्न कुण्डली बताने तथा प्रश्न का उत्तर देने का तरीका भारतीय ज्योतिष में भिन्न - भिन्न है. प्रश्न कुण्डली का अध्ययन करने का तरीका सभी स्थानों पर भिन्न है. इस प्रकार कई विधियाँप्रश्न कुण्डली के लिए प्रचलित हैं.
प्रश्न कुण्डली - यात्रा में शुभता का भाव | Prashna Kundali - House for an auspicious journey
यात्रा पर जने वाले की वापसी की कुशलता को देखने के लिए कुण्डली में चंद्रमा, गुरू और शुक्र का बली होना शुभ माना जाता है. यदि प्रश्न कुण्डली में यह ग्रह बलवान होकर शुभ स्थान से दृष्टि दाल रहे हों तथा किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि इन्हें प्रभावित नहीं कर रही हो तो यात्रा अच्छे से होती है तथा यात्रा पर जाने वाला कुशलतापूर्वक घर वापस आ जाता है.
प्रश्न कुण्डली - यात्रा में लगने वाला समय | Prashna Kundali - Amount of time spent on a journey
यदि प्रश्न कुण्डली में सूर्य और चंद्रमा को कोई पाप ग्रह देख रहा हो तो यात्रा में अधिक समय लग सकता है तथा यात्रा पर जाने वाला व्यक्ति काफी दिनों बाद वापसी करता है. परंतु यदि सूर्य या चंद्रमा लग्न पर दृष्टि न डाल रहे हों पर एक देसरे पर दृष्टि डाल रहे हों तो यात्रा लंबी अवधी की हो सकती है.
प्रशन कुण्डली से यात्रा में अशुभ प्रभाव का विचार | Prashna Kundali - An inauspicious journey
सूर्य यदि लग्न में स्थित हो तथा शुभ ग्रह कमजोर होकर अशुभ स्थानों में स्थित हों तो यात्रा में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसी के साथ यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न, षष्ठम या अष्टम भाव में चंद्रमा स्थित हो तो यात्रा में कठिनाईयां आ सकती हैं. लग्न में शुक्र और मंगल का स्थित होना यात्रा में शत्रु पक्ष से सामना दर्शाता है.
प्रशन कुण्डली - यात्रा में विश्राम | Prashna Kundali - Rest in a Journey
प्रश्न कुण्डली में यदि चर लग्न हो तथा वह शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो यात्रा में विश्राम का अवसर कम ही प्राप्त होता है . एक नियम अनुसार जितने भी शुभ ग्रह बली होकर लग्न पर दृष्टि डाल रहे होते हैं उतना ही अधिक स्थान पर उसे रुकने के अवसर प्राप्त होंगे. प्रश्न कुण्डली के लग्न से पंचम, षष्टम, सप्तम और नवम भाव स्थान में शुभ ग्रह हों तो यात्री को मार्ग में प्रसन्नता एवं खुशी प्राप्त होती है. अष्टम भाव में शुक्र, बुध होने पर सुख की प्राप्ति होती है.